शनिवार, 17 अप्रैल 2010

उन्हें" याद अवश्य करें

गतांक के आगे :

प्रियजन:

यूँ तो "सहज आनंद निधान-परमपिता परमात्मा, सच्चे ह्रदय से की गयी एक ही प्रार्थना से द्रवित हो जाते हैं पर आप दिन में ,जितनी बार आपको सुविधा हो, उन्हें याद करिये और अपनी निम्नांकित अर्जी अपने इष्ट को सुनाते रहिये. वो आपकी प्रत्येक प्रार्थना अभिषेक की भांति स्वीकारेंगे और आपको अधिक से अधिक कृपा प्राप्त होगी, सफलता मिलेगी एवं आप का मन सदा आनंदित रहेगा.

कृपया कोशिश कर के देखें . आप अपने नित्य प्रति की आराधना/पूजा/अर्चना अवश्य करते रहें, केवल प्रात उठते ही करने वाली यह प्रार्थना न भूलें :

"धन्यवाद तुझको भला कैसे दूँ भगवान्
तूने ही सब कुछ दिया यह काया यह प्रान 
प्रति पल रक्षा कर रहा देकर जीवन दान
क्षमा करो अपराध सब मैं बालक नादान"

नोट : अपनी रूचि अनुसार शब्दों में हेर फेर कर लें . पर "उन्हें" याद अवश्य करें. वह कृपा करेंगे ही ..........

क्रमश:

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