रविवार, 30 मई 2010

शुभ मुहूर्त में विदा

गतांक से आगे: 
बाबा दादी क़ी तीर्थ यात्रा
श्री हनुमान जी द्वारा मार्ग दर्शन
हनुमान मंदिर के पुरोहित पंडित गणेश मिसिर जी ने पंचांग बांच कर यात्रा की नयी साइत निकाली. तदनुसार महाबीर जी क़ी ध्वजा के नीचे सारा परिवार जमा हुआ , चालीसा का पाठ हुआ , आरती हुई, गर्म गर्म इमरती का प्रसाद चढ़ाया गया ,सारे परिवार और अडोस पडोस में प्रेम से बांटा गया. सब ने मिल कर जयकार की

"जय श्री राम - जय हनुमान"
और -
"प्रबिसि नगर कीजे सब काज़ा ,
हृदय राखि कोसलपूर राजा"
की धुन लगाई. बडकी माई ने बाबा दादी को तिलक ,सेंदुर लगाया और शुभ कामना की ---
"राम लखन कौशिक सहित सुमिरहु करहु पयान
लच्छिलाभ जय जगत जस मंगल सगुन प्रमान"

(उन दिनों हमारे परिवार पर श्री देवरहा बाबा की बड़ी कृपा थी. -वह तब भी लगभग १५०-२०० वर्ष के थे - जैसा हमारे बाबूजी ने हमे बचपन में बताया था. पूज्य देवरहा बाबा की मन्त्रणा से तुलसी की इस शुभकामनामयी वाणी का उच्चारण, हर कार्य के पहले, हमारे पूर्वज करते थे .)

शुभ मुहूर्त में , मेनेजर मिसिर जी और उनकी फेमली के साथ बाबा-दादी विदा किये गये. यात्रा प्रारम्भ हुई.

प्रियजन , बाबा-दादी की इस अति महत्वपूर्ण यात्रा का और कोई विवरण हमे उपलब्ध नही हो सका. बाबादादी और मिसिर जी हमारे जन्म से ३०-४० वर्ष पूर्व संसार छोड़ चुके थे.हम कानपूर में रहते थे . बलिया आना जाना बहुत कम होता था . शादी विवाह में जाते थे .कार्य पूरा होते ही वापस आ जाते थे.इतनी उत्सुकता भी नही थी इस विषय में,  अधिक जानकारी प्राप्त करने की.

लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात -"श्री हनुमान जी द्वारा मार्ग दर्शन" की, तो अभी बाकी ही है . कल के लेख में वह बता दूंगा.


-- निवेदक -- " भोला "

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