मंगलवार, 12 अक्तूबर 2010

JAI JAI JAI KAPISUR # 1 8 8

हनुमत कृपा
निज अनुभव

साउथ अमेरिका के एक केरेबियन देश में हम पर हुई हनुमत कृपा की कथा चल रही है !कैसे श्री हरि ने उस हवाई यात्रा में मेरी जीवन रक्षा की और फिर किस प्रकार "उन्होंने" उस "नन्हे फरिश्ते" के रूप में प्रगट होकर ,मेरे और साथ साथ हमारे भारत देश के मान-सम्मान को धूमिल होने से बचा लिया ! शत शत नमन मेरे प्यारे प्रभु आपको ह्म पर की हुई इस अहेतुकी कृपा के लिए !आपकी सर्वत्र जय जय कार हो मेरे प्रभु !

इस सन्दर्भ में मैंने अपनी wishful thinking में यह कहा था कि वहाँ slaughter house के inauguration के समय जो घटना हुई वह मात्र एक coincidence अथवा कोई जादू,magic या चमत्कार नहीं था !वह वास्तव में ह्म पर हुई ह्मारे परम पिता की विशेष कृपा का एक जीवंत उदाहरण था !

पौराणिक कथाओं और लिखित इतिहास के माध्यम से ह्म अपने आपको और साथ साथ आप सब प्रियजनों को आश्वस्त करने का प्रयास कर रहे हैं कि विश्व मे असंख्य संतों महात्माओं को ऐसे दिव्य अनुभव हुए हैं जिन्हें सुनकर यही लगता है जैसे प्रभु ने स्वयं अपने हाथों उनके कार्य सँवारे हैं ! अस्तु ऎसी कथाओं पर अविश्वास करना अनुचित है !

आप देखें भारत में पिछले लगभग ६०० -७०० वर्षों में कैसे कैसे महान संत- महात्माओं ने जन्म लिया ! संत कबीर दास जी ,गुरु नानक देवजी, कृष्ण भक्त सूरदास जी ,गिरिधर गोपाल की दीवानी मीराबाई ,रामानुरागी संत तुलसीदास जी , वैष्णव जन के रचयिता गुजरात के संत सम्राट नरसी मेहताजी , महारष्ट्र के संत तुकारामज ,संतज्ञानेश्वरजी,संत रविदासजी संत नामदेव जी --आदि आदि , भाई ! असंख्य हैं ,कहां तक गिनाएं ?इन सभी सिद्ध महापुरुषों के अनुभव उस निराकार परम का नाना रूप धर कर व्यथित मानवता को निर्भय करने की गाथा गाते हैं !

ऐसा नहीं है क़ि "वह" आदि-अनादि काल में ही अवतरित होते थे भारत में तो वर्तमान काल में भी श्री श्री रामकृष्ण परमहंस,श्री औरोबिन्दो श्री स्वामी विवेकानंद ,स्वामी दयानंद आदि अनेकों महान विभूतियों ने ,भिन्न भिन्न स्वरूपों में उस "परम" को समय समय पर जग मंगल हेतु साकार होते हुए देखा है! कैसे झुठला सकते हैं ह्म इस परम सत्य को .

मेरे आध्यात्मिक धर्म गुरु श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज की कृपा और आशीर्वाद से प्राप्त श्री श्री माँ आनंदमयी के दर्शन एवं दृष्टि दीक्षा से मेरा "अहंकार" शून्य हो गया! मुझे जन जन में "उस परम" के दर्शन का आभास होने लगा और अपनी प्रत्येक सफलता निज करनी से अधिक "उस परम" की कृपा का फल लगने लगी और प्रभु की कृपा पर हमारा विश्वास और दृढ़ हो गया !

प्रियतम प्रभु की सर्वव्यापकता ,सार्वभौमिकता की अनुभूति और कृपा से ह़ी जीवनपथ में आयी हुई उलझनों का सामना करते हुए हमें सत्य की राह पर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा और शक्ति मिलती है ! सच तो यह है क़ि परमपिता प्रभु रूप बदल बदल कर ह्मारे जीवन में आते हैं और हमारी सहज सम्भार करते हैं ! इसलिए मेरे अतिशय प्रिय पाठकों हमे प्यारे प्रभु की सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान सत्ता पर अडिग विश्वास रखना है !

अगले दिन यह कन्फर्म हो गया क़ि उस देश में उस हुलिया,उस वल्दियत का कोई बालक उस समारोह के अतिरिक्त और कहीं देखा ही नहीं गया !अब आप ही कहिये मेरा wishful thought कहां तक सच है ?

निवेदक :-व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"





कोई टिप्पणी नहीं: