शुक्रवार, 26 नवंबर 2010

JAI JAI JAI KAPISUR # 2 2 6


हनुमत कृपा  
अनुभव 

महाराज जी की बड़ी कृपा है हम पर ! उनकी अनंत करुणा है ! कैसे ?सुनिए ! कृपा निधान श्री हनुमान जी महाराज ने मेरा गर्व चूर्ण किया ,इससे बड़ी और कौन  कृपा कर सकते  है वह ह्म पर ! महाराज तुम्हारी जय होवे !
प्रियजन,जानना चाहेंगे क़ि काहे का अहंकार था मुझे ! तो सुनिए  
१९४२ के "भोला बाबू"  (यानी क़ि मैं ) - उम्र १३ वर्ष मन ही मन  बड़े बड़े मंसूबे बना रहा था !बड़े भैया जयश्री  के साथ शांताराम जी की फिल्म शकुन्तला में काम करेंगे उनका खूब नाम होग़ा तो उनके छोटे भाई (यानी क़ि मुझे) कम से कम हीरोइन अथवा हीरो के छोटे भाई का रोल तो मिल ही जायेगा !और मैं "बंधन"के मास्टर  सुरेश की तरह हिरोइन लीला चिटनिस  के छोटे भाई के रोल में नई सायकिल पर घंटी बजाते बजाते स्कूल जाऊंगा और स्कूल के मास्टर हीरो अशोक कुमार के साथ मिल कर प्रदीप जी की यह अम्रर रचना गा  गा  कर देश के नौजवानों को जगाऊंगा और उन्हें जीवन पथ पर आगे  बढने को प्रोत्साहित करूँगा .

चल चल रे नौजवान , कहना मेरा मान मान !!
चल रे नौजवान ----
दूर तेरा गाँव ,और थके पांव- फिर भी तु हरदम ,आगे बढ़ा कदम ,
रुकना तेरा काम नहीं , चलना तेरी शान .
चल रे नौजवान  ----
तू  आगे    बढ़े  जा ,  आफत  से  लडे  जा ,  
आंधी हो या तूफ़ान , फटता हो आसमान ,
रुकना तेरा काम नहीं ,  चलना तेरी शान,
चल चल रे नौजवान , कहना मेरा मम मान  !!
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क्रमशः 
निवेदक : व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"

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