गुरुवार, 25 नवंबर 2010

JAI JAI JAI KAPISUR # 225

ऐसे विश्व विख्यात सिने जौहरी श्री व्ही .शांताराम जी ने भली भांति कसौटी कर के, नाप जोख करके , हर तरह से परख कर ,हमारे बड़े भैया को अपनी "शकुन्तला" में कोई अति महत्वपूर्ण रोल निभाने के लिए सिलेक्ट कर लिया था ! शांताराम जी ने कहा था क़ि वह बड़े भैया को शकुन्तला में कोई न कोई अति महत्वपूर्ण रोल अवाश्य देंगे ! उन्हें जयश्री जी के अपोजिट, महाराजा दुष्यंत का रोल मिल सकता था , मेनका के साथ विश्वमित्र का रोल अथवा शकुंतला के पिताश्री "कणव ऋषि" का रोल भी मिल सकता था !

कानपूर में ह्म सब बंबई से प्राप्त उपरोक्त उत्साहवर्धक समाचार सुन कर बहुत प्रसन्न थे t अम्मा बाबूजी के मन में बड़े पुत्र से बिछड़ने की थोड़ी कसक थी लेकिन ह्म छोटे बच्चों में बड़ा उत्साह था ! थोड़ा बहुत अहंकार तो हमे हो ही रहा था क़ि ह्मारे बड़े भैया हीरो बन रहे थे ! स्कूल में भी विद्यार्थी हमे अधिक मान सम्मान देने लगे थे !

अपने - (मेरे निजी बारह तेरह वर्षीय) मन में तो बहुत सारे गुलगुले फूट रहे थे ! मैं नित्य प्रति भगवान जी से बड़े भैया की सफलता की प्रार्थना करता रहता था ! यह केवल भात्र प्रेम से प्रेरित नहीं था ! कितनी ही निजी आकांक्षाएं उस प्रार्थना में निहित थीं जो आपको कल बताउंगा !

१९४२ के "भोला बाबू"  (यानी क़ि मैं ) - उम्र १३ वर्ष मन ही मन  बड़े बड़े मंसूबे बना रहा था !बड़े भैयाजयश्री  के साथ शांताराम जी की फिल्म शकुन्तला में काम करेंगे उनका खूब नाम होग़ा तो उनके छोटे भाई (यानी क़ि मुझे) कम से कम हीरोइन अथवा हीरो के छोटे भाई का रोल तो मिल ही जायेगा !और मैं "बंधन"के मास्टर  सुरेश की तरह हिरोइन लीला चिटनिस  के छोटे भाई के रोल में नई सायकिल पर घंटी बजाते बजाते स्कूल जाऊंगा और स्कूल के मास्टर हीरो अशोक कुमार के साथ मिल कर प्रदीप जी की यह अम्रर रचना गा  गा  कर देश के नौजवानों को जगाऊंगा और उन्हें जीवन पथ पर आगे  बढने को प्रोत्साहित करूँगा .

चल चल रे नौजवान , कहना मेरा मान मान !!
चल रे नौजवान ----
दूर तेरा गाँव ,और थके पांव- फिर भी तु हरदम ,आगे बढ़ा कदम ,
रुकना तेरा काम नहीं , चलना तेरी शान .
चल रे नौजवान  ----
तू  आगे    बढ़े  जा ,  आफत  से  लडे  जा ,  
आंधी हो या तूफ़ान , फटता हो आसमान ,
रुकना तेरा काम नहीं ,  चलना तेरी शान,

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