सोमवार, 6 दिसंबर 2010

JAI JAI JAI KAPISUR # 2 3 4


हनुमत कृपा 
अनुभव 
"ॐ"

कार  बिंदु संयुक्तं नित्यं  ध्यायन्ति योगिनः 
  कामदं  मोक्षदं  चैव  ॐ काराय  नमो नमः      

"हरि ॐ हरि ॐ  मेरा बोले रोम रोम"

बचपन में  अम्मा के साथ कानपूर के हेलेट होस्पिटल कम्पाउन्ड में " श्री स्वामी नारायण मंदिर"से पधारे किसी संत  का सत्संग सुनने गया जहाँ उपरोक्त ॐ नाम का संकीर्तन सुना था !  उस समय  मैं "ॐ" का अर्थ नहीं समझता था ! बड़ा हुआ तो अम्मा से ॐ के विषय में कुछ समझा ! तदन्तर जीवन में संत जनों से जो कुछ सुन कर जाना ,उसमें भी अब जितना याद रह गया है ,उसे आपको बताने का प्रयास कितने दिनों से कर रहा था  लेकिन कोई न कोई व्यवधान आता रहा ! ऐसे में "हरि इच्छा" से जो कुछ मेरा कम्प्यूटर  लिखता गया मैं वह़ी संदेश आपको भेजता रहा !  आज भी जो प्रेरणा  ह्मारे इष्ट देव से मिलेगी  उसे आप तक प्रेषित कर दूंगा !

                                                      " ॐ " 

"ॐ" तीन अक्षरों - "अ + उ+ म " के संयोग से बना है जिसमे, अ = अनंत ,उ = ऊर्जा  तथा म = मय , अर्थात "ॐ" -"अनंत ऊर्जा मय" ! मानव जीवन में "ॐ " अथवा "अनंत उर्जा" का अनंत महत्व है जिसको थोड़े में समझाना अथवा समझ पाना दोनों ही अति कठिन है ! देखने में यह जितना छोटा है उतना ही व्यापक है इसका प्रभाव ! सच्चे साधक के हृदय से उठ कर इस शब्द की शक्तिशाली तरंगे सम्पूर्ण त्रिलोकी में व्याप्त हो जाती हैं और अन्तोगत्वा वह शब्द-तरंग स्वयं तो ब्रह्मलीन होती ही है ,साथ में ,साधक को भी वह  अखंड आनंद से परिपूरित कर देती है !   संतों से जाना क़ि :--

"ॐ" शब्द के हजारों अर्थ हैं ! 
"ॐ" वेदों द्वारा प्रतिपादित महाशक्तिशाली मन्त्र है !
 ॐ  मन्त्रसम्राट है और ह्मारे सभी मन्त्रों में श्रेष्ठ है !
ॐ ह्मारे सब मन्त्रों की आत्मा है   ,ह्मारे सब मन्त्रों का जीवन है !
ॐ के उच्चारण से सभी वैदिक ,पंचाक्षरी ,अष्टाक्षरी तथा गायत्री मन्त्र ,प्रारम्भ होते हैं  !  
ॐ जीव को आवागमन से छुटकारा दिलाने वाला मन्त्र है.!
ॐ  मन्त्र के उच्चारण से साधक मोक्ष प्राप्त कर सकता है !

प्रियजन ,ॐ के विषय में अभी बहुत कुछ कहना है पर आज नहीं ! फ़िलहाल चलिए  ॐ उच्चारण करके थोड़ा  विश्राम कर लें !

निवेदक:-  व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"

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