शनिवार, 18 दिसंबर 2010

JAI JAI JAI KAPISUR # 2 4 4

हनुमत कृपा 
अनुभव 
(गतांक से आगे )

श्री कृष्ण विषयक शंकाओं के समाधान करने में ह्मने उन देवाधिदेव के गृहस्थ -जीवन की माधुर्य एवं ऐश्वर्य लीला के दर्शन ,श्रीमद भागवत पुराण के आधार पर किये ! चलिए अब ह्म श्री कृष्णा अवतार से पहले , त्रेता युग में अवतरित मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम पर आरोपित शिकायतों के विषय में बात करें !
  • (a) श्री राम ने "जनक सुता  जग जननि  जानकी "  की, जो करुणा निधान - श्रीराम को अतिशय प्रिय भी थीं , इतनी निर्मंमता  से अग्नि परीक्षा क्यों ली ?
  • उत्तर : मर्यादापुरुषोत्तम  भगवान श्रीराम ने मानव शरीर में अवतार लिया था पर थे तो वह सर्वशक्तिमान,सर्वज्ञ , सर्वगुण सम्पन्न :
              राम ब्रह्म चिन्मय अविनासी, सर्व रहित सब उरपुर वासी !! 
               जगत प्रकास्य प्रकासक रामू ,मायाधीश  ज्ञान गुण  धामू !!
  • प्रियजन, अपनी दैवीशक्तियों से श्री राम जानते थे कि सीता निर्दोष हैं और स्वयं दैवी सम्पदा से सुसज्जित माँ को भी यह ज्ञान था कि अग्नि देवता उन्हें कोई हानि नहीं पहुंचा सकते ! अस्तू दोनों की सहमति से अग्नि परीक्षा सम्पन्न हुई और जैसा सुनिश्चित था , सीता जी का एक बाल भी बांका नहीं हुआ ! दोनों को ही इस अग्नि परीक्षा में कोई  अनहोनी  नजर नहीं आई  ! 
  • (b) अयोध्या पति बन जाने के बाद राम राज्य स्थापित कर के श्री राम ने एक साधारण धोबी के उंगली उठाने पर अपनी धर्म परायण पतिव्रता पत्नी महारानी सीता को  बनबास दिया !क्या यह उचित है ?
  • उत्तर - मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम धर्म के विग्रह हैं ! राज-धर्म के मूल्य को गार्हस्थ जीवन के मूल्य से अधिक महत्व देकर और भावना से कर्त्तव्य को ऊंचा मान कर श्रीराम ने सीता का परित्याग किया था ! लेकिन उनके इस सांस्कृतिक आदर्श के इस निर्वहन से त्रेता युग क़ी भारतीय नारी के समक्ष यह प्रश्न मुंह बाये खड़ा हो गया कि " दुष्टों द्वारा  अपहरण होने के पश्चात  स्वतंत्र हो जाने पर  उस नारी का समाज में क्या स्थान है ?
  • संभवतः इसी प्रश्न का उत्तर देने के लिए द्वापर में श्री कृष्ण ने उदाहरण स्वरूप स्वयं ,इस प्रकार क़ी अपहृत तथा समाज एवं माता पिता तक से उपेक्षित ,एक दो नहीं ,सोलह हजार अबलाओं से विवाह करके , भविष्य के विशेषकर  कलि काल के अहंकारी, अभिमानी एवं स्त्री जाति के शोषक पुरुषों का मार्ग दर्शन किया कि वे भी ऎसी नारियों को अपनाने का पारमार्थिक कार्य करें !
  • (c)  श्री राम ने बाली को मार कर एक अति अनुचित कृत्य किया?  
  • उत्तर :- बाली श्री राम के मित्र सुग्रीव का बड़ा भाई था जिसने अपने छोटे भाई सुग्रीव के अधिकारों को छीन कर उसका निष्कासन कर दिया था ,जो अनुचित था !सुग्रीव सीताजी क़ी खोज में श्री राम की मदद कर रहा था ! राम द्वारा सुग्रीव जैसे मददगार मित्र की मदद करना क्या अनुचित कहा जाएगा ?   
  • और हाँ बलि को मार कर श्रीराम ने उसे स्वधाम दिया तथा मोक्ष प्रदान किया !श्री राम ने बाली की पत्नी तारा को सुन्दर उपदेश देकर उसकी पति वियोग की पीड़ा हर ली ! बाली के पुत्र अंगद को युवराज घोषित कर के उन्होंने  प्रमाणित कर दिया कि उन्होंने किसी के साथ कोई अन्याय नहीं किया !
प्रियजन इसके साथ हमारा शंका समाधानों का सिलसिला खतम होता है !

सच पूछिए तो हमे ऐसे जंजाल में फंसना  ही नहीं चाहिए ! हमें चाहिए क़ी ह्म अपनी संस्कृति और मान्यताओं को समाज के उन्नयन के योग्य बनाकर उसे दृढ़ता से अपनाये रहें ! हमे अपने निजी विश्वास पर अटल रह कर अपने गुरुजन के आदेशानुसार अपनी आध्यात्मिक साधना चालू रखनी है !गुरुजन के आशीर्वाद से इसी में अपना कल्याण है !
 
निवेदक:- व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"!
  

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