बुधवार, 2 मार्च 2011

हमारे सद्गुरु # 3 0 7





Param Pujya Shree Swami Satyanand Ji Maharaj
हनुमत कृपा -अनुभव                                   

साधक साधन साधिये                              हमारे सद्गुरु 

(गतांक से आगे)                          स्वामी सत्यानन्द जी महाराज                     
                 
        




गुरुजनों की चर्चा चल रही थी कि बीच में कल 'सब गुरुओं के सद्गुरु'- देवाधिदेव "शिवजी महाराज" की 'महाशिवरात्रि' आगयी और अकस्मात मुझे आत्म-कथा के ४०-५० वर्ष पुराने प्रष्ठ पलटने ही पड़े ! आप जानते ही है,  मैं निज बल बुद्धि से कोई  भी कर्म नहीं करता ,मेरे द्वारा जो कुछ  होता है, कोई और ही करता और कराता हैं ! उसने जो लिखाया, मैंने वही  लिखा ! कुछ नागवार लगा हो तो माफ़ कर दीजियेगा !

हाँ तो उस्ताद साहेब द्वारा मुझे "स्वर से ईश्वर प्राप्ति" की राह बताना ,(पहली हनुमत कृपा) ! और  स्वर साधना से जन्मजात 'भजन गायन' की क्षमता में अप्रत्याशित निखार आना (दूसरी हनुमत कृपा) ! "भजन शब्द-स्वर  रचना एवं गायन" में आयी प्रवीणता के कारण मुझे सिद्ध  महात्माओं के दर्शन एवं निकटतम सम्पर्क में आने के सुअवसर प्राप्त होना   ( तीसरी सबसे बड़ी हनुमत कृपा)!

महावीर हनुमान जी की इस महती कृपा के फलस्वरूप मुझे सर्व प्रथम,१९५९ में हमारे सद्गुरु स्वामी जी महराज के दर्शन हुए और उन्होंने मुझे "नाम " प्राप्ति का अधिकारी पाया !(यह मेरे 'इष्ट' की मुझ पर सबसे बड़ी कृपा थी ) ! और उसके बाद सद्गुरु स्वामी जी के स्नेहिल आशीर्वाद से मेंरे जैसे अति साधारण व्यक्ति के जीवन में "आनंदस्वरुप प्रभु" से  मिलन का मार्ग दर्शन करवाने वाले अनेकों संतों के सत्संग का ताँता सा लग गया ! मेरा जीवन सार्थक करवा देने वाले अनेक महात्मा संतों , देवी सद्रश्य  साध्वी माताओं के दर्शन और उनके अति निकट आ पाने तथा  उनकी सेवा में अपने भजनों के नैवेद्य समर्पित  कर पाने के सुअवसर मुझे मिलते रहे ! जय गुरु देव !

चाहे आप जो भी कहें मैं उन महान विभूतियों के नाम आपको अवश्य बताऊंगा इस लिए कि मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि हम सब के"इष्ट" पालनहार, परमपिता, परमात्मदेव" कितने कृपालु हैं ! तभी तो हमारे जैसे साधारण सांसारिक , साधनहीन , गृहस्थ मनुष्य को केवल "स्वर साधना" द्वारा ही "ईश्वर" को याद कर लेने के कारण वरदान के रूप में उन्होंने हमे इतनी  सिद्ध आत्माओं के दर्शन करवा दिये !

इस सूची में मातृदेव,पितृदेव तथा आचार्यदेव को छोड़ कर उन सब विभूतियों के नाम हैं जिनके प्रत्यक्ष दर्शन एवं सत्संग से प्राप्त सुबुद्धि ,ज्ञान और शक्ति के सहारे, मैं आज
आपकी सेवा कर पा रहा हूँ !

श्री स्वामी सत्यानन्द जी      (१९५९) सद्गुरु , श्री राम शरणं ,दिल्ली
श्री प्रेमजी सेठी महाराज       (१९६१)     ,,              ,,        ,,     ,,
श्री स्वामी मुक्तानंद  जी      (१९७०)
श्री स्वामी अखंडानंद  जी       (१९७१)
श्री श्री माँ आनंदमयी जी       (१९७४)
श्री स्वामी चिन्मयानन्द जी  (१९८३)
श्री डोक्टर विश्वामित्र जी  (वर्तमान सद्गुरु) , श्री राम शरणं ,दिल्ली

मेरी आत्म कथा में ,इन सब विभूतियों द्वारा मुझ पर की हुई उनकी अनन्य कृपाओं की कथाओं के अतिरिक्त और हो ही क्या सकता है ! अस्तु चाहता तो हूँ की इन सभी गुरुजनों के साथ बिताये एक एक पल का हिसाब सविस्तार आपको दूं ! पर मेरे "वह" अनुमति दें , प्रेरणा के तरंग भेजें तभी यह सम्भव  हो पाएगा ! तब तक मौन रहना ही उचित है !

हाँ , प्रियजन , श्री श्री माँ आनंदमयी के सत्संग में व्यतीत किये कुछ दिव्य दिनों की कथा मैं  अपने ८ जुलाई २०१० के सन्देश से प्रारंभ करके अगस्त २०१० के प्रथम सप्ताह  के  संदेशों में सविस्तार दे चूका हूँ ! रोचक है ,शिक्षाप्रद है समय मिले तो पढ़ लीजियेगा !

शेष वहां से प्रेरणा प्राप्त होने के बाद !

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निवेदक:-  व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
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