रविवार, 10 अप्रैल 2011

अन्ना हजारे # 3 4 2 - 0 7

 अन्ना  हजारे 


केवल सौ घंटों में भारत सरकार को झुका कर ,३९ वर्षों से सरकार की फ़ाइलों में धूल खा रहे लोक पाल संशोधन बिल को इस वर्ष के मानसून सेशन में ही पास करवा लेने का वचन ले लेने वाला कौन है यह महापुरुष ?  

भारत में तो अवश्य ही आप लोगों ने समाचार पत्रों में तथा रेडिओ और टेलीविजन में यदा कदा उनके विषय में चर्चा सुनी होगी पर विदेशों में पल रहे भारतीय और उनकी संतान जो झांसी की रानी लक्ष्मी बाई ,शहीद भगत सिंह और चन्द्रशेखर आज़ाद तक को नहीं जानते उन्हें भला अन्ना के विषय में क्या ज्ञान होगा ? प्रियजन , चाहे कारण कुछ भी हो सच तो यह है कि मैं स्वयम भी "अन्ना" का परिचय उतनी अच्छी तरह से नहीं जानता !

इत्तेफाक से  इन सौ घंटों के भीतर ही मुझे सिंगापूर से मेरे प्रिय भतीजे 'अनिल' का एक "ई.  मेल" यहाँ U.S.A . में मिला ! इस मेल में 'अनिल'  ने अपने एक Birla Institute of Technology के सहपाठी श्री के वी राव जी से ( जो कदाचित उसी क्षेत्र से हैं जो अन्ना की कर्म भूमि है )प्राप्त जानकारी के आधार पर हमे "अन्ना" का विस्तृत परिचय दिया ! इस प्रकार अन्ना के विषय में मेरा ज्ञान बढा और मैं आपकी जानकारी के लिए उसे यहाँ पेश कर रहां हूँ ! ध्यान दीजिये एक "अन्ना" ने कहां कहां के सोये लोगों को जगा दिया ! कहाँ सिंगपुर कहाँ भारत और कहाँ बोस्टन U S A . एक "अन्ना" ने कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा एककृत कर के  दिखा दिया  !

अन्ना हज़ारे कौन हैं? 
  • भारतीय थल सेना के एक कर्मठ अनुशासित  सैनिक जिन्होंने १९६५ के भारत पाक युद्ध में सक्रिय योगदान किया !

  • सामजिक सेवा के अंतर्गत , उन्होंने महाराष्ट्र के अहमदनगर तालुके में "रालेगांव
  • सिद्धि" नामक एक आद्वितीय गांवं का निर्माण किया !

  • वह गाँव एक मॉडल गाँव बना ! उसमे सूर्य से ऊर्जा ( Solar Power), हवा चक्की (Wind Mill) ,गोबर गैस ( Bio Fuel) आदि सब उपलब्ध है ! इस प्रकार एक गाँव जो कभी अति पिछड़ा था ,अति निर्धन था , जहां रोशनी, और शुद्ध पानी की कोई उचित व्यवस्था न थी कुछ दिनों में (१९७५ तक) देश का सबसे सम्रद्ध गाँव बन गया !

  • उनके लोक कल्याण और सामुदायिक विकास की इन उत्कृष्ठ उपलब्धियों के लिए भारत सरकार ने उन्हें "पद्म भूषन" की उपाधि से सम्मानित किया !

  • पिछले कई वर्षों से वह जिस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए भारत सरकार से निवेदन कर रहे थे वह अब विश्व विदित हो गयी है ! उन्हें अनशन इसलिए करना पड़ा क्योंकि सरकार उनके पत्रों की उपेक्षा कर रही थी ! उत्तर देना तो दूर, सरकार उनके पत्रों को एक्नोलेज तक नही करती थी ! उनकी इस मांग से कि सरकार के उच्च अधिकारी और मंत्रीगण भी संशोधित बिल के अतर्गत लोकपाल द्वारा दण्डित किये जा सकें, भ्रष्ट कर्मचारी और मंत्रीगण उस बिल का पिछले ३९ वर्षों से विरोध करते आ रहे हैं ! 

  • आज जब सरकार ने देखा कि अन्ना के प्रस्ताव का अनुमोदन समस्त भारतीय जनता  एक जुट होके कर रही है ,सरकार को झुकना पड़ा !

मेरे प्रिय पाठकगण ,  अन्ना ने कहा है कि असली लड़ाई अभी शुरू हुई है ! इसे पूरी तरह जीतने के लिए भारत के एक एक नागरिक  को - सर्व प्रथम अपने आप से लड़ना होगा  ! उसे यह प्रतिज्ञा करनी होगी कि चाहे उसे कितना भी कष्ट उठाना पड़े ,कितनी भी हानि सहनी पड़े ,वह , कभी भी, किसी को किसी प्रकार का "घूस" देकर उससे अपने लिए कोई गलत काम नहीं करवाएगा !

यहाँ मेरे प्यारे पाठकगण मैं घूस लेने और देने वाले ,दोनों अपराधियों को अपने निजी  अनुभव के आधार पर एक पते की बात बताना चाहता हूँ ! मन के मुताबिक काम न बन पाने के कारण कुछ समय तक आपको थोडा कष्ट तो अवश्य होगा लेकिन आप पूर्णतः चिंतामुक्त होंगे और मेरा विश्वास करिये आपका भविष्य अति सुखद होगा !आपकी सभी  सात्विक इच्छाएं पूरी होंगी ! समय आने पर आपको वह सब मिल जाएगा जिसे आप घूस न लेने अथवा देने के कारण आज नहीं पा सके !

अन्ना ने, महाबीर हनुमान जी की तरह यह "राम काज" करने का बीड़ा उठाया  और उसे  सफल बनाने के लिए उन्होने आमरण अनशंन प्रारम्भ करके अपने प्राण तक की बाज़ी लगा दी ! किसी ने सच ही कहा है : 

खुदा को वो ही पाता है , ख़ुदी  को  जो मिटाता है !

अन्ना और शहीद भगतसिंह की तरह "सरफरोशी की पुरजोर तमन्ना" भारत के एक एक नागरिक को अपने मन में लानी होगी , तभी यह भ्रष्टाचार का कातिल मारा जायेगा !

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निवेदक: व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
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3 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

अन्ना से परिचय के लिए आभार.सही कहा है उन्होंने की हर भारतीय को स्वयं से लड़ाई लड़नी होगी क्योंकि यदि हर आदमी अपना हित ही देखता रहेगा तो सभी का कल्याण रूक जायेगा.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

इस लड़ाई को लडने के लिए पहले हर नागरिक को खुद से लड़ना होगा ..अच्छी प्रस्तुति

G.N.SHAW ने कहा…

काकाजी प्रणाम ..मुझे तो जैसे लग रहा है की कुछ राज्यों के मतदान की वजह से सरकार इस मसले को जल्द ठंढे बसते में डालने का निश्चय किया !अगर ऐसा रहा , तो मानसून सत्र में संदेह ही है !फिर भी अन्ना हजारे का योगदान सराहनीय है !