रविवार, 24 जुलाई 2011

जब जानकी नाथ सहायक तेरो # ४ ० ६

जाके राम धनी वाको काहे की कमी

प्रियजन,

श्री राम शरणम के गुरुजनों तथ उनसे सम्बन्धित महापुरुषों से सुना है कि जीवन में पूर्णत: सफल होने के लिए साधकों को पूरी निर्भयता से, अविचल संकल्प तथा दृढ़ निश्चय के साथ ,अपनी सम्पूर्ण क्षमता का उपयोग करते हुए ,अपने लिए प्रभु द्वारा ,पूर्व निर्धारित कर्तव्य कर्म अति प्रसन्न मन से करते रहना चाहिये !

निर्भयता सर्वप्रथम ,सर्वोच्च , सर्व प्रमुख आवश्य्कता है ! सफलता के लिए व्यक्ति का भय-मुक्त होना अनिवार्य है ! एक भयभीत व्यक्ति किसी प्रकार भी अपनी समग्र शक्ति तथा पूरी योग्यता का उपयोग अपने क्रिया कलापों में नहीं कर सकता है और उसके लिए ऐसी स्थिति में पूरी तरह से सफल हो पाना असंभव है ! अस्तु महापुरुषों के कहे अनुसार :

इस बात का पूरा भरोसा रखो कि तुम्हारा इष्ट प्रति क्षण तुम्हारे अंग संग है और तुम्हे उचित मंत्रणा और आवश्यक प्रेरणा दे रहा है ! अपने सभी कार्य करते समय लगातार "उसको" याद करते रहो ,उसका -"नाम जपते रहो (और उसका काम समझ कर अपना) काम करते रहो" ! पल भर को भी गुरुजन का यह कथन न भूलो कि तुम्हारे अंग संग प्यारे प्रभु जैसे सहायक के होते हुए कोई भी शक्ति, व्यक्ति अथवा परिस्थिति तुम्हारे कार्य बिगाड नहीं सकती और
तुम्हारा "बाल न बांका कर सके जो जग बैरी होय "

आत्म कथा - प्रियजन, अभी कुछ दिन पूर्व ,कम्प्यूटर की अस्वास्थ्ता के साथ साथ आपके इस वयस्क (बुज़ुर्ग) स्नेही स्वजन को भी कितनी ही बार होस्पिटलों तक दौड लगानी पडी ! आप तो जानते ही हैं ,मेरा ब्लॉग लेखंन तब जो थमा आज तक सम्हल नहीं पाया है ! लेकिन उन दिनों की अफरातफरी में मुझे ३४ वर्ष पूर्व,१९७८ में अपने "श्री रामाय नमः" नामक डबल एल पी एल्बम के लिए स्वरबद्ध किया तुलसीदास का एक पद बहुत याद आया !

उम्र और बीमारिओं के कारण अवरुद्ध कंठ से आजकल स्वर उतनी मधुरता से नहीं निकलते फिर भी आज आपको और अपने प्यारे प्रभु को भी बहुत दिनों के बाद अपनी दुर्बल थकी दुखी आवाज़ में ही यह पद सुना रहा हूँ ! एक प्रार्थना है प्यारे पाठकों कि आप भी मेरे साथ ये शब्द दुहराएं ! आनंद के साथ साथ आपको भी आपके हर कार्य में सफलता मिलेगी ,आपके मार्ग की सारी विघ्न बाधायें मिट जाएंगी !

जब जानकी नाथ सहाय करे तब कौन बिगार करे नर तेरो
(जय सिया राम जय सिया राम जय सिया राम जय जय सिया राम)

सूरज मंगल सोम भ्रीगू सुत बुध अरु गुरु वरदायक तेरो
राहु केतु की नाही गम्यता ,संग सनीचर होत उचेरो
जब जानकी नाथ सहाय करे तब कौन बिगार करे नर तेरो
(जय सिया राम जय सिया राम जय सिया राम जय जय सिया राम)




जाकी सहाय करे करुना निधि ताके जगत में भाग बड़ेरो
रघुवंशी संतन सुखदाई तुलसिदास चरनन को चेरो
जब जानकी नाथ सहाय करे तब कौन बिगार करे नर तेरो
(जय सिया राम जय सिया राम जय सिया राम जय जय सिया राम)

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निवेदक : व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
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1 टिप्पणी:

shalini kaushik ने कहा…

aap jaise shubhchintak hon to safalta milegi hi bhola ji aabhar