बुधवार, 14 सितंबर 2011

नाम महिमा


त्रि ताप से मुक्ति का सहज साधन
"नाम जाप"

सद्गुरु स्वामी सत्यानन्द जी महाराज ने हम पर अतिशय कृपा कर के ,१९६० में ही , हमे राम नाम की महिमा बता कर ,एक मात्र नाम सिमरन द्वारा ही अपने आप को त्रि तापों से मुक्त करने का सहज मार्ग बताया था ! दीक्षा के उस शुभ दिन से आज तक महाराज जी से मिला 'नाम' का वह अभेद कवच सभी देहिक , दैविक ,भौतिक तापों में मेरी रक्षा करता रहा ! ऐसा नहीं है कि मेरे जीवन में कष्ट आये ही नहीं अथवा जटिल समस्याओं ने मुझे नहीं घेरा, भारत में साधारण नागरिकों को जो उलझनें सतत सताती हैं , उनसे बाहुबली नेताओं के आलावा कोई बच ही नहीं सकता ! सो उन सब समस्याओं ने मुझे भी घेरा लेकिन "नाम" का "ओवर आल" पहने मैं बेदाग़ ,बाइज्जत काजल की कोठरियों से निकलता गया ! मेरा बल भी बांका नहीं हुआ ! मेरी आत्म कथा में ऐसी अनेकों घटनाओं का विवरण है ! बहुत कुछ लिख चूका हूँ , और भी लिखता रहूँगा जैसे जैसे "स्वामी" लिखवायेंगे !

अभी तो सद्गुरु महाराज की "अमृतवाणी" से चुने हुए नाम महिमा के कुछ पद पेश कर रहा हूँ , एक बार मन लगाकर इसका पाठ करलें -- भाव समझ लें , जीवन में उतार लें , कल्याण सुनिश्चित है आपका !

(आवश्यक नहीं कि सब के गुरुजन ने
"राम नाम" से ही उन्हें दीक्षित किया हो , अस्तु सब जन अपने अपने
गुरु से प्राप्त मंत्र का ही ध्यान जाप व सिमरन करें )
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नाम महिमा

राम राम जप हे मना अमृत वाणी मान
राम नाम में राम को सदा विराजित जान

राम नाम मुद् मंगलकारी विघ्न हरे सब पातक हारी

राम नाम शुभ शकुन महान स्वस्ति शांत शिवकर कल्याण
राम नाम जो जन मन लावे , उस में शुभ सब ही बस जावे
जहां हो राम नाम धुन नाद , भगे वहाँ से विषम विशाद
राम राम जपिये कर भाव ,सुविधा सुविधि बने बनाव

राम नाम सिमरो सदा अतिशय मंगल मूल
विषम विक्ट संकट हरन ,कारक सब अनुकूल

जपना राम राम है सुकृत , राम नाम है नाशक दुष्कृत
सिमरे राम राम ही जो जन ,उसका होवे शुचितर तनमन
जिसमे राम नाम शुभ जागे , उसके पाप ताप सब भागे
जिसमें बस जाय राम सुनाम , होवे वह जन पूर्ण काम
राम सिमरन होय सहाई , राम सिमरन है सुखदाई
राम सिमरन सबसे ऊंचा ,राम शक्ति सुख ज्ञान समूचा

राम राम ही सिमर मन , राम राम श्री राम
राम राम श्री राम भज , राम राम हरि - नाम
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निवेदक : व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
सहयोग : श्रीमती कृष्णा भोला श्रीवास्तव
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11 टिप्‍पणियां:

ZEAL ने कहा…

आपके संस्मरणों द्वारा बहुत कुछ सीखती हूँ। इस बार आपने इसे अपनी मधुर आवाज़ में गाकर उसका विडिओ क्यूँ नहीं लगाया। इसी बहाने आपकी आवाज़ सुनने को मिलती है।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

नाम महिमा सार्थक लगी ... आभार

G.N.SHAW ने कहा…

काकाजी प्रणाम - राम नाम से पत्थर भी पानी में तैरने लगते है !नाम की और राम की महिमा अपार है !

Bhola-Krishna ने कहा…

"जील जी", "गीत जी" एवं 'शा जी' - धन्यवाद , किन शब्दों में आभार व्यक्त करूं ? मैं जानता हूँ की आपके सब "कोम्प्लिमेंट्स" का वास्तविक अधिकारी वह "नटवर नागर" है जो पर्दे के पीछे छुपा कदम की छाँव में वंशी बजा रहा है ! प्रियजन आप "उन्हें" ही धन्यवाद दें , "उनका" ही आभार माने ! मेरे लिए वही ईनाम होगा ! किसी अगले ब्लॉग में विस्तार से अपने उद्गार व्यक्त करूंगा !

Patali-The-Village ने कहा…

नाम महिमा सार्थक लगी| धन्यवाद|

Rakesh Kumar ने कहा…

राम सुमर राम सुमर राम सुमर बाबरे
घोर भव नीर निधि नाम निज नाव रे.

आपकी सुन्दर प्रस्तुति ने राम का सुमिरन
कराया इसके लिए बहुत बहुत आभार.

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

नाम जाप एक अति प्राचीन पद्धति है.
इसके कारगर होने में कोई शक नहीं है।
कुछ लोग वाणी से उच्चारित करते हैं और कुछ लोग मन से जाप करते हैं.
किसी भी तरह से जाप किया जाए लेकिन जाप में निरंतरता रहने से वह जाप अखंड भाव से मनुष्य के अंतर्मन में जारी हो जाता है।
तीन माह के बाद आदमी चाहे सोता रहे या रोता रहे या गाता रहे कुछ भी वह जाप उसके अंदर चलता ही रहता है और जाप करने वाला उसे सुनता है।
दिल की आवाज़ को भौतिक जगत की अन्य ध्वनियों की तरह सुना जाना संभव है.
जिसे शक हो ख़ुद करके या हमारे पास आकर देख ले, सुन ले.
इस जाप से मन को शांति मिलती है लेकिन यह जाप तब तक ईश्वर की प्राप्ति का साधन नहीं बन पाता जब तक कि उसके आदेश निर्देश का पालन न किया जाए.
मन मानी के साथ नाम जाप से सिद्धि भी मिल सकती है और शक्ति भी लेकिन प्रभु का वह अनुग्रह नहीं मिल सकता जिसके लिए मनुष्य की सृष्टि की गई और उसे इस जगत में लाया गया।
उसके आदेश से काटने के बाद नाम जाप मात्र एक मनोरंजन भर है।

बेनामी ने कहा…

जय श्री राम , जय जय श्री राम ||

Deepak Saini ने कहा…

जय श्री राम, जय हनुमान

Unknown ने कहा…

भोला जी के ब्लॉग पर आकर सर्वांग सुख मिला, राम नाम की महिमा और जाप निःसंदेह सारे दुखो का निवारण कर देता है , ससम्मान आपको प्रणाम

रविकर ने कहा…

जय श्री राम , जय जय श्री राम ||