रविवार, 25 सितंबर 2011

नाम जप द्वारा उपासना -प्रार्थना

निष्काम सेवा ,सत्संग , सिमरन ,नाम जपन औ भजन कीर्तन
"इष्ट कृपा" पावें इनसे जन , कहते ऐसा अपने गुरुजन
(भोला)

हमारे सद्गुरु स्वामी सत्यानन्द जी महाराज के श्रीमुख से निसृत एक प्रवचन में मैंने सुना था कि 'साधना' में 'उपासना' और 'उपासना' में साधक द्वारा की हुई 'प्रार्थना' सबसे आसान और कारगर क्रिया है ! हमारा "नाम जाप" भी "प्रार्थना" का एक सरलतम रूप है ! नाम जाप द्वारा की हुई प्रार्थना से न केवल साधक की "आत्म जागृति" होती है ,वह "अपने इष्ट" के द्वार तक पहुंच कर "उनका" कृपा पात्र बन जाता है , उसे इतनी सिद्धि मिलती है कि साधक अपनी "प्रार्थना" द्वारा "लोक कल्याण" भी कर सकता है !

हमारे श्री राम शरणम के गुरुदेव श्री प्रेम नाथ सेठी जी महाराज ने सांसारिक कर्मों को बिना त्यागे और बिना कोई आडम्बर किये ,अपनी नाम जप की साधना द्वारा केवल प्रार्थना के बल पर कितने लोगों के कष्ट दूर किये ,कितना लोक कल्याण किया आज बहुत लोग नही जानते हैं ! हमारे सद्गुरु स्वामी सत्यानन्द जी महांराज उनके इस गुण से अवगत थे ! वह अपने प्रवचनों में अक्सर प्रेमजी महराज के इस गुण का ज़िक्र करते थे !

मैंने और मेरे परिवार ने ,लगभग ३० वर्ष (१९६० से १९९० के दशक तक) गुरुदेव प्रेम जी सेठी महाराज के सामीप्य का दिव्य आनंद उठाया है, उनका आशीर्वाद पाया है तथा आज अभी तक उनकी कृपा से लाभान्वित हो रहे हैं ! अपनी आत्म कथा में मैंने प्रेमजी महराज के आशीर्वाद से मुझे और मेरे पूरे परिवार को हुए कुछ अद्भत चमत्कारी लाभ प्रद अनुभवों का विस्तृत विवरण दिया है ! निजी अनुभवों से अधिक सत्य और क्या हो सकता है ? 'नामजप' साधना द्वारा की हुई प्रार्थना' से ,प्रेम जी महाराज द्वारा किये 'लोक कल्याण' का इससे अधिक उत्कृष्ट उदहारण और कौन सा बता सकता हूँ ! इस कथन में मेरा कोई निजी स्वार्थ नहीं है और न मैं इसके द्वारा दिवंगत श्री प्रेम जी महाराज के द्वारा प्राप्त 'सिद्धि' की पबलिसिटी ही कर रहा हूँ !

मैं आज भी, सौभाग्य से कुछ ऐसे दिव्यात्माओं को जानता हूँ जो सैकड़ों मील दूर रह कर भी जब हमे याद करते हैं तब उनकी शुभ कामनाओं की जीवनदायनी तरंगें हमारे पास पहुंच कर तत्क्षण हमारे अंतर को पूर्णतः आनंद से भर देती है !

प्रियजन , ,मेरे उपरोक्त कथन का एकमात्र उद्देश्य है कि मैं आपको विश्वास दिलाऊँ कि आप भी अपने गुरुजन से प्राप्त मंत्र के विधिवत जाप के द्वारा प्रार्थना करके , 'आत्म- जाग्रति' के साथ साथ "सिद्धि" की वह स्थिति प्राप्त कर सकते हैं जिससे आप को परसेवा ,परोपकार एवं परहित के कर्म करने की प्रेरणा मिले और इससे आपका 'कल्याण" भी सुनिश्चित' हो जाये !

चलिए हम मिल जुल कर एक प्रार्थना कर लें ! यह प्रार्थना मैंने अपनी सबसे छोटी पौत्री नंदिनी से , दिल्ली में २००८ में , जब वह केवल ८ वर्ष की थी ,सुनी थी ! यह प्रार्थना नंदिनी ने अपने स्कूल की संगीत शिक्षिका "शिवानी "जी से सीखी थी !

प्रार्थना
हे ईश्वर तुम हमको ऐसा वर औ शक्ती दो
निष्काम सेवा सत्संग सिमरन और अनन्य भक्ती दो


हे ईश्वर तुम हमको ऐसा वर औ शक्ती दो
निष्काम सेवा सत्संग सिमरन और अनन्य भक्ती दो
हे ईश्वर तुम मुझको ऐसा वर औ शक्ती दो

(नंदिनी द्वारा स्कूल में सीखे भजन की दो पंक्तियाँ )
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भेजा है तूने हमे इस धरा पर कि हम तेरी महिमा क गायन करें
हमारा हरिक कर्म हो तेरी पूजा ,सुफल कर्म के तुझ पे अर्पण करें
हे ईश्वर तुम हमको ऐसा वर औ शक्ती दो
("भोला"द्वारा रचित )

जीवन मिला है हमे दो दिवस का, इसे मिल के क्यूँ ना सजाते है हम ?
आपस में लडते झगड़ते सदा हम स्वयम अपना गौरव गंवाते है हम
हे ईश्वर तुम हमको ऐसा वर औ शक्ती दो
('भोला"द्वारा रचित)

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निवेदक :व्ही . एन. श्रीवास्तव "भोला"
सहयोग :डॉक्टर श्रीमती कृष्णा भोला श्रीवास्तव
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2 टिप्‍पणियां:

vandana gupta ने कहा…

तभी तो कहा गया है राम से अधिक राम का नामा…………वो ज्यादा बलवान है तभी तो उसके नाम ने क्या क्या चमत्कार किये सिर्फ़ श्रद्धा और विश्वास के साथ नित्य नाम जप करते चलो।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

प्रेरक प्रस्तुति