गुरुवार, 29 सितंबर 2011

दैनिक प्रार्थना (रविवार)

प्रथम दिवस की आराधना

कल श्री गीताजी तथा रामचरित मानस के जो अंश अपनी दैनिक प्रार्थना में पढ़ने के लिए प्रेषित किये थे, उन को पढ़ लेने के बाद,सप्ताह के प्रत्येक दिन गीता एवं रामायण के दूसरे अंश पढे जाते हैं ! मैं इस नवरात्रि भर, हर दिन के अलग अलग अंश आपको प्रेषित करूँगा ! संस्कृत वाले भाष्य को सहूलियत से पढ़ने के लिए उसका ऑडियो रेकोर्ड भी भेजुंगा जिससे आप भी हमारे साथ, साउंड ट्रेक के सहारे बोल कर संस्कृत में गीता का पाठ कर लेंगे !

आज मैं सप्ताह के प्रथम दिन पढ़ने वाले गीताऔर रामायण के अंश भेज रहा हूँ ! इनमे भी पहिले गीता के श्लोक है जिनमे योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने सम्पूर्ण मानवता को अभय दान देते हुए कहा :




रामचरित मानस से संकलित , मानव को प्रथम कर्तव्य बताते अंश

आज के रामचरित मानस से संकलित दोहे चौपाइयों में गोस्वामी तुलसीदास जी ने मानवता के कल्याण के लिए वे कर्तव्य बताये हैं जिन्हें अपनाकर मानव अपना जीवन पूर्णतः सफल बना सकता है ! तुलसी ने स्पष्ट कहा है कि हमारा जीवन तभी सफल होगा जब हम, समय से निद्रा त्याग कर, प्रातः उठते ही सर्वप्रथम माता पिता और गुरुजन के आशीर्वाद ले और कोई भी कार्य शुरू करने से पहले ,"कोसलपुर राजा" जैसे अपने "प्यारे प्रभु" को "हृदय राखि" कर, दिन भर के अपने सभी सांसारिक कर्तव्य कर्म पूरे करें ! 

तो लीजिए आप भी आज का मानस पाठ कर लें :




रामायण के इस पाठ का साउंड ट्रेक सुनने के लिए नीचे के प्लेयर में क्लिक करें.



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क्रमशः
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निवेदक : व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
सहयोग : कृष्णा जी , श्री देवी ,प्रार्थना एवं माधव
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2 टिप्‍पणियां:

Patali-The-Village ने कहा…

मन को सुकून पहुंचती प्रार्थना ।

bhola.krishna@gmail .com ने कहा…

अपने इष्ट की अखंड स्मृति बनी रहे इसीलिए हम ब्लॉग लेखन के बहाने "उन्हें" अधिक से अधिक याद कर लेते हैं ! प्रियजन ,विश्वासी जनों को ऐसी प्रार्थना से सुकून मिलता है ! यही "प्रभु " की कृपा का प्रसाद है ! राम जी की ऎसी ही कृपा सब पर बनी रहे !