बुधवार, 5 अक्तूबर 2011

दैनिक प्रार्थना (शुक्रवार)

जय श्री राम
विजय दशमी की हार्दिक बधाई
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श्रीमद भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण द्वारा बताये
तीन प्रकार के "कर्म" और "कर्ता'
"सात्विक , राजस , तामस"
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फल की आशा त्याग कर,बिना किसी राग द्वेष के , असंग हो कर किये गए नियमित सभी कर्म "सात्विक" कहे जाते हैं !! जो कर्म अहंकार बुद्धि से , फल की आश लगा कर, अधिक परिश्रम से किये जाते हैं , वे "राजस कर्म " है !! अज्ञानता से किये हुए कर्म , जिन्हें करते समय हानि लाभ, पौरुष, परिणाम तथा हिंसा का विचार न हो उसे "तामस कर्म" कहते हैं !

जो धीरजवान व्यक्ति , उत्साह से , बिना किसी लाग लगाव के , सिद्धि असिद्धि के विकारों से मुक्त हो कर अपने सभी कर्म करता है वह "सात्विक कर्ता" कहा गया है !! वह कर्ता जो विषयी हो, लोभी हो तथा हर्ष विषाद की मलिन भावनाओं से युक्त हो और कर्म करते समय फल प्राप्ति की कामना में लींन रहे उसे "राजस कर्ता" कहा गया है !! जो कर्ता स्वभाव से ही आलसी ,शठ , विषादी , घमंडी, लम्बी हांकने वाला , हिंसक प्रवृत्ति का हो , अशिक्षित और अविवेकी हो ,वह "तामसी" कह्लाता है !

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विजय रथ


विजयदशमी का यह गौरवपूर्ण पर्व , सात्विक=दैवी-शक्ति के हाथों तामसी-आसुरी- शक्ति की पराजय का एक जीवंत कथानक है ! नंगे पाँव बनवासी राम ने रथारूढ़ लंकापति रावण को पराजित कर के यह साबित कर दिया कि छोटी से छोटी दिखने वाली , दैवी शक्ति भी बड़ी से बड़ी आसुरी शक्ति को बात ही बात में पराजित कर सकती है !

राम चरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास ने श्री राम की वाणी से ऐसे धर्ममय "विजय रथ" के गुणों की उद्घोषणा करवाई है जिस पर सवार हो कर एक साधारण पैदल सिपाही बड़े बड़े अभेद सैन्य उपकरणों से सुसज्जित ,अजेय रिपुओं को भी पराजित कर सकता है !

श्री राम ने बताया कि " इस धर्म मय ,विजय रथ के पहिये हैं -शौर्य और धैर्य ; ध्वजा पताका हैं सत्य और शील ! इस रथ के घोड़े हैं : बल , विवेक , इन्द्रीय दमन और परोपकार - इन घोड़ों को क्षमा , दया और समता रूपी डोरी से जोडा गया है ! ईश्वर का भजन इस रथ का सारथी है ! वैराग्य उसकी ढाल है और संतोष तलवार है ; दान फरसा है, बुद्धि शक्ति है तथा विज्ञानं धनुष है ; निर्मल मन तरकस है जिस में संयम , अहिंसा ,पवित्रता के वाण पड़े हैं !सद्गुरु का आधार कवच है ! श्री राम ने अंततः कहा कि जिस वीर के पास इन दिव्य सनातन जीवन मूल्यों से लैस रथ है , उसे कोई सांसारिक शत्रु परास्त नहीं कर सकता !"


मानस में तुलसीदास जी ने निम्नांकित पदों में उपरोक्त सन्देश दिया है :


विजय रथ के इस विवरण को "भोला" की भोजपुरी धुन में सुनिए !


पुनः
प्यारे स्वजनों , अतिशय प्रिय ब्लोगर बंधुओं
राम राम
विजय दशमी के शुभ अवसर पर हमारी हार्दिक बधाई स्वीकार करें
प्यारे प्रभु की असीम कृपा आप पर सदा सर्वदा बनी रहे
आप धर्ममय विजय रथ पर आरूढ़ हो सफलता के उच्चतम शिखर चढ़ लें !

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क्रमशः
निवेदक : व्ही . एन. श्रीवास्तव "भोला"
सहयोग: श्रीमती कृष्णा जी तथा रानी बेटी श्री देवी (चेन्न्यी)
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1 टिप्पणी:

Patali-The-Village ने कहा…

आप को दशहरे पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ|