मंगलवार, 29 जनवरी 2013

स्वामी विवेकानंद के अनमोल वचन (English और हिन्दी में)



Swami Vivekanand 
Valuable Quotes
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स्वामी विवेकानंद के अनमोल वचन 
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1.  Arise, awake and stop not till the goal is reached.

१  उठो, जागो, [आगे बढ़ो] और उस क्षण तक न रुको जब तक तुम लक्ष्य तक पहुच न जाओ ! [जब तक तुम्हारा कार्य सिद्ध न हो जाये] !
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2   Come up, O lions, and shake off the delusion that you are sheep; you are souls immortal, spirits free, blest and eternal; ye are not matter, ye are not bodies; matter is your servant, not you the servant of matter.

२. शेरों आओ ! अपनी यह भ्रान्ति सदा के लिए मिटा दो कि तुम भेड बकरी हो ! केवल यह याद रखो कि तुम एक "अमर आत्मा" हो !  तुम पूर्णतः स्वतंत्र हो !  तुम्हारे ऊपर ,"प्यारे- प्रभु" की असीम कृपा है और उनकी ऎसी कृपा तुम पर सदा सर्वदा बनी रहेगी ! तुम स्थूल आकारधारी कोई 'जड़ पदार्थ' नहीं हो ! तुम 'देह' नहीं हो ! प्रभु ने संसार के सभी पदार्थ  तुम्हारे उपयोग के लिए बनाये हैं ! ये सब पदार्थ तुम्हारी सेवा करने के लिए हैं ! ये सब तुम्हारे सेवक हैं ! मानव तुम इन पदार्थों के गुलाम न बनो !
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3: All the powers in the universe are already ours. It is we who have put our hands before our eyes and cry that it is dark.

३. हमारे पास [मानव के पास] सृष्टि की समग्र शक्तियाँ विद्यमान है ! हम स्वयम अपने हाथों से अपनी आँखें मूंदे , रो रहें हैं कि सर्वत्र अन्धकार ही अन्धकार हैं !
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4.. As different streams having different sources all mingle their waters in the sea, so different tendencies, various though they appear, crooked or straight, all lead to God.

जैसे जल की विविध धाराएँ भिन्न भिन्न स्रोतों से निकल कर अन्ततोगत्वा एक दूसरे से गले लगती हुईं सागर में समा जातीं है वैसे ही विभिन्न धर्मों  की अलग अलग प्रवृत्तियाँ [जो बाहर से देखने में एक दूसरे से बहुत विलग लगती हैं ] ,वास्तव में अपने अनुयायियों को केवल "एक" परम सत्य -"परमात्मा" की ओर ही ले जाती हैं ! 
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5. All differences in the world are of degree and not of kind because ONENESS is the secret of everything .

बाहर से दिखने वाली संसार और संसारियों के बीच की सभी   विसंगतायें केवल "परिमाण" सम्बन्धी हैं , quantitative है ! वास्तव में इनमे कोई "गुण- भेद" है ही नहीं ! सभी धर्म , अपने अपने ढंग से मानव को अपने धार्मिक "इष्ट" तक  पहुचने के लिए उनके अपने निर्धारित मार्ग बताते हैं ,और उन्हें  वहाँ तक पहुचा भी देते हैं  ]  (चाहे जो भी नाम हो उनके "इष्टदेव" का ,'राम'  हो','शिव' हो अथवा 'श्याम', 'अल्लाह' या 'ईसा' अथवा कुछ भी हो )  


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6.   The more we come out and do good to others, the more our hearts will be purified, and God will be in them.

हम जितना बाहर निकलें और दूसरों का भला करें ,उतना ही हमारा ह्रदय शुद्ध होगा और हमारा प्यारा प्रभु हमारे निर्मल  ह्रदय मे निवास करेगा !
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7.    The world is the great gymnasium where we come to make ourselves strong.

संसार वह व्यायामशाला [जिम्नेशियम] है जहां हम [सब मनुष्य] शक्तिशाली बनने के लिए आते हैं !
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8.  You cannot believe in God until you believe in yourself.

८. बिना अपने आप में विश्वास किये तुम प्रभु में विश्वास नहीं कर पाओगे !
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9.  Truth can be stated in a thousand different ways yet each one can be true.

९. कोई भी सच्ची बात हजारों , अलग अलग ढंगों से बयान की जा सकती है ! लेकिन उस बात की सच्चाई बदलती नहीं  है ! अनेकों ढंग से बयान करने पर भी वह "एक' सत्य' सदा सत्य ही रहता है ! [सत्य सनातन है] 
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10.   Condemn none . If you can stretch out a helping hand , do so.

१०. किसी को निरर्थक न मानो ! यदि तुम अपनी बाहें फैला सकते हो तो दूसरों की सहायता के लिए आगे बढ़ो !
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11.  If you cannot fold your hands , bless your brothers and let them go their own way.

११. यदि तुम अपने हाथ नहीं जोड़ सकते  तो उन्हें ऊपर उठाकर अपने भाइयों के लिए दुआ मांगो और उन्हें उनके अपने रास्ते पर आगे बढने दो !
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12.  In  one word, the ideal is that "You are Divine" 

१२ .एक शब्द में बताऊँ कि आप क्या हैं ? "आप दिव्य हैं"
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13.  If money helps  a man to do good to others, it is of some value; but if not, it is simply a mass of evil, and the sooner it is got rid of, the better.

१३. 'सम्पत्ति' यदि मनुष्य को 'परोपकार' करने की प्रेरणा दे, तो वह सार्थक है ! परन्तु यदि  ऐसा नहीं हो तो वही सम्पत्ति कूडे के ढेर के सदृश्य निरर्थक है और शीघ्रातिशीघ्र उससे छुटकारा पा लेना ही हितकर है !
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क्रमशः 
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सूचना 
उपरोक्त अंग्रेजी भाषा के quotes , स्वामी विवेकानंद जी के जीवन सम्बन्धी 
प्रकाशित साहित्य से लिए गये हैं !
सम्भव है भाषा शास्त्रियों  को हमारा उन अंग्रेजी सूत्रों का हिन्दी अनुवाद 
अक्षरशः सही  न लगे !
 प्रियजन हमने अपने सामर्थ्य अनुसार तथा गुरुजन से प्राप्त प्रेरणा के सहारे उन सूत्रों में व्यक्त स्वामी जी के  विचारों को हिन्दी में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है ! 
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निवेदक : व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
सहयोग : श्रीमती कृष्णा भोला श्रीवास्तव 
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1 टिप्पणी:

Shalini kaushik ने कहा…
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