बुधवार, 26 नवंबर 2014

धन्यवाद दिवस THANKSGIVING DAY

धन्यवाद दिवस  
धन्यवाद प्रदर्शन के लिए 'वर्ष' में केवल एक दिवस ही क्यों ? 

प्रियजन , उचित होगा कि हम जीवन के प्रत्येक पल अपने " प्रियतम प्रभु" को धन्यवाद दें जिन्होंने केवल हमे ही नही वरन समस्त मानवता को यह देव दुर्लभ मानव काया दी है और उन सारे व्यक्तियों , वस्तुओं तथा परिस्थितियों का निर्माण किया है जिनसे उपकृत होकर हम आज उन विशिष्ट व्यक्तियों को धन्यवाद देने हेतु इतने आयोजन कर रहें हैं ! 

क्यों न आज हम "उन" एकैवाद्वितीय प्रभु को धन्यवाद दें जिन्होंने हमारी सुखसुविधा के लिए , झिलमिलाती जगमगाती नीली चादर में लिपटी इस समग्र सृष्टि का निर्माण किया ! 

क्यों  न हम "उन्हें" धन्यवाद दें जिन्हें हम जैसे साधारण लोग कभी कभी "नीली छतरी वाले" कह कर संबोधित करते हैं और पुरातन काल से आज तक भारतीय ज्ञानी  संत महात्मा जनों ने जिनकी वंदना " नीलाम्बुज श्यामलम् कोमलांगम" जैसी संज्ञा से की है !


प्रियजन ,मेरी निजी धारणा है कि , हम प्रति दिवस , प्रात शैया छोड़ने के साथ  एक बार उस "प्यारे प्रभु - सृष्टिकर्ता" को हार्दिक धन्यवाद देते हुए  प्रणाम करे और केवल यह कहें कि  ,

"हें नाथ ,
बड़ी कृपा है आपकी !
ऎसी ही कृपा अपनी इस समग्र सृष्टि पर सदा बनाये रखिये!"
--------------------------------------------------------------------
'नीली छतरी वाले', 'श्यामल वदन श्रीकृष्ण' 
की यह वन्दना प्रस्तुत है 
दासानुदास "भोला" की वाणी में 
----------------------------------- 
श्यामल वदन सुखधाम हें श्रीकृष्ण शोभाधाम 
पाते सभी विश्राम सुमिरन कर तुम्हारा नाम 


================================
निवेदक  व्ही. एन . श्रीवास्तव "भोला"
सहयोग: श्रीमती कृष्णा 'भोला' श्रीवास्तव 
--------------------------------------

कोई टिप्पणी नहीं: