रविवार, 16 जून 2019

हे प्यारे पिता  
तेरे चरण कमलों में  शत शत नमन  
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तेरे चरणों में प्यारे 'हे पिता'    ,मुझे ऐसा दृढ विश्वास हो
कि मन में मेरे सदा आसरा तेरी दया व मेहर की आस हो 
[ राधा स्वामी सत्संग - द्यालबाग ]
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आदिकाल से सभी धर्म ग्रंथों में इस सम्पूर्ण सृष्टि  के सर्जक , उत्पादक,पालक,-संहांरक सर्वशक्तिमान भगवान को  "पिता" क़ह कर पुकारा गया है!  

हिन्दू धर्म ग्रन्थों में उन्हें "परमपिता" की संज्ञा दी गयी है ! ईसाई धर्मावलंबी उन्हें अतीव श्रद्धा सहित "होलीफादर" कह कर संबोधित करते हैं ! 

हमारी "ब्रह्माकुमारी" बहनें उसी परम आनन्द दायक , अतुलित शक्ति प्रदायक , ,ज्योतिर्मय ,शान्तिपुंज  को "शिवबाबा" की  उपाधि से विभूषित करके ,सर्वशक्तिमान निराकार परब्रह्म परमेश्वर से साधको  के साथ  पिता और सन्तान  सा सम्बन्ध दृढ़  करतीं हैं ! 

कविश्रेष्ठ श्री प्रताप नारायणजी के समर्पण -भाव से भरी यह पंक्ति कितनी सार्थक है --

पितु मात सहायक स्वामी सखा तुम्ही इक नाथ हमारे हो 
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उपकारन को कछु अंत नहीं छिन ही छिन जो विस्तारे हो 
[ हे पिता ! तुम्हारे उपकार इतने विस्तृत  हैं कि उनसे उऋण  हो पाना असम्भव है ]
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https://youtu.be/jjd67BJ9X64

निवेदक:   व्ही.  एन . श्रीवास्तव "भोला"

सहयोग : श्रीमती कृष्णा भोला श्रीवास्तव 



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