गुरुवार, 15 मई 2025

जानकी जी के प्राकट्य उत्सव पर बधाई

राजा जनक राजधिराज के सभी गुणों के धनी है, ग्यानी हैं, ध्यानी हैं, धर्मशील हैं, संत स्वभाव है, पवित्र आचरण से युक्त हैं, प्रजापालक हैं, आसक्ति रहित होने से विदेह कहलाते हैं उनकी प्रजा सद्विवेकी है, सदाचारी है, सर्वगुण सम्पन्न है फिर भी उनके राज्य काल में ऐसी त्रासदीआई जिसने त्राहि त्राहि मचा दी । मिथिलेश नगरी में वर्षा नहीं हुई। भयंकर अकाल पड़ गया ।

महाराज विदेह ने अपने गुरुदेव शतानंद जी से विचार विमर्श किया कि इस समय क्या करें, कैसे इस त्रासदी से जनता जनार्दन को बचाये, कैसी जीव-जंतुओं की रक्षा करें ?

गुरुदेव ने कहा कि - आप कृषक की भाँति हल चलाएं, तो बरसात होगी, और अकाल से छुटकारा मिल जाएगा । इस समस्या का यही हल है । 

गुरुदेव के सुझाव को शिरोधार्य कर विदेह राजा जनक ने खेत में जा कर हल चलाया, तो हल चलाते हुए हल का फल घट से टकरा गया और धरनी से प्रगट हो गयी सीता मैया, जो जगत जननी हैं । 

जगजननी माँ के अवतरण पर कैसे कोई दुखी रह सकता है, कैसे कोई आपदा विपदा जान समूह को त्रासित कर सकती है ।

संत तुलसी दास की वाणी में --------

जनक सुता जग जननी जानकी ।
अतिसय प्रिय करुनानिधान की ।।
 
जगत माता जानकी जी के प्राकट्य उत्सव को दर्शाती यह बधाई प्रस्तुत है, 
 

बाजे बाजे रे बधैया जनकपुरी में । 
जनकपुरी में, मिथलेश नगरी में ।
जनकसुता जगमात भवानी ।
प्रगटी घट विच धरनि उदर में ।

बाजे बाजे रे बधैया जनकपुरी में 

समाचार नृप तुरत पठायो ।
 रानी सुनयना अति हरषायो ।
तुरत गवैयन टेर बुलायो । 
आओ सब मिल नाचो गाओ ।

बाजे बाजे रे बधैया जनकपुरी में 

जनकराज के मीत पुराने । 
बुढ़ऊ भोला भाट सयाने ।
गावन लागे नग्मे पुराने ।
आय गए रे नाचते गाते ।।

बाजे बाजे रे बधैया जनकपुरी में 

शब्द-शिल्पी, स्वर संयोजक, गायक - व्ही.  एन.  श्रीवास्तव 'भोला'
 सहयोगिनी - श्रीमती डॉ.  कृष्णा श्रीवास्तव 

शनिवार, 19 अप्रैल 2025

मेरा राम सब दुखियों का सहारा है - व्ही. एन. श्रीवास्तव

ये भजन १९६३-६५ के लंदन प्रवास के दौरान लिख और टेप कर के घरवालों को इंडिया भेजा था। 


कुछ शब्द फेर बदल के, इसका संशोधित रूप अंतरध्वनि में छापा गया था। 

लीजिए, अब आप भी इसे सुनिए । 



मेरा राम, सब दुखियों का सहारा है ... 

उसके पास वो दौड़ के जाता,
आरत जन जो उसे बुलाता, 
गीध अजामिल गज गणिका को, 
उसने पार उतारा है, उतारा है,
मेरा राम, सब दुखियों का सहारा है ...

देश-विदेश जहाँ जो रहता,
प्रभु सबकी ही रक्षा करता, 
सब प्राणी हैं उसको प्यारे,
वो सबका रखवारा है, रखवारा है,
मेरा राम, सब दुखियों का सहारा है ...

सब पे कृपा की वर्षा करता,
दुखियों के सारे दुख हरता, 
सब पापों को पावन करता,
केवल राम हमारा है, हमारा है,
मेरा राम, सब दुखियों का सहारा है ...

मेरी भी नैया पार करेगा, 
मेरे सारे कष्ट हरेगा, 
हम सब को वो प्यार करेगा,
यह विश्वास हमारा है, हमारा है,
मेरा राम, सब दुखियों का सहारा है ...

- व्ही. एन. श्रीवास्तव 

सोमवार, 14 अप्रैल 2025

मेरे रोम रोम श्री राम विराजे - व्ही. एन. श्रीवास्तव 'भोला'

स्वामी अखंडानंद जी की मान्यता है कि "अनन्य भक्ति का प्रतीक है, सर्वदा सर्वत्र ईश दर्शन ! साधक के हृदय में भक्ति का उदय होते ही उसे सर्व रूप में अपने प्रभु का ही दर्शन होता है !"

२००८ का अंत, कोमा में, अस्पताल में, आई सी यू में पड़ा हुआ था, एक मध्य रात्रि थोड़ा होश आया, रात्रि की नीरवता में मेरे कान में सस्वर इस भजन की एक पंक्ति सुनायी दे रही थी! कहाँ से आ रही थी वह आवाज़ मुझे नहीं मालूम, पर ये शब्द साफ साफ मुझे सुनायी दिए। 

उस समय, "कोमा" के बीच, होश आने पर, मैं कुछ बडबड़ाया जिसे ड्यूटी नर्स ने एक पुर्जी पर नोट कर लिया ! प्रियजन, अगले प्रातः धर्म पत्नी कृष्णा जी ने वह पर्ची पढ़ी, उसमे लिखा था :-

रोम रोम 'श्रीराम' बिराजें धनुष बाण ले हाथ 
माता सीता लखनलाल अरु बजरंगी के साथ  
(आये कोई लगाये हाथ)

इसी मुखड़े पर आधारित, यह भजन उसके बाद पूरा लिखा एवं गाया। 

रोम रोम श्रीराम बिराजे धनुष बाण ले हाथ । 
जनक लली, श्री लखन लला अरु महावीर के साथ ।।

वन्दन करते राम चरण अति हर्षित मन हनुमान । 
आतुर रक्षा करने को सज्जन भगतन के प्रान । 
अभयदान दे रहे मुझे करुणा सागर रघुनाथ ।। 
रोम रोम श्रीराम बिराजे धनुष बाण ले हाथ ।।

मुझको भला कष्ट हो कैसे, क्यों कर पीड़  सताए । 
साहस कैसे करें दुष्ट जन, मुझ पर हाथ उठाए । 
अंग संग जब मेरे हैं संकटमोचन के नाथ ।। 
रोम रोम श्रीराम बिराजे धनुष बाण ले हाथ ।। 

विघ्न हरे, सद्गुरु के आश्रम स्वयं राम जी आये । 
शाप मुक्त कर दिया अहिल्या को पग धूर लगाये । 
वैसे चिंता मुक्त हमें कर रहे राम रघुनाथ ।। 
रोम रोम श्रीराम बिराजे धनुष बाण ले हाथ ।।

रोम रोम श्रीराम बिराजे धनुष बाण ले हाथ । 
जनक लली, श्री लखन लला अरु महावीर के साथ ।।

 



मेरे रोम रोम श्री राम विराजते  रहे, यही मेरी इच्छा  है । 

- व्ही. एन. श्रीवास्तव 'भोला'

शनिवार, 12 अप्रैल 2025

अंजनिसुत हे पवनदुलारे - व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"

 हनुमान जयंती के उपलक्ष्य में सुनिए हनुमान वंदना - अंजनिसुत हे पवनदुलारे 

गुरु भजन प्लेलिस्ट - व्ही. एन. श्रीवास्तव 'भोला'

आज परम पूज्यनीय स्वामी सत्यानंद जी महाराज का प्राकट्य दिवस है।
सबको स्वामी जी महाराज के प्राकट्य दिवस की बधाइयाँ व राम राम।

लीजिए,
आप भी इस अवसर पर गुरु आज्ञा एवं गुरु कृपा पर लिखे और गाए
मेरे भजनों को निम्न प्लेलिस्ट से सुनिए एवं आनंद उठाइए । 


 गुरुजन ऐसी कृपा करें कि मैं आजीवन भजन कीर्तन से रामजी को रिझाता रहूँ ।


-  व्ही. एन. श्रीवास्तव 'भोला'

सोमवार, 7 अप्रैल 2025

जगदंबिके जय जय जगजननी माँ - व्ही. एन. श्रीवास्तव 'भोला'


सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। 
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते। 

जगदंबिके जय जय जगजननी माँ 

क्या मनहर नाम सुहाया है 
वारूँ सब कुछ माँ चरणों पर 
मेरे मन को ये भाया है 

जगदंबिके जय जय जगजननी माँ 
जय माँ .....जय माँ .. जय माँ .....जय माँ ..
जगदंबिके जय जय जगजननी माँ 

श्रीराम तू ही श्रीकृष्ण तू ही 
दुर्गा काली श्रीराधा तू 
हे माँ हे माँ
ब्रह्मा विष्णु शिवशंकर में 
तेरा ही तेज समाया है 

जगदंबिके जय जय जगजननी माँ 
जय माँ .....जय माँ .. जय माँ .....जय माँ ..
जगदंबिके जय जय जगजननी माँ 

मैं जो पाऊँ तुझसे पाऊँ 
जो देवे उसमें हरषाऊँ 
कुछ रहे न मेरा अपनापन 
मैंने सर्वस्व चढ़ाया है 

जगदंबिके जय जय जगजननी माँ 
जय माँ .....जय माँ .. जय माँ .....जय माँ ..
जगदंबिके जय जय जगजननी माँ 

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हरि ओम शरण जी का परम लोकप्रिय भजन,
जगदम्बिके जय जय जग जननी माँ,

मेरे एवं भोला परिवार के समवेत स्वरों में । 


निवेदक: व्ही एन श्रीवास्तव 'भोला'

रविवार, 6 अप्रैल 2025

श्री राम नवमी की बहुत बहुत बधाई

 श्री राम नवमी के पावन अवसर पर सब को बहुत बहुत बधाई । 

इस अवसर पर हमारे १९७३  में बने एल पी सेट 'श्री राम गीत गुंजन' के ये बधाई गीत सुनिए । 

शनिवार, 5 अप्रैल 2025

राधे राधे, श्याम मिला दे

 राधा अष्टमी के पावन अवसर पर सबको बहुत बहुत शुभकामनाएं। 

सुनिए, डॉ. श्रीमती प्रेमलता पालीवाल के स्वर में, श्री श्री माँ आनंदमयी के वृंदावन आश्रम में 1978 में गायी हुई,  हृदय को आनंदित करती हुई यह धुन - राधे राधे, श्याम मिला दे । 

शुक्रवार, 4 अप्रैल 2025

नमामि अम्बे दीन वत्सले - भोला परिवार

1970s में योगशक्ति माँ द्वारा लिखा एवं मेरी छोटी बहन माधुरी द्वारा स्वरबद्ध किया
 ये भजन,
भोला परिवार के समवेत स्वरों में। 


 नमामि अम्बे दीन वत्सले,
तुम्हे बिठाऊँ हृदय सिंहासन,
तुम्हे पिन्हाऊँ भक्ति पादुका,

नमामि अम्बे भवानि अम्बे ..

श्रद्धा के तुम्हे फूल चढ़ाऊँ,
श्वासों की जयमाल पहनाऊँ,
दया करो अम्बिके भवानी,

नमामि अम्बे भवानि अम्बे ..

बसो हृदय में हे कल्याणी,
सर्व मंगल मांगल्य भवानी,
दया करो अम्बिके भवानी,

नमामि अम्बे भवानि अम्बे ..  

प्राण भरो प्राण भरो प्राण भरो
जगदंबिके 

शत शत शत शरदाम्बिके
जगदंबिके 

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते। 
 नारायणि नमोऽस्तुते। 

बुधवार, 2 अप्रैल 2025

सर्वमंगल मांगल्ये - व्ही. एन. श्रीवास्तव 'भोला'


सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। 
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते। 

मंगलवार, 1 अप्रैल 2025

मैया, मुझे दर्शन दो - व्ही. एन. श्रीवास्तव 'भोला'


श्री श्री माँ आनंदमयी की कृपा एवं दर्शन का सौभाग्य कई बार प्राप्त हुआ। फिर भी है अतृप्त यह बालक अब भी खोजे घड़ी-घड़ी। इस नवरात्रि में माँ से यही प्रार्थना है :-


आज पुनः मम जगी पिपासा को दरशन दे शांत करो ।

मैया मुझे दरशन दो, दरशन दो, दरशन दो ।

एक बार फिर मम अंतरघट आनंद अमृत से भर दो ।

मैया मुझे दरशन दो, दरशन दो, दरशन दो ।

जय शिवशंकर त्रिपुरारी

 शिव शंकर   समर्थ,सर्वग्य,,सर्व कलाओं और सर्व गुणों के आगार हैं ,योग ,ज्ञान और ,वैराग्यकेभण्डार हैं !  वे कल्याणस्वरूप हैं,करुणानिधि हैं ,भक्तवत्सल हैं ,कल्पतरु की भांति  शरणागत को वरदान देने वाले   देव हैं !


हमारे  ऋषि मुनियों ने साक्षात्कार के अनुभूत तथ्यों के  आधार पर"ओंकार" के मूल विभु व्यापक तुरीय  शिव के  निराकार ब्रह्म स्वरूप को  साकार स्वरूप दे कर उसे अलौकिक वेशभूषा  से सुसज्जित किया है ! उनके  शरीर  को भस्म से विभूषित  किया है ,  गले में सर्प और  रुंड मुंड की माला डाली है ,  जटाजूट में पतित पावनी "गंगधारा" को विश्राम दिया है  ,  भाल  को दूज के चाँद से अलंकृत किया है ,  एक हाथ में  डम डम   डमरू  तो दूसरे हाथ  त्रिशूल दिया है 1


 "भोला" के वयोंवृद्ध कंठ से प्रस्फुटित   
 शंकर वंदना 
जय शिवशंकर त्रिपुरारी ,

जय शिवशंकर त्रिपुरारी !
जय जय   भोले   भंडारी   ! जय आशुतोश   कामारी !!
जय शिवशंकर त्रिपुरारी ! 

गौर वदन माथे पर चंदा , 
जटा संवारें सुरसरि गंगा !!
चिताभसम तन धारी !  जय शिवशंकर त्रिपुरारी !!

उमा सहित कैलाश बिराजे ,
गणपति कार्तिक नंदी साजे !
छवि सुंदर मन हारी ! जय शिवशंकर त्रिपुरारी !! 

भक्त जनन पर कृपा करत हो, 
दुख दारिद भव ताप हरत हो ,!
हमका काहे बिसारी ?  जय शिवशंकर त्रिपुरारी !!
जय जय   भोले   भंडारी   ! जय आशुतोश   कामारी !!
जय शिवशंकर त्रिपुरारी ! 
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 सर्व- कष्ट -निवारक - "महामृत्युंजय मंत्र" 
ओम त्रियम्बकम यजामहे सुगंधिम पुष्टि वर्धनम 
उर्वारुकमिव  बंधनान  मृत्युर मुक्षीय माम्रतात !!
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( शब्द एवं स्वरकार-गायक "भोला")
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निवेदक ;  व्ही   एन श्रीवास्तव  "भोला"
सहयोग ;  श्रीमती डॉ. कृष्णा भोला श्रीवास्तव 
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LINK 
+https://youtu.be/ZavOzVsM1XM

सोमवार, 13 जनवरी 2025

अरज़ करौँ कर जोरि बिहारी - रचयिता स्वर संयोजक एवं गायक --व्ही. एन. श्री...


जब हमारे जीवन में कोई ऐसी घटना घटती है जहाँ हमारा सामर्थ्य, हमारा बल, हमारा विवेक, हमारा विचार सभी निष्फल हो जाता है तब उस समय कोई अनजान अदृश्य शक्ति हमें उस आपत्ति से निकाल कर हमारी रक्षा करती है ।  प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष स्वरुप में प्रकट हो कर  श्री बांके बिहारीजी   एक से एक भीषण आपत्तियों से विश्व की रक्षा करें ,इसी भावना के साथ इस भजन को प्रस्तुत किया है 
निवेदक -  वही, एन   श्रीवास्तव  'भोला''

शनिवार, 11 जनवरी 2025

Mhaaraa Raamlalaa Ghar Aaya Re- Singer V N S 'Bhola" and Dr Shivan...

श्री रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की प्रथम वर्षगाँठ के परम पावन अवसर पर उनकी सेवा में समर्पित संगीतमय ुप्रस्तुति 
निवेदक - व्ही  एन  श्रीवास्तव ;भोला'  , एवं उनका परिवार