गुरुवार, 8 अप्रैल 2010

भजन: अंजनि सुत हे पवन दुलारे

अंजनि सुत हे पवन दुलारे
हनुमत लाल राम के प्यारे

अतुलित बल पूरित तव गाता
असरन सरन जगत विख्याता
हम बालक हैं सरन तुम्हारे
दया करा हे पवन दुलारे
अन्जनि सुत हे पवन दुलारे

सकंट मोचन हे दुख भजंन
धीर वीर गम्भीर निरन्जन
हरहु कृपा करि कष्ट हमारे
दया करा हे पवन दुलारे
अन्जनि सुत हे पवन दुलारे

राम दूत सेवक अनुगामी
विद्या बुद्धि शक्ति के दानी
शुद्ध करो सब कर्म हमारे
दया करा हे पवन दुलारे

अन्जनि सुत हे पवन दुलारे
तुम बिन को सागर तर पाता
लंका जारि सिया सुधि लाता
राम लखन का को धीर बंधाता
कैसे होते सब सुखियारे
दया करा हे पवन दुलारे

अन्जनि सुत हे पवन दुलारे
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बड़े भैया द्वारा सूटर गंज कानपूर के आगंन में लगाई श्री हनुमान जी की ध्वजा से प्रेरणा मिली
आरै यह हनुमान वन्दना १९८३ में बनी

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