गुरुवार, 15 सितंबर 2011

संगीता स्वरूप "गीत" की गजल - "भरमाये हैं"

"भरमाये हैं"
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सुश्री संगीता स्वरूप "गीत" जी के ब्लॉग में उनकी उपरोक्त गजल पढ़ी !
पहला शेर पढते ही उनके शब्दों में निहित आज के भारत की
"गंदी राजनीति"
की वास्तविकता उजागर हो गयी !
("गंदे" के लिए , इससे गंदा शब्द मेरे मुंह से निकलेगा ही नहीं )
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मध्य रात्रि थी , बिस्तर छोड़ कर मैं तुरंत अपने केसियो सिंथेसाइजर पर बैठ गया ! दैविक प्रेरणा से , संगीता जी की ये गजल थोड़े परिवर्तित शब्दों के साथ, मेरे कंठ से प्रस्फुटित होने लगी ! गजल को स्वर बद्ध करके "गेय" बनाने के लिए शब्दों में हेर फेर करने की देवी- प्रेरणा हुई ,पर मैं इसका अधिकारी नहीं था , अस्तु 'गीत जी"से अनुमति मांगी और उन्होंने अति उदारता से मुझे अनुमति दे भी दी ! उनका आभार व्यक्त करते हुए उनकी वही गजल आप सब की सेवा में प्रस्तुत कर रहा हूँ !

(प्रियजन , मैं भारत से हजारों मील दूर हूँ
उतनी बारीकी से वहाँ की स्थिति का आंकलन नहीं कर सकता ,
आप वहीं हैं और उस वीभत्स परिस्थिति को धीरज से झेल रहे हैं !
आपके धैर्य को नमन करता हूँ )
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"गीत" जी की गजल
"भरमाये है "
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बावफा हैं मगर हम बेवफा कहलाए हैं
आज अपनों नें ही नश्तर हमे चुभाये हैं

चाहते थे न करे जिनपे यकी हम हरगिज़
आज दानिस्दा उन्ही के फरेब खाए हैं

है सियासत बुरी, क्यूँकर करें हम उनपे यकीं
झूठे वादों से जो जनता का मन लुभाए हैं

कैसे विश्वास करे "गीत" ऐसे लोगों का
भ्रमित स्वयम हैं, औरों को भी भरमाये हैं

बावफा हैं मगर हम बेवफा कहलाए हैं
आज अपनों नें ही नश्तर हमे चुभाये हैं

(मूल शब्द श्रजक - संगीता स्वरूप "गीत ")
संशोधक , स्वर शिल्पी एवं गायक : "भोला"
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यह गजल वीडियो रेकोर्ड कर के आपकी सेवा में भेज रहा हूँ !
उम्र और रोगों के कारण मेरी भर्राई आवाज़ के लिए क्षमा करियेगा !

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निवेदक : व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
सहयोग : धर्मपत्नी कृष्णा जी एवं पौत्र गोविन्द जी
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11 टिप्‍पणियां:

  1. काकाजी प्रणाम - संगीता जी के गजल को आपने आवाज जी - बहुत मधुर और प्रिय लगी !

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  2. काकाजी आपकी आवाज में संगीताजी की गजल सुनकर काफी प्रभावित हुई मैं .....बेहतरीन

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  3. व्ही० एन० श्रीवास्तव जी ...

    आज बहुत गौरवान्वित महसूस कर रही हूँ .. आपकी गायकी के साथ लग ही नहीं रहा कि यह मैंने लिखी है ... क्यों कि खुद को इस लायक नहीं समझती .. आपका आशीर्वाद मिला आभारी हूँ ..
    बहुत बहुत शुक्रिया एक बार फिर .

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  4. अहा! मन ख़ुश हो गया। आपने तो इस ग़ज़ल में जान ही डाल दी है।

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  5. श्री श्रीवास्तव जी की गायकी ने तो गज़ल में चार चाँद लगा दिए हैं ! जितनी खूबसूरत गज़ल पढ़ने के बाद लगती है उससे कहीं बेहतर सुनने के बाद लग रही है ! आदरणीय श्रीवास्तव जी की गायकी भी कमाल की है ! इस उम्र में भी उनकी स्वरों पर पकड़ काबिले तारीफ़ है ! इसे सुनवाने के लिये आभार एवं धन्यवाद !

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  6. .

    पिताजी,
    आपकी इस प्रस्तुति ने मन मुग्ध कर दिया। सुबह-सुबह आपकी ममतामयी आवाज़ में संगीता जी की उत्कृष्ट ग़ज़ल सुनकर मन अति प्रसन्न और हर्षित है। आपके अच्छे स्वास्थ्य की कामना के साथ, आपकी बिटिया।

    .

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  7. श्री वास्तव जी की आवाज़ ने तो संगीता जी की गज़ल मे चार चांद लगा दिये…………वाह………आनन्द आ गया।

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  8. मेरे परम प्रिय पाठकों ,
    मैं तो "उनका" लिपिक मात्र हूँ ! एक रर्ह्स्योद्घाटन करूं ,अक्सर मध्य रात्रि के बाद-,"वह" डिक्टेट करते है मैं लिख देता हूँ ! "वह" धुन सुना देते है मैं गा देता हूँ ! इसमें मेरा अपना निजी कोई योगदान नहीं है और यह मेरे जीवन का एक बहुत पुराना क्रम है, न होगा तो ७० -७५ वर्ष पुराना तो है ही !

    प्रियजन , धन्यवाद, साधुवाद, आभार सब का एकमात्र अधिकारी "वह परम" है !मेरा इतना ही अनुरोध है कि मेरे लेख पढ कर , मेरा गायन सुन कर यदि आप केवल एक बार ही "अपने इष्ट" का नाम (चाहे "वह" जो भी हो) सुमिरन कर लो तो मेरा पारितोशिक मुझे मिल जायेगा !मैं धन्य हो जाउंगा

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  9. आदरणीय भोला अंकल
    प्रणाम
    आज पहली बार यहाँ आया हूँ| दिव्या दीदी के ब्लॉग पर आपको देखा| उनके दिए लिंक से यहाँ तक आया|
    आकर बहुत अच्छा लगा| आपकी मधुर आवाज़ में यह ग़ज़ल सुनकर मन बहुत प्रफुल्लित हो गया है|
    अब तो आपकी आवाज़ सुनने यहाँ आता रहूँगा|

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