सिया राम के अतिशय प्यारे,
अंजनिसुत मारुति दुलारे,
श्री हनुमान जी महाराज
के दासानुदास
श्री राम परिवार द्वारा
पिछले अर्ध शतक से अनवरत प्रस्तुत यह

हनुमान चालीसा

बार बार सुनिए, साथ में गाइए ,
हनुमत कृपा पाइए .

आत्म-कहानी की अनुक्रमणिका

आत्म कहानी - प्रकरण संकेत

शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

शरणागति

शरणागत वत्सल हैं 'राम'
'उनकी' चरनशरन में रख दे जो निज जीवन प्रान
निश्चय हो जायेगा उसका सर्वांगी उत्त्थान
शरणागत वत्सल हैं 'राम'
"श्री राम जय राम जय जय राम"
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[ प्रियजन , अपने ८२ वर्ष के निजी अनुभव के आधार पर ,दावे के साथ कहता हूँ ,
मेरी बात मान कर ,एक बार आप "उनकी"
चरन शरन में तन मन जीवन अर्पण कर के देखो तो-
"होगा निश्चय ही कल्याण"
"बोलो राम बोलो राम बोलो राम राम राम"
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(गतांक के आगे)

उस बर्फीली तूफानी शाम , दीपावली उत्सव के आमोद - प्रमोद का आनंद ले कर सब मेहमान अंधकारमयी रात्रि के आगमन से पूर्व ही सुरक्षित अपने अपने घर पहुंच गए ,यह प्रभु की अपार कृपा रही ! उनके जाने के बाद अपने परिवार वाले ही घर में बचे थे ! मीनाक्षी बेटी को उस रात अनीश,आनंद और रानीबेटी " श्रीदेवी कुमार" की पुत्री रक्षा के साथ वहाँ रुकना ही पड़ा क्यूंकि उस भयंकर रात में "एण्डओवर से प्रोविडेंस" तक की यात्रा करना असम्भव था !

आमतौर पर अमेरिका में पार्टी के बाद भारतीय मेहमान भी मेजबान के साथ मिल कर पार्टी के सारे जूठे बर्तन "डिश वाशर" में डलवाकर कर और रसोई की साफ़ -सफाई करवा कर ही अपने अपने घर जाते हैं मगर उस रात ऐसा सम्भव न था ! मौसम ने जबरदस्ती ही पार्टी का समापन समय से पूर्व करवा दिया था ! बहुत चाह कर भी मेहमान मेज़बान की कोई मदद नहीं कर सके और राघवजी और शिल्पीबेटी को बिस्तर में लेटे लेटे, उस शाम के मनोरंजक कार्यक्रम की स्मृति के साथ साथ घर की डाइनिंग टेबलों पर और किचन के सिंक के आस- पास बिखरे पड़े घर के जूठे बर्तनों की भी याद आने लगी !

बेचारे बर्तन बेताबी से टेबिलों के बर्फीले सतह् से उतर कर गर्म "शोवर" का आनंद लूटने के लिए "डिश वाशर" में प्रवेश पाने को बेकरार थे ! उधर शिल्पी को चिंता थी कि न जाने कब बिजली आयेगी , न जाने कब 'बोइलर' चालू हो पायेगा और वह अपने घर की उस अस्त वयस्त व्यवस्था को सुधार पाएगी ! इस चिंता से हमारी दक्षतापरक बेटी शिल्पी के रगों में हिम-नद जैसी शीतलता प्रवाहित हो रही थी ; एक विचित्र सिहरन ,एक भयंकर कंपन उसके सारे शरीर को झकझोर रही थी !

मीना को अपने रिसर्च का कुछ काम पूरा करना था सो वह स्लीपिंग बेग में कम्बलों के तहों में घुस कर , देर तक , अपने 'लेपटोप' के बचे खुचे चार्ज का सदोपयोग करती रहीं ! रानी बेटी रक्षा को अगले सोमवार के प्रातः ही स्कूल में अपने विद्यार्थियों को पढाने के लिए कुछ खास तैयारी करनी थी सो वह भी रात में काफी देर तक ,मोमबती के प्रकाश में .,अपने लेपटोप पर अपना काम निपटाती रही !

बीच बीच में घर की छत पर और चारों ओर वृक्षों के टूटने और गिरने के धमाके की आवाज, ,आकाश से बर्फ के गोले बरसाते बादलों की भयंकर गडगड़ाहट , बिजली की चमक और खड़खड़ाहट से सबके रोंगटे खडे हो गए और तब अपनी अपनी श्रद्धा के अनुरूप सभी ने प्रभु को याद किया किसी ने "विष्णु सहस्त्रनाम" का पाठ किया और किसी किसी ने मन ही मन एनडोवर के " चिन्मय मारुती मंदिर" के हनुमान जी का आवाहन करके उनसे प्रार्थना की कि "हे बिक्रम बजरंगी महाबीरजी ,जन जन की पीड़ा हरिये , दया करिये , कृपा करिये ! हमे याद आ रहा है कि कुछ दिनों पूर्व हमने इसी घर में राघव के मेहमानों के साथ मिल कर अपना निम्नांकित पद गाया था ! आज जब, संकटमोचन ने उस भयंकर स्थिति में हमारे परिवार की रक्षा की है हम एक बार फिर आपके साथ वह पद गाना चाहते हैं ! आज भजन हो जाये ! हम बाकी कहानी ,किशतों में धीरे धीरे सुनाते रहेंगे

जय जय बजरंगी महाबीर , तुम बिन को जन की हरे पीर

अतुलित बलशाली तव काया, गति पिता पवन का अपनाया
शंकर से दैवी गुण पाया ,शिव पवन पूत हे धीर वीर
जय जय बजरंगी महाबीर

दुःख भंजन सब दुःख हरते हो, आरत की सेवा करते हो,
पल भर विलम्ब ना करते हो , जब भी भगतों पर पड़े भीर,
जय जय बजरंगी महाबीर
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जब जामवंत से ज्ञान दिया, झट सिय खोजन स्वीकार किया,
शत योजन सागर पार किया ,रघुबर को जब देखा अधीर ,
जय जय बजरंगी महाबीर
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क्रमशः
निवेदक: व्ही . एन . श्रीवास्तव "भोला"
सहयोग: श्रीमती कृष्णा "भोला" श्रीवास्तव
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