रविवार, 27 नवंबर 2011

जीवन की सबसे महत्वपूर्ण तारीख:


हमारे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण तारीख:
"नवम्बर, २७"

बात ऐसी है कि १९५६ की २७/११ को जो हुआ उसके कारण भविष्य की प्रत्येक २७ नवम्बर को हमारे नाम से बधाई के तार और कार्ड आने लगे !आजकल इस तारीख़ के सूर्योदय से ही टेलीफोन की घंटी खनकने लगती है और प्रातः उठकर 'लेपटॉप ऑन' करते ही "ई.मेल" के "इन बॉक्स" में बधाई संदेशों की एक लम्बी सूची के दर्शन होते हैं ! समझदार हैं आप समझ ही गए होंगे कि ५५ वर्ष पूर्व २७/११ को ऐसा क्या हुआ था जिसने हम दो प्राणियों के लिए वह दिवस अविस्मरणीय बना दिया !

अपने सुख -शांतिमय दाम्पत्य जीवन के विषय में स्वयम अपने मुख से कुछ भी कहना अहंकार व दम्भ से प्रेरित हो अपने मुँह मियाँ मिटठू होने जैसा प्रयास ही कहा जायेगा ! हम दोनों हैं तो साधारण मानव ही -शंकाओं से घिरना , चिंता से घबराना , क्रोध करना और छोटी से छोटी बात पर दुखी होना हमारा भी जन्म सिद्ध अधिकार है ! परन्तु परम प्रभु की ऐसी अहेतुकी कृपा सदैव बरसती रही है कि विषम और प्रतिकूल परिस्थितियों में एवम आपसी मतभेद में भी शीघ्र ही इन प्राकृतिक कुवृत्तियों से छुटकारा मिलता रहा है तथा मानसिक संतुलन रखते हुए हमे इनसे जूझने की शक्ति मिलती रही !यह हमारे सद्गुरु द्वारा दिए गए निम्न मन्त्र के मनन -चिंतन से ही सम्भव हो सका है !

वृद्धी आस्तिक भाव की शुभ मंगल संचार
अभ्यूद्य सद्-धर्म का राम नाम विस्तार

मानव -मानव में "सद्गुणों" एवं 'सद्-धर्म" का प्रचार-प्रसार-विस्तार हो ,कथनी और करनी में सबका कल्याण करने की भावना हो , अपने इष्ट का अनन्य आश्रय हो ; हमने इस बीज मंत्र को अपने जीवन में चरितार्थ करने का यथासम्भव प्रयत्न जीवन भर किया !

"महाबीर बिनवों हनुमाना" नामक अपने इस ब्लॉग श्रंखला में प्रकाशित निज आत्मकथा में अब तक के ४६२ अंकों में मैंने अपने ऊपर प्यारे प्रभु के द्वारा की हुई अनंत कृपाओं की संदर्भानुसार चर्चा की है ! उस १९५६ के "२७ नवम्बर" के दिन जो विशेष कृपा "उन्होंने" हम दोनों "भोला - कृष्णा"'- नव दंपत्ति पर की , वह अति महती थी ! प्रभु की इस कृपा ने हम दोनों का समग्र जीवन ही संवार दिया !

प्रियजन ,मेरे उपरोक्त कथन से कृपया यह न समझें कि इस वैवाहिक गठबंधन से मुझे कोई आर्थिक अथवा भौतिक लाभ हुआ ! बचपन से संत कबीर दास जी का यह पद गाता रहा हूँ , सो सांसारिक उपलब्धियों की नश्वरता व क्षणभंगुरता से खूब परिचित था

यह संसार कागद की पुडिया बूंद पड़े गल जाना है
यह संसार झाड अरु झाखड आग लगे बर जाना है
कहैकबीर सुनो भाई साधो सतगुरु नाम ठिकाना है

कबीरसाहेब के कथनानुसार , मेरे परमसौभाग्य और सर्वोपरि "प्यारे प्रभु " की अनंत कृपा के फलस्वरूप , मुझे इस पाणीग्रहण में मेरे सतगुरु का ठिकाना मिल गया ! इससे बड़ा और कौन सा लाभ हो सकता है किसी मानव के लिए ?

भ्रम भूल में भटकते उदय हुए जब भाग ,
मिला अचानक गुरु मुझे जगी लगन की जाग !

मुझे ससुराल स्वरूप मिला "राम परिवार" और अनमोल , दहेज स्वरूप मिली ,सद्गुरु स्वामी सत्यानन्द जी महाराज से "नाम दीक्षा" ! जिस प्रकार पारस पत्थर के स्पर्श मात्र से "लोहा"- "सोना" बन जाता है ,उस प्रकार ही सद्गुरु के संसर्ग से आपका यह् अदना स्वजन -"भोला" - कच्ची माटी का पुतला , आज क्या बन गया है ? प्रियजन , आप देख सकते हैं , (मैं स्वयम तो अपने को देख नहीं सकता ) आप बेहतर जानेंगे कि यह लोहा अभी भी लोहा ही है अथवा कंचन के कुछ गुण अब उसमे उभर आये हैं !

तब २७/११/१९५६ को आपका यह माटी का पुतला, देखने में कैसा लगता था , मैं तो भूल ही गया था ,परन्तु हाल ही में हमारी छोटी बेटी प्रार्थना की बड़ी बेटी 'अपर्णा' ने ( हमारी प्यारी प्यारी "अप्पू" गुडिया ने ) जो आजकल भारतीय एयर फ़ोर्स में फ़्लाइंग ऑफिसर है भारत में क्षतिग्रस्त पड़े हमारे पुराने फोटो एल्बम के कुछ चुनिन्दा फोटोज स्कैन करके, इ.मेल द्वारा हमारे पास भेजे ! उनमे ५५ वर्ष पूर्व पुराने उस अविस्मरणीय दिवस के भी अनेक चित्र थे ! उनमे से दो चित्र नीचे दे रहा हूँ ! इन चित्रों में वर बधू (भोला-कृष्णा) के अतिरिक्त बाकी चारों महान व्यक्तित्व अब इस संसार में नहीं हैं ! दिवंगत इन सभी पवित्र आत्माओं का हमदोनों सादर नमन करते हैं और उनकी चिर शांति के लिए प्रार्थना करते हैं ! चित्र देखें :


विवाहोपरांत आयोजित रिसेप्शन में मध्यभारत के भूतपूर्व राजप्रमुख महाराज जीवाजी राव सिंधिया और मेरे पूज्यनीय पिताश्री के बीच में मैं (भोला)!


उसी अवसर पर , वधू कृष्णाजी के साथ महारानी विजया राजे सिंधिया तथा कृष्णा जी की बड़ी भाभी पूज्यनीय सरोजिनी देवी जी !

राजमाता के साथ इसी अवसर पर लिया हुआ एक मेरा भी चित्र था ! अप्पू बेटी ने वह फोटो नहीं भेजी ! सहसा मुझे अभी अभी उसकी भी कहानी याद आ गयी !आपको भी सुना ही दूँ ! प्रियजन ,जब हम विवाह के बाद पहली बार ग्वालियर गये , हमे पेलेस [महल] से खाने पर आने का निमंत्रण मिला ! खाने की मेज़ पर राजमाता ने ,वही उनके साथ वाला मेरा चित्र दिखा कर हंसते हंसते कहा था ,"भोला बाबू यह फोटो कृष्णाजी को नहीं दिखाइयेगा ,हम दोनों की ऐसी हंसी देख कर वह न जाने क्या सोचे " ! राजमाता के इस कथन पर कृष्णाजी तो हंसी हीं , मेज़ पर बैठे सभी लोग हँस पड़े !

एक और उल्लेखनीय बात याद आयी ! हम भोजन कर ही रहे थे कि राजमाता के पास एक अतिआवश्यक टेलीफोन काल आया जिसे सुनने के बाद उन्होंने मुझसे कहा , "भोला बाबू , आज के दिन आपका यहाँ आना हमारे लिए बड़ा शुभ रहा , इंदिरा जी का फोन था ,नेहरू जी हमसे मिलना चाहते हैं ,वह हमे ग्वालियर से लोक सभा का सदस्य बनवाना चाहते हैं !" हम सब ने उन्हें खूब खूब बधाई दी !" शायद उस बार वह पहली बार चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर जीत कर "एम् पी" बनीं !आगे का इतिहास दुहराने से क्या लाभ ? हा एक बात अवश्य बताऊंगा कि उस महल के भोजन के बाद राजमाता के जीवन काल में मैं उनसे या उनके पुत्र माधव राव से एक बार भी नहीं मिला !

क्रमशः
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निवेदक : वही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
सहयोग : श्रीमती कृष्णा भोला श्रीवास्तव
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10 टिप्‍पणियां:

vandana gupta ने कहा…

सबसे पहले तो वैवाहिक वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनायें …………

G.N.SHAW ने कहा…

काका और काकी जी इस शुभ बेला में मै आप लोगो की लम्बी आयु के लिए , ईस्वर से प्रार्थना करता हूँ और प्यार का अभिलाषी हूँ ! बहुत ही रोचक लगा , अगले अंक का इंतजार रहेगा !

Shilpa Mehta : शिल्पा मेहता ने कहा…

शुभकामनायें आप दोनों को :)

Rakesh Kumar ने कहा…

आपकी मधुर स्मृतियों और प्रस्तुत सुन्दर चित्रों से बहुत खुशी मिली.
बहुत बहुत शुभकामनायें आपको.
आपकी प्रभु भक्ति और सुन्दर चिंतन को मेरा सादर नमन.

समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है.

रेखा ने कहा…

वैवाहिक वर्षगांठ की ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएँ

Bhola-Krishna ने कहा…

परमप्रिय सर्वश्री गोरखजी, राकेश जी
स्नेहमयी सुश्री रेखा बेटी, वन्दना बेटी एवं शिल्पा बेटी
शुभ कामनाओं के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ! ह्मारे आशीर्वाद स्वीकारें ! प्यारे प्रभु की कृपा दृष्टि आप पर सर्वदा बनी रहे !
भोला-कृष्णा

vandana gupta ने कहा…

यह संसार कागद की पुडिया बूंद पड़े गल जाना है
यह संसार झाड अरु झाखड आग लगे बर जाना है
कहैकबीर सुनो भाई साधो सतगुरु नाम ठिकाना है

बिल्कुल सही ………यही तो परम सत्य है बस हम मानना नही चाहते।

Bhola-Krishna ने कहा…

स्नेहमयी वन्दना जी , राम राम , वैचारिक सहमति के लिए धन्यवाद !
सद्गुरु शिष्य का अहंकार व अभिमान हरण कर,रिक्त स्थान को "परम" के ज्ञान से परिपूरित कर देते हैं ! काश "सब" यह परम सत्य समझ पाते !
भोला-कृष्णा

Smart Indian ने कहा…

आपके इस विशेष दिवस पर मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनायें!

bhola.krishna@gmail .com ने कहा…

परमप्रिय अनुरागजी धन्यवाद ,आज के दिन हमारी यह एक प्रार्थना है कि प्यारेप्रभु' की जैसी कृपा हम दोनो [दंपत्ति]पर है "वह" वैसी ही कृपा हमारे सभी स्वजनों पर सर्वदा बनाये रहें !सबके आपसी सम्बन्ध मधुरतम बने रहें ! शुभाकांक्षी -
भोला एवं कृष्णा