महावीर हनुमान जी की महती कृपा के फलस्वरूप मुझे सर्व प्रथम,१९५९ में हमारे सद्गुरु स्वामी जी महाराज के दर्शन हुए और उन्होंने मुझे "नाम " प्राप्ति का अधिकारी पाया !(यह मेरे 'इष्ट' की मुझ पर सबसे बड़ी कृपा थी ) ! और उसके बाद सद्गुरु स्वामी जी के स्नेहिल आशीर्वाद से मेंरे जैसे अति साधारण व्यक्ति के जीवन में "आनंदस्वरुप प्रभु" से मिलन का मार्ग दर्शन करवाने वाले अनेकों संतों के सत्संग का ताँता सा लग गया ! मेरा जीवन सार्थक करवा देने वाले अनेक महात्मा संतों, देवी सदृश्य साध्वी माताओं के दर्शन और उनके अति निकट आ पाने तथा उनकी सेवा में अपने भजनों के नैवेद्य समर्पित कर पाने के सुअवसर मुझे मिलते रहे !
प्रभु कृपा से इस जीवन में मुझे कई विशिष्ट दिव्य महात्माओं का घनिष्ट सानिध्य मिला। इन सब विभूतियों द्वारा मुझ पर की हुई उनकी अनन्य कृपाओं की कथाओं में से कुछ निम्न लिंकों पर जुड़ी हैं ।
१. श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज (मेरे सद्गुरु) तथा श्री राम शरणम के गुरुजन
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