शुक्रवार, 2 अप्रैल 2010

ईश्वर की कृपा

इस सृष्टि का सिरजनहार,पालनहार और एक मात्र आश्रय - "परमपिता परमात्मा" जो कहीं राम कहीं रहीम , कहीं कृष्ण कहीं करीम, कहीं अल्लाह कहीं ईश्वर, कहीं होली फादर कहीं वाहे गुरु, के नाम से पुकारा जाता है, समस्त जीव जगत पर, बिना किसी भेद भाव के, अपनी अहेतुकी " कृपा - वर्षा" अनवरत कर रहा है. खेद है की हम मंदबुद्धि, अज्ञानी मानव अहंकार वश इस तथ्य को स्वीकार नहीं करते.

प्रियजनों "हमारे जीवन में जो भी हो रहा है वह सब केवल उस "पालनहार" की कृपा, करुणा और प्रेम के कारण ही हो रहा है". इस प्रामाणिक सत्य को झुठला कर हम अहंकारवश स्वयं को ही अपनी सब सफलताओं का श्रेय देते रहते है, दुनिया भर में अपनी उपलब्धियों का ढोल पीटते फिरते हैं. और अपनी सब असफलाताओं का दोष भागवान के सिर मढ़ देते हैं. कैसी विडम्बना है यह ?

विगत हज़ारों वर्षों में भारत भूमि पर जन्मे महऋषि वेदव्यास से लेकर आज तक के विश्व के असंख्य मनीषियों ने हमें यही बताया है .

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