गतांक से आगे :
मानव जन्म देकर "प्रभु" ने जो महती कृपा हम पर की है, उनकी एक मात्र उस कृपा का मोल चूका पाना हमारे लिए असंभव है .पर इतना ही नहीं ,प्यारे प्रभु तो आजीवन हम पर अपनी कृपा वृष्टि करते रहते हैं और जैसा मैंने अन्यत्र कहा है की हम भूले से भी उनके इस अनुग्रह के लिए अपना आभार नही जताते और न किसी प्रकार उनके प्रति अपनी कृतज्ञता ही व्यक्त करते हैं.
प्रियजन: इधर हम इतने एहसानफरामोश हैं, Thankless. हैं. उधर "उनकी " उदारता देखिये की वह फिर भी हमें अपनी कृपामृत वर्षा से वंचित नहीं रखते. . .
प्रश्न उठता है की कैसे हम प्रियतम प्रभु की दयालुता /कृपालुता के लिए उन्हें धन्यवाद दे , कैसे उनके प्रति अपना आभार व कृतज्ञता व्यक्त करे ? हमारी यह उलझन भी उनकी कृपा से ही सुलझेगी क्यों न हम आँख मूंद कर केवल एक मिनिट के लिए ही मन ही मन उन्हें धन्यवाद दे और देखें आगे क्या होता है .......... .
क्रमशः
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें