शुक्रवार, 24 नवंबर 2023

Shukriya Song


सत्रहवीं शताब्दी के प्रारम्भ में ( लगभग १६२१ वीं ईस्वी में ), तीर्थयात्रियों की तरह अपनी आस्थाओं को एकाग्रता एवं दृढ़ता से निभाने के लिए किसी नयी धरती की खोज में ,जल- पोतों पर सवार हो कर कुछ पुर्तगाली योरप से अमेरिका के इस भू भाग में आये और जिस स्थान पर वे अपने जहाज़ से उतरे वह USA का यह MASSACHUSETTS मैसच्यूसेट्स राज्य है , जिसमे संयोगवश ,इन दिनों ,हम रह रहे हैं !

यू.एस.ए. वालों के लिए आज का दिन विशेष महत्व का है! नेटिव अमेरिकन्स (रेड इंडीयंस) और सागरपार से आये इन यात्रियों ने अपने आपसी सम्बन्ध सुदृढ़ करने की शुभेच्छा से १६७६ के नवेम्बर मास के किसी बृहस्पतिवार को एक सहभोज का आयोजन किया ! उस दिन औपचारिक रीति से दोनों पक्षों ने परस्पर मित्रता का हाथ मिलाया ! मूल अमेरिका वासियों नें प्रवासी योरोपिंअंस को इस भोज में "टर्की" नामक पक्षी का मांस खिलाया तथा कुछ अन्य खाद्यान्न जैसे मक्का ,शकरकंदी से बने पकवान ,(जिनसे ,तब तक ,वे विदेशी आगंतुक परिचित नहीं थे) उन्हें परोसे तथा आगे चल कर उन्हें इनकी खेती करने के गुर भी सिखाए !

१८६३ में अमेरिका के तत्कालीन प्रेसिडेंट अब्राहम लिंकन ने मूल निवासियों तथा यूरोप से आये प्रवासियों के बीच की आपसी सद्भावना को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से नवम्बर के अंतिम गुरूवार को राष्ट्रीय पर्व घोषित किया और इस पर्व को "धन्यवाद दिवस" का नाम दिया ! इस दिन देश के सभी मूल ,धर्म, जाति,रंग के निवासी एकत्रित हो कर एक साथ भोजन करते हैं और एक दूसरे के प्रति, अपना आभार प्रदर्शन करते हैं ! आज के दिन स्कूल कालेज, दफ्तर , कारखाने बंद रहते हैं और यू. एस. ए . के निवासी परम्परागत रीति से इस दिवस को बड़े हर्षोल्लास के साथ राष्ट्रीय-पर्व के रूप में मनाते हैं !

मंगलवार, 14 नवंबर 2023

दीपावली के इस मंगलमय शुभ पर्व पर
हमारी हार्दिक शुभ कामनाएं स्वीकारें


प्रियजन,
 
मेरी माने तो इस दीपावली,

मनमंदिर में ज्योति जगाकर, औरों के घर दीप जलाओ !!
जगमग दीप जगा कर चहुदिश, निज पथ का तम दूर भगाओ !
निर्भय आगे बढ़ते जाओ,
दीप जलाओ दीप जलाओ

गहन अँधेरे में जग डूबा, चहु दिसि उजियारा फैलाओ !
अपना घर चमका के प्रियजन, दुखी जनों के मन चमकाओ !!
उनके घर भी दीप जलाओ ,
दीप जलाओ ,दीप जलाओ !!

किसकी झुग्गी अन्धियारी है, कौन कहाँ है भूखा प्यासा ?
देवालय से पहिले, प्रियजन उस दरिद्र को भोग लगाओ !!
उस भूखे की भूख मिटाओ ,
दीप जलाओ ,दीप जलाओ !!

'अर्थ' नहीं है फिर क्या ? अपना अंतर घट तो प्रेम भरा है !
अक्षय है वह, प्यारे तुम बस, वही 'प्रेमरस' पियो पिलाओ !!
स्वयम छको औ उन्हें छ्काओ ,
दीप जलाओ ,दीप जलाओ !!

तरस रहें जो 'खील बताशे' को वे प्यारे प्यारे बच्चे !
बुझे हुए चेहरे,जरजर तन वाले ये दुखियारे बच्चे !
फुटपाथों पर भटक रहे हैं जो अनाथ मनमारे बच्चे !
उनके मुखड़ों पर प्रियजन तुम प्यारे प्रभु का नूर खिलाओ !!

गुरुजन ने जो दिया "नामरस", स्वयम पियो औ उन्हें पिलाओ
प्रेम प्रीति की अलख जगाओ ,
दीप जलाओ , दीप जलाओ !!


[ भोला ]

"दीपावली'

रविवार, 6 अगस्त 2023


निज गृह की बगिया   में  खिले  सुमनों की प्राकृतिक सुंदरता  में परम सत्य के दर्शन के भाव से ध्वनित गीत----------------

 ये हरियाली ये विविध रंग 

ये चपल पवन ये जलतरंग ॥

ये दृष्य सभी नयनाभिराम ।

हर  शय मेँ दीखे राम राम ॥

राम राम राम राम राम राम राम बस राम ..॥


ये स्वर्णिम दिनकर तेजवान

चंदा।  मामा अति रूपवान ॥

ऊर्जा करता  है   रयि प्रदान 

शीतलता शशि का है सुदान ॥

शशि रवि दोनौँ कर रहे गान

राम राम राम राम राम राम राम बस राम...॥


ये हरित धरनि   ये नील गगन

बहुरंगी   यै   सुंदर उपवन

है डोल रही मदमस्त पवन

पूरी   फुलवारी झूम झूम ,

कर रही मगन हो नाम जपन ।

राम राम राम राम राम राम राम बस राम  ॥

अमृत  बरसाते मेघ सघन

पुलकित होता धरती का तन ।

भर गये    सभी  सूखे पलवल

नदियोँ  का जल करता कलकल

कलकल मेँ गूँजे   राम नाम

राम राम राम राम राम राम राम बस ...॥

राम राम बस राम राम बस राम राम ।


ये हरित धरनि यै नील गगन

स्वच्छंद बिहररते बिहंग  मगन

कलरव मेँ  करते नाम   जपन.

स्वच्छंद बिहरते बिहंग। मगन

राम राम राम राम  राम राम राम बस

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शब्द और स्वर संयोजक एवं गायक श्री व्ही एन श्रीवास्तव :भोला"

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निज गृह की बगिया में खिले सुमनों की प्राकृतिक सुंदरता में परम सत्य के दर्शन के भाव से ध्वनित गीत
निज गृह की बगिया में खिले सुमनों की प्राकृतिक सुंदरता में परम सत्य के दर्शन के भाव से ध्वनित गीत

सोमवार, 24 जुलाई 2023

ओम नमः शिवाय

कर्पूरगौरम करुणावतारम संसारसारं भुजगेंद्रहारम
सदावसंतम हृदयारविन्दे भवम भवानी सहितं नमामि

कर्पूर के समान चमकीले गौर वर्णवाले ,करुणा के साक्षात् अवतार, इस असार संसार के एकमात्र सार, गले में भुजंग की माला डाले, भगवान शंकर जो माता भवानी के साथ भक्तों के हृदय कमलों में
सदा सर्वदा बसे रहते हैं ,हम उन देवाधिदेव की वंदना करते हैं !!"

महामहिमामय देवों के देव महादेव का स्वरूप तेजोमय और कल्याणकारी है !

"शिव" का शब्दार्थ है " कल्याण" !!


पुरातन काल से ओंकार" के मूल ,विभु ,व्यापक , तुरीय शिव के निराकार ब्रह्म स्वरूप को हमारे धर्माचार्यों ने एक अनूठा वैरागी स्वरूप दिया है ; जिसमें उनके शरीर को भस्म से विभूषित किया है, उनके गले में सर्प और रुंड मुंड की माला डाली है,उनकी जटाजूट ने पतित पावनी "गंगधारा" को विश्राम प्रदान किया है , उनके भाल को दूज के चाँद से अलंकृत किया है !

एक हाथ से डम डम डमरू बजाते तथा दूसरे में त्रिशूल लहराते "शिव शंकर" कभी ललितकला सम्राट नटराज , तो कभी पापियों के संहारक् ,कभी तांडव नृत्य की लीला से प्रलयंकारी तो कभी भक्त को मनमांगा वरदान देने वाले औघडदानी लगते हैं ! अपने सभी स्वरूपों में वह वन्दनीय हैं !

उनके गुण , स्वभाव और क्रिया -कलाप के कारण श्रद्धालु भक्तजन शिव ,शंकर ,भोला ,महादेव ,नीलकंठ , ,नटराज, त्रिपुरारी , अर्धनारीश्वर ,विश्वनाथ आदि अनेकानेक नामों से उनका नमन करते है !


आइये आज हम आप सब प्रियजनों के साथ मिल कर समवेत स्वरों में पूरी श्रद्धा एवं निष्ठां से,
गुरुजनों के भी सद्गुरु, सर्व गुण सम्पन्न ,सर्व शास्त्रों के ज्ञाता,
सर्वकला पारंगत, राम भक्त, देवाधिदेव, भोले नाथ शिव शंकर की वन्दना करें :

ओम नमः शिवाय

JAI SHIV SHANKAR TRIPURARI

सोमवार, 17 जुलाई 2023

 Bhajan: jay shiv shankar aughaddani

(Words/Voice - Shri V N S 'Bhola')
Text and link taken from Mahavir Binavau Hanumana

जय शिव शंकर औघड़दानी
जय शिव शंकर औघड़दानी , विश्वनाथ विश्वम्भर स्वामी

सकल बिस्व के सिरजन हारे , पालक रक्षक 'अघ संघारी'
जय शिव शंकर औघड़दानी , विश्वनाथ विश्वम्भर स्वामी

हिम आसन त्रिपुरारि बिराजें , बाम अंग गिरिजा महरानी
जय शिव शंकर औघड़दानी , विश्वनाथ विश्वम्भर स्वामी

औरन को निज धाम देत हो , हमसे करते आनाकानी
जय शिव शंकर औघड़दानी , विश्वनाथ विश्वम्भर स्वामी

सब दुखियन पर कृपा करत हो हमरी सुधि काहे बिसरानी
जय शिव शंकर औघड़दानी , विश्वनाथ विश्वम्भर स्वामी




View and Listen to the bhajan on BholaKrishna youtube channel at https://www.youtube.com/watch?v=GjozaYcXoOE

गुरुवार, 6 जुलाई 2023

 ओम् नमः शिवाय 



वर्षों पूर्व (कदाचित १९५९ में ) 
इस दासानुदास ने , सुप्रासिद्ध पौराणिक सूत्र 

"राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे 
सहस्त्र नाम ततुल्यम राम नाम वरानने" 

से प्रेरित होकर निम्नांकित रचना की और गाया :

"राम नाम मधुबन का भ्रमर बना मन शिव का 
निशदिन सुमिरन करता 'नाम' पुण्यकारी" 

कौन सा नाम और कौन है वह नामोपासक ?
नाम है  
"राम राम राम राम"
और
नामोपासक है 

"शंकर शिव शम्भु", साधु संतन सुखकारी
सतत जपत  राम नाम अतिशय शुभ कारी !!

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विश्वम्भर नाथ श्रीवास्तव "भोला"
  द्वारा 
१९६०-६१ में रचित 
"शंकर वन्दना" 
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यू ट्यूब पर सुनने के लिए लिंक : http://youtu.be/KzoJ7isIxfs

लीजिए आप यहीं सुन लीजिए 

शंकर शिव शम्भु साधु संतन सुखकारी
सतत जपत राम नाम अतिशय शुभ कारी !!

लोचन त्रय अति विशाल, सोहे नव् चन्द्र भाल !
रुंड मुंड ब्याल माल, जटा-गंग-धारी !!
 शंकर शिव शम्भु साधु संतन सुखकारी !!





शंकर शिव शम्भु साधु संतन सुखकारी !!

पार्वती पति सुजान, प्रमथराज, बृषभ यान !
सुर नर मुनि सेव्यमान, त्रिविधि ताप हारी !!
शंकर शिव शम्भु साधु संतन सुखकारी !!

औघड दानी महान, काल कूट कियो पान !
आरत-हर, तुम समान को है त्रिपुरारी !?!
शंकर शिव शम्भु साधु संतन सुखकारी !!
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(शब्दशिल्पी एवं गायक  "भोला")
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