अतुलित-बल-धामम् हेम-शैलाभ-देहं
युगों युगों से असंख्य विश्वासी आस्तिकों को अपनी कृपा दृष्टि से अनुग्रहित कर उन्हें सभी दैहिक, दैविक भौतिक तापों से मुक्ति प्रदान करवाने वाले संकट मोचन, दुःख भंजन , "श्री हनुमान जी" को गोस्वामी तुलसीदास ने "राम चरित मानस" के बालकाण्ड के वन्दना प्रकरण में "महावीर" नाम से संबोधित किया है I
उन्होंने श्री हनुमान जी की वन्दना में कहा है कि मैं उस "महावीर हनुमान" की वंदना करता हूँ जिस की यशगाथा का गायन स्वयं मर्यादा-पुरुषोत्तम श्री राम चन्द्र जी ने अनेकों बार किया है -
सुंदर काण्ड के आरंभिक श्लोकों में तुलसी ने स्पष्ट शब्दों में हनुमान जी के उन गुणों का उल्लेख किया है जिन के कारण वह एक साधारण कपि से इतने पूजनीय हो गये.
युगों युगों से असंख्य विश्वासी आस्तिकों को अपनी कृपा दृष्टि से अनुग्रहित कर उन्हें सभी दैहिक, दैविक भौतिक तापों से मुक्ति प्रदान करवाने वाले संकट मोचन, दुःख भंजन , "श्री हनुमान जी" को गोस्वामी तुलसीदास ने "राम चरित मानस" के बालकाण्ड के वन्दना प्रकरण में "महावीर" नाम से संबोधित किया है I
" महाबीर बिनवउँ हनुमाना "
उन्होंने श्री हनुमान जी की वन्दना में कहा है कि मैं उस "महावीर हनुमान" की वंदना करता हूँ जिस की यशगाथा का गायन स्वयं मर्यादा-पुरुषोत्तम श्री राम चन्द्र जी ने अनेकों बार किया है -
"राम जासु जस आप बखाना "
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानं ज्ञानिनामग्रगण्यम् ।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपति प्रियभक्तं वातजातं नमामि ।।
अन्यत्र भी उनके स्थूल रूप की व्याख्या करते हुए तुलसी ने कहा कि हनुमान जी देखने में कपि - एक अति चंचल पशु हैं, उछलते कूदते वृक्षों की एक शाखा से दूसरी शाखा पर सुगमता से जा सकते है और मानस के उत्तर -काण्ड में हनुमानजी ने स्वयं ही अपना परिचय देते हुए भरत जी से स्पष्ट कहा कि मैं कपि हूँ !
"मारुत सुत मै कपि हनुमाना, नाम मोर सुनु कृपा निधाना"
सराहनीय है हमारे इष्टदेव
“महावीर विक्रमबजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी"
श्री हनुमान जी के सभी गुण अनुकरणीय हैं ! लेकिन इनमे सर्वोपरि है उनकी यह अहंकार शून्यता, उनकी अतिशय विनम्रता और उनकी विनय !
आज का मानव जिसका जीवन मूल्य कहीं कहीं पशुता के स्तर से भी बहुत नीचे गिर चुका है, अपना स्वरुप सुधारने के लिए हनुमान जी के इन सद्गुणों को यदि अपनी जीवन शैली में उतार सके तो मानवता का कल्याण हो जाए.!
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इस सन्देश के पीछेवाले ब्लॉग में मेरी बेटी श्री देवी ने मेरी आवाज़ में
अतुलित बल धामम् का गायन पहले से ही डाल दिया है !
कृपया सुनिए और मेरे साथ साथ वह श्लोक गाइए और फिर देखिये
कितनी कृपा करते हैं संकट मोचन सारी मानवता पर !
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निवेदक : व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"
सहयोग : सुश्री श्री देवी कुमार एवं श्रीमती कृष्णा भोला जी
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10 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर सन्देश दिया है आपने इस पोस्ट के माध्यम से.आभार.
भोला जी आप इस कमेन्ट में मेरे नाम पर किलिक करके मेरे प्रोफाइल पर पहुँच कर मेरे ब्लोग्स पर पहुँच सकते हैं .
बहुत सुंदर ....हनुमान जयंती की शुभकामनायें ....जय बजरंग बली
श्री हनुमान जी के सभी गुण अनुकरणीय हैं ! लेकिन इनमे सर्वोपरी है उनकी यह अहंकार शून्यता, उनकी अतिशय विनम्रता और उनकी विनय !
आज यही तो नहीं बचा इंसान के पास ...बहुत अच्छी प्रस्तुति ...
Ati sundar line
Jay ho Bajrang Bali
M to dil se BALAJI HANUMANJI ko manta hu or Prem karta hu
Ye Sach me Mhan MhaPrabhu hai
भगवान की स्तुति से ही मन का विकास होता हैं। हम सब मिल कर सदैव कुछ समय प्रभु वंदना में योजित करे। सादर डॉ कुमार लोकेश, @7505330999
Jai shri Ram
Jai jai shree ram
।।ज श्री राम।।
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