हनुमत वन्दन
सदियों से हमारे हरवंश भवन बलिया में महाबीरी ध्वजा के तले अपने "रामहित दास - वंश" के कुल देवता श्री हनुमान जी की उपासना हो रही है ! इसी परम्परा के अंतर्गत कानपूर शाखा में भी , अपने निवास के आँगन में श्री महाबीर जी की ध्वजा प्रस्थापित हुई ! मेरा "भोला परिवार" १९६३ से १९८९ तक अधिकतर कानपूर से बाहर रहा ( मेरी सरकारी पोस्टिंग्स के कारण ) अस्तु हमारे बड़े भैया तथा उनके बच्चे वहां के महाबीर जी की रोज़ की पूजा वन्दना बहुत ही श्रद्धा से करते रहे !
१९८४ में रिटायर होकर २०-२२ वर्षों के बाद मैं पुनः कानपुर आया और मुझे इष्टदेव श्री महाबीर जी की ध्वजा तले बैठ कर हनुमान चालीसा पाठ करने का मौका मिला ! भैया भाभी और उनके श्रद्धालु बच्चों की नित्य पूजा अर्चना से वह स्थान इतना चार्ज हो गया था की चालिसा के तुरंत बाद ही "अंजनी सुत हे पवन दुलारे" की रचना हुई ! कुछ दिनों बाद बच्चों के अनुरोध पर इसका स्टूडियो में ऑडियो केसेट एल्बम बना और फिर DVD एल्बम भी बन गया ! मैं हनुमान जयंती के अवसर पर आपको वह सुनाना चाहता था , असफल रहा , यहाँ अमेरिका में आज अभी गाकर सुना रहा हूँ !( केमरा और मजीरा कृष्णा जी संचालित कर रहीं हैं , राघव जी "यू ट्यूब" में डालने का प्रयास कर रहे हैं -)
नीचे चित्र के "एरो" पर क्लिक करके पूरा भजन सुनिए साथ में गाइए
हनुमान जी को मनाइए , प्रार्थना करिये
"हे संकट मोचन सबके कष्ट हरो"
अंजनि सुत हे पवन दुलारे , हनुमत लाल राम के प्यारे
अंजनि सुत हे पवन दुलारे
अंजनि सुत हे पवन दुलारे
अतुलित बल पूरित तव गाता , असरन सरन जगत विख्याता
हम बालक हैं सरन तुम्हारे , दया करो हे पवन दुलारे
अंजनि सुत हे पवन दुलारे
सकंट मोचन हे दुख भजंन , धीर वीर गम्भीर निरन्जन
हरहु कृपा करि कष्ट हमारे , दया करो हे पवन दुलारे
अंजनि सुत हे पवन दुलारे
राम दूत सेवक अनुगामी , विद्या बुद्धि शक्ति के दानी
शुद्ध करो सब कर्म हमारे , दया करा हे पवन दुलारे
अंजनि सुत हे पवन दुलारे , हनुमत लाल राम के प्यारे
अंजनि सुत हे पवन दुलारे
"भोला"
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गीतकार-स्वरकार-गायक-
निवेदक :व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"; सहयोग : पूरा "भोला परिवार"
निवेदक :व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"; सहयोग : पूरा "भोला परिवार"
2 टिप्पणियां:
बहुत शानदार प्रस्तुति.आभार
काकाजी प्रणाम ....अतिसुन्दर भजन ! आभार
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