रामलला के प्यारे भक्तो ,
अयोध्या नगरी में रामलला के भुवन में पधारने की कोटिश बधाई।
सर्व विदित है कि सौभाग्यवश गुरुजन के गुरुमंत्र से, उनकी करुणा और कृपा से, उनके आशीर्वाद से मुझे ऐसा लग रहा है कि मेरी हरेक सांस, मेरे हृदय की प्रत्येक धडकन, मेरा रोम रोम, मेरी शिराओं में प्रवाहित रक्त की एक एक बूंद, जो कुछ भी इस समय मेरे पास है वह सब ही "उनका" कृपा प्रसाद है । यदि उर्दू शायरों की जुबान में कहूँ तो शायद ऐसी तस्वीर बनेगी --
मुझको मुंदी नजर से ही सब कुछ दिखा दिया ।
तेरे खयाल ने मुझे तुझ से मिला दिया ।।
मुझको दिखा के चकित किया रंग सृष्टि का ।
आनंद भरा रूप प्रभु का दिखा दिया ।।
मन मंदिर में अपने "प्यारे प्रभु" का विग्रह प्रतिष्ठित कर, बंद नेत्रों से "प्यारे" की छवि निरंतर निहारते हुए, सुध बुध खोकर "उनका" गुणगान करना, गीत संगीत द्वारा "उनकी" अनंत कृपाओं के लिए अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करना, यह है मेरा भजन कीर्तन ।
रामलला घर आया रे ,मेरा रामलला घर आया रे ।
चहु दिसि आनंद छाया रे ,मेरा रोम रोम हर्षाया रे ।।
मेरा रामलला घर आया रे ।
पलक झार अंसुअन फुहार सों ,आँगन स्वच्छ बनाया रे ।
चहु दिसि आनंद छाया रे ,मेरा रोम रोम हर्षाया रे ।।
मेरा रामलला घर आया रे ।
शिवरंजनी बेला गुलाब सो,वन्दनवार सजाया रे ।
चहु दिसि आनंद छाया रे ,मेरा रोम रोम हर्षाया रे ।।
मेरा रामलला घर आया रे ।
मंगल अवसर आया रे ।।
मेरा रामलला घर आया रे ।
निवेदक - विश्वंभर नाथ श्रीवास्तव 'भोला'