सभी प्रियजनों को
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई
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बधइया बाजे आंगने में
श्याम सलोने कुंवर कन्हैया झूलें कंचन पालने में
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आज "श्रीकृष्ण" जन्म के सुअवसर पर आनंद मंगल मनाते मनाते अपने अतीत की एकाध बात बताऊँ और जीवन के ८४ - ८५ वर्षों के अनुभव पर आधारित कुछ विचार विनमय हो जाए -
कन्हैया कन्हैया तुम्हे आना पडेगा
वचन गीता वाला निभाना पडेगा
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आओ आओ यशोदा के लाल
आज मुझे दर्शन से कर दो निहाल
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आना कृष्ण कन्हैया , हमारे घर आना
माखन मिसरी दूधमलाई जो चाहे सो खाना
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पिछले ७-८ दशकों में ,लगभग सभी सत्संगों में मैंने कृष्ण भक्त देवियों से उपरोक्त कीर्तन सुने हैं ! घर गृहस्थी के काम काज करते करते मैंने अपनी प्यारी माँ को भी अक्सर ऐसे भजन गुनगुनाते सुना है ! बुआओं , दीदियों ,भाभियों और अपने पड़ोसियों से भी मंगलवार की दोपहरी में आयोजित घरेलू सत्संगों में अक्सर बेताला ढोलक की थाप और मंजीरों की खनक पर इन भजनों को गाते और उनकी धुन पर ,ठुमक ठुमक कर नाचते लुक छुप कर देखा सुना है !
[आज की नहीं, बच्चों ,यह ७०-८० वर्ष पुरानी बात है
हमारे इस बचपने काअनुकरण नहीं करियेगा]
[आज की नहीं, बच्चों ,यह ७०-८० वर्ष पुरानी बात है
हमारे इस बचपने काअनुकरण नहीं करियेगा]
आज इन भजनों को सुनकर मन में यह प्रश्न उठता है कि देवियाँ इतने प्रेम से किेस "कृष्ण कन्हैया" को बुला रही हैं ?
क्या ये देवियाँ , उस "श्रीकृष्ण" को पुकार रही हैं जो हजारों वर्ष पूर्व इस धरती पर अवतरित हुए और मानवता को 'गीतामृत' पिला कर ज़ोरदार शब्दों में यह बता गये कि निराकार ब्रह्म "ईश्वर" के रूप में प्रत्येक 'भूत'- जीवधारी प्राणी के ह्रदय में आजीवन विद्यमान रहते हैं !
श्रीमदभगवद्गीता में उनका यह वचन तो आपको याद ही होगा :
ईश्वर: सर्व भूतानाम हृदयेशेअर्जुन तिष्ठति !
भ्राम्यन् सर्व भूतानि यंत्रारूढानि मायया !!
हमारे हृदय में बैठा "वह"- 'सर्व शक्तिमान सर्वज्ञ-परमात्मा- 'ईश्वर' जीवन में प्रति पल हमारा मार्गदर्शन करता है ! वह हमे हमारे जीवन में आने वाले सब संकटों की पूर्व सूचना देता है और हमे उनसे बचने के रास्ते बताता है
कैसी विडंबना है यह कि हम अपने हृदय के आसन पर आरूढ़ उस ईश्वर के बहुमूल्य सुझावों की अनसुनी करते जाते हैं और फिर चिल्ला चिल्ला कर उन्हें पुकारते हैं कि "हे नाथ पुनः एक बार आ जाओ और हमारी रक्षा करो" !
और सुनिए - शैशव में अपनी बूढ़ी दादीमाँ के दंतहीन मुख से लगभग हर प्रातः मैंने सुना था एक भजन - [ कदाचित वह भजन उनकी प्रातःकालीन पूजा का एक अंश था ] दादी, अपने ठेठ भोजपुरी लहजे में मीरा का एक पद गातीं थीं !
" जागाहे बंसी वारे लाला जागाहे नन्द दूलारे "
उनके गायन की विशेषता यह थी कि शब्दों के फेर बदल के साथ वह इस भजन को किसी एक विशेष राग में गातीं थीं जिसे वह "परभाती" कहतीं थीं ! जो भी हो समय के साथ धीरे धीरे मैं दादी के उन भोजपुरी शब्दों को तो पूरी तरह भूल गया परन्तु आज तक मैं उनकी वह विशेष धुन - उनकी उस "प्रभाती राग" की बंदिश को नहीं भूल पाया ! आगे सुनिए -
इत्तेफाक से , १९५१ - ५२ में छोटी बहन माधुरी के रेडियो प्रोग्राम में गाने के लिए रेडियो स्टेशन से "शेड्यूल" किया मीरा बाई का वही पद आया ! जी हाँ वही भजन जिसका भोजपुरी रूपान्तर मैंने अपनी दादी से बहुत बचपन में सुना था ! तुरंत ही मुझे दादी की वह प्रभाती राग की बंदिश याद आई - और मीराबाई का वह पद उस बंदिश में 'चूल ब चूल' बैठ गया -
प्रियजन मैंने तब जब उस भजन को कम्पोज किया ,२० वर्ष का था , आज ८४ - ८५ का हूँ ! गले में खराश है , बार बार खांसी आ रही है - अस्तु कांन बंद कर सुनिए , परन्तु आँखें न बंद करियेगा ! कृष्णा जी ने अत्याधिक परिश्रम करके ,न जाने कहाँ कहाँ से खोज कर "श्रीकृष्णजी" के बड़े ही सुंदर एवं चित्ताकर्षक चित्रों से इस वीडियो की संरचना की है ! मीरा के भाव पूर्ण शब्द और कृष्ण के वे चित्र आपको भाव विभोर कर देंगे !
[ प्रियजन गाते समय मेरी आँखें बंद थीं , मैं पूरी तरह रोमांचित था और तभी कृष्णा जी ने , मुझे बिना बताये, घरेलू केसेट रेकोर्डर पर ही वह भजन रेकोर्ड कर लिया और निश्चय किया कि जन्मास्टमी के शुभ दिन् वह चित्रों से सुसज्जित यह भजन आपके समक्ष प्रस्तुत करेंगी ]
पेश है वही भजन ! कृपया सुनिए साथ साथ गाइए ! घर एवं विद्यालयों में बालक बालिकाओं को सिखाइये और इस प्रकार योगेश्वर श्रीकृष्ण से पाए "गीता ज्ञान" के "दैविक भाव" सभी भक्तों के मन में जगाइए !
जागो जागो जागो
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मीरा बाई का पद :
जागो वंशीवारे ललना जागो मोरे प्यारे
रजनी बीती भोर भयो है , घर घर खुले किवारे ,
गोपी दही मथत सुनियत है कंगना के झनकारे !!
जागो वंशीवारे ललना जागो मोरे प्यारे
उठो लालजी भोर भयो है सुर नर ठाढे द्वारे ,
ग्वाल बाल सब करत कुलाहल ,जय जय शब्द उचारे !!
जागो वंशीवारे ललना जागो मोरे प्यारे
माखन रोटी हाथ में लीजे गौवन के रखवारे ,
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर ,सरन आया को तारे !!
जागो वंशीवारे ललना जागो मोरे प्यारे
(भजन - मीराबाई )
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वे प्रियजन जो ई मेल द्वारा मेरे आलेख पढते हैं उनके लिए यह भजन सुनने / देखने का यू. ट्यूब का लिंक :
http://youtu.be/ELSVNh3nPnk
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इस भजन के विषय में अभी अभी मेरे मन में यह भाव उठा है ; प्रभु प्रेरणा से ही होगा , अस्तु लिखे देता हूँ :
योगेश्वर "श्रीकृष्ण" कब सोते हैं ? सोये तो हम सब हैं ! बजाय स्वयम को जगाने के हम उल्टे भगवान श्रीकृष्ण को ही जगा रहे हैं !
प्रियजन हमम सब को ,श्रीकृष्ण को नहीं , अपने अन्तस्थल में सुसुप्त कृष्ण भाव को दादी की वह "प्रभाती" सुना कर जगाना है ! विश्वास करें , इसमें ही अपना कल्याण निहित है !
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निवेदक : व्ही . एन . श्रीवास्तव "भोला"
वीडीयोकरण : श्रीमती कृष्णा भोला श्रीवास्तव
साउंड ट्रेक संपादन : राघव रंजन (पुत्र)
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