सिया राम के अतिशय प्यारे,
अंजनिसुत मारुति दुलारे,
श्री हनुमान जी महाराज
के दासानुदास
श्री राम परिवार द्वारा
पिछले अर्ध शतक से अनवरत प्रस्तुत यह

हनुमान चालीसा

बार बार सुनिए, साथ में गाइए ,
हनुमत कृपा पाइए .

आत्म-कहानी की अनुक्रमणिका

आत्म कहानी - प्रकरण संकेत

शनिवार, 22 अक्तूबर 2022

  मेरे अतिशय प्रिय सभी स्वजन

दीपावली के इस मंगलमय शुभ पर्व पर  

नमोस्तेsस्तु महामाये श्रीपीठे सुर पूजिते !
शंख चक्र गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोस्तुते!!
नमस्ते गरुड़ारूढे कोलासुर भयंकरि !
सर्व पाप हरे देवि महा लक्ष्मी नमोस्तु ते !!

अष्ट लक्ष्मी

 दक्षिण भारत में माँ के निम्नांकित आठ नाम 
१. आदि लक्ष्मी २. धान्य लक्ष्मी ३ .धैर्य लक्ष्मी ४. गज लक्ष्मी
५. सन्तान लक्ष्मी ६. विजय लक्ष्मी ७. विद्या लक्ष्मी ८. धन लक्ष्मी

माँ के नामों के उच्चारण में ही माँ के भिन्न गुण निहित हैं ! नाम ही उनके मंत्र हैं ! 
माँ लक्ष्मी के ८ नामों में से "धन लक्ष्मी" को ही लीजिए : माँ "धन लक्ष्मी" की आराधना से , स्वधर्म समझ कर कर्म करने वाला साधक , निश्चित ही धनोपार्जन करेगा ! 


मनमंदिर में  ज्योति  जगाकर ,  औरों के  घर  दीप  जलाओ !!

जगमग दीप जगा कर चहुदिश ,निज पथ का तम दूर भगाओ !

निर्भय आगे बढ़ते जाओ , दीप जलाओ दीप जलाओ


गहन   अँधेरे   में  जग  डूबा  ,  चहु  दिसि   उजियारा  फैलाओ !

अपना  घर  चमका के  प्रियजन , दुखी जनों के मन  चमकाओ !!

उनके घर भी दीप जलाओ ,दीप जलाओ ,दीप जलाओ !!


किसकी  झुग्गी  अन्धियारी है ,  कौन  कहाँ  है  भूखा  प्यासा ?

देवालय से पहिले ,प्रियजन उस दरिद्र   को   भोग    लगाओ  !! 

उस भूखे की भूख मिटाओ  , दीप जलाओ ,दीप जलाओ !!


'अर्थ'  नहीं है फिर क्या ?  अपना अंतर  घट  तो  प्रेम  भरा  है !      

अक्षय है वह , प्यारे तुम बस ,   वही 'प्रेमरस'  पियो  पिलाओ !!

स्वयम छको औ उन्हें छ्काओ ,दीप जलाओ ,दीप जलाओ !!


तरस् रहें जो 'खील बताशे' को वे प्यारे प्यारे बच्चे ! 

बुझे हुए चेहरे ,जरजर तन वाले ये दुखियारे बच्चे !

फुटपाथों पर भटक रहे हैं जो अनाथ मनमारे बच्चे !

उनके मुखड़ों पर प्रियजन तुम प्यारे प्रभु का नूर खिलाओ !!


गुरुजन ने जो दिया "नामरस", स्वयम पियो औ उन्हें पिलाओ 

प्रेम प्रीति की अलख जगाओ , दीप जलाओ , दीप जलाओ !!


दीपावली के इस मंगलमय शुभ पर्व पर  

हमारी हार्दिक शुभ कामनाएं 

विश्वम्भरनाथ “भोला”


मंगलवार, 4 अक्तूबर 2022

विजयदशमी की बधाई* ------- विजयदशमी का यह गौरवपूर्ण पर्व , सात्विक=दैवी-शक्ति के हाथों तामसी-आसुरी- शक्ति की पराजय का एक जीवंत कथानक है ! नंगे पाँव बनवासी राम ने रथारूढ़ लंकापति रावण को पराजित कर के यह साबित कर दिया कि छोटी से छोटी दिखने वाली , दैवी शक्ति भी बड़ी से बड़ी आसुरी शक्ति को बात ही बात में पराजित कर सकती है ! राम चरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास ने श्री राम की वाणी से ऐसे धर्ममय "विजय रथ" के गुणों की उद्घोषणा करवाई है जिस पर सवार हो कर एक साधारण पैदल सिपाही बड़े बड़े अभेद सैन्य उपकरणों से सुसज्जित ,अजेय रिपुओं को भी पराजित कर सकता है ! - सफलता की कुंजी. *विजय रथ* रामचरित मानस से विजय प्राप्रि.हेतु श्रीराम द्वारा विभीषण का मार्ग दर्शन. रावण रथी विरथ रचुवीरा देखि विभीषण भयउ अधीरा *************** चिंतित हो.विभीषण ने श्री राम सै कहा नाथ न.रथ नहिं पग पदत्राना केहि बिधि जितब बीर बलवान । मुस्कुराते हुए.श्रीराम ने विभीषण का मार्गदर्शन करते हुए. कहा , . श्री राम ने बताया कि " इस धर्म मय ,विजय रथ के पहिये हैं -शौर्य और धैर्य ; ध्वजा पताका हैं सत्य और शील ! इस रथ के घोड़े हैं : बल , विवेक , इन्द्रीय दमन और परोपकार - इन घोड़ों को क्षमा , दया और समता रूपी डोरी से जोडा गया है ! ईश्वर का भजन इस रथ का सारथी है ! वैराग्य उसकी ढाल है और संतोष तलवार है ; दान फरसा है, बुद्धि शक्ति है तथा विज्ञानं धनुष है ; निर्मल मन तरकस है जिस में संयम , अहिंसा ,पवित्रता के वाण पड़े हैं !सद्गुरु का आधार कवच है ! श्री राम ने अंततः कहा कि जिस वीर के पास इन दिव्य सनातन जीवन मूल्यों से लैस रथ है , उसे कोई सांसारिक शत्रु परास्त नहीं कर सकता !"