हरवंशी भोलाबाबा द्वारा
इस नवरात्रि के तीसरे दिन रचित और आज माता को समर्पित
जय अंबे, जय जय दुर्गे,
दयामयी कल्याण करो।
शांति करो माँ, शांति करो माँ,
शांति करो माँ, शांति करो ।
कब से द्वार तिहारे ठारे,
बालक दीन दुखी बेचारे।
मैया, अब दो खोल किवाड़े,
दरशन दो और विपति हरो ॥
शांति करो माँ -------
त्रासदि ऐसी फैली है
माँ आज तेरे संसार में,
झुलस रही है मानवता
दैविक देहिक भवजार में,
आंचलतर शीतल बयार भर
जगती का संताप हरो ॥
शांति करो माँ -------
मरणासन्न सकल मानवता,
जीत रही बर्बर दानवता,
सत्यमेव जय मंत्र सत्य हो,
कर दो माँ वह पुण्य व्यवस्था,
त्रासदि मेट मनुज-मन में माँ
पुनः प्रीति संचार करो ॥
शांति करो माँ --------
ओम शांति शांति शांति ॥
भीतर शान्ति, बाहर शान्ति, सर्वत्र शान्ति ॥
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