प्रातः.प्रेरणा हुई, मदर्स डे पर कुछ लिखूँ। लिखने बैठा, जो लिख पाया प्रस्तुत है:
मैया, तुझ पर क्या लिक्खूँ क्या गाऊँ ?
कलम उठा कर कुछ लिखता हूँ , तेरा लेख नजर आता है ।
जब गाता हूँ तेरा ही स्वर, मेरे कानो में आता है ।
मैं तेरे ही बोल तुझे माँ, क्यों कर आज सुनाऊँ?
क्या लिक्खूँ क्या गाऊँ?
जब प्रतिबिंब लखूँ निज का छवि तेरी पड़े दिखाई ।
मंन्दिर की हर दैवमूर्ति में जोत मात तव आई ।
तेरा अंश तुझी को मैया कैसे कहो चढाऊँ ?
क्या लिक्खूँ क्या गाऊँ?
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