औषधि राम नाम की खाइये!
मृत्यु-जन्म के रोग मिटाइये!
(अमृतवाणी)
मेरे वैद्य परमगुरु स्वामी, 2005 में पहले हार्ट अटैक के समय, हौस्पिटल में स्ट्रेचर ट्राली से इमरजैंसी थियेटर में प्रवेश करते समय ये शब्द स्वतः मन में स्फुरित हुए । कदाचित ऐडमिशन की लिखा पढी में किसी ने अभिभावक से रेफरिंग डौक्टर का नाम पूछा होगा और मेरे मन से यही उत्तर निकला ।
मेरे वैद्य परमगुरु स्वामी
तन के सारे रोग मिटावेँ
मन मेँ परमानंद बसावेँ
भय पीडायेँ दूर भगावेँ
गुरु मेरे विग्यानी !
!!टेक!!
भूत भविष सब जन के जानै
कष्ट भोग सबके अनुमाने
औषधि मूल सबै पहिचाने
सतगुरु अंतरयामी !
!!टेक!!
कल क्या होगा किसे ग्यात है
जन्मोँ का प्रारब्ध साथ है
अगला पल श्री राम हाथ है
कहते ग्यानी ध्यानी !
!!टेक!!
जब रोगी थक हार बुलावै
रामबाण गुरुदेव चलावै
रोग लंकपति मार गिरावै
पल में सतगुरु स्वामी !
वैद्य परमगुरु स्वामी!
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