विक्रम नव संवत्सर 2079 के आगमन की
कोटिश बधाई और अनन्त मंगलकामनायें ॥
कोटिश बधाई और अनन्त मंगलकामनायें ॥
संवत दो हजार उन्यासी
मैरिमैक वैली के वासी ।
भोलाजी को गीत लिखाया
बाबा ने फिर उसे गवाया ॥
चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिवस पर सद्गुरुत्रय की प्रेरणा से उपजी यह शब्द रचना:
मैया मुझे दरशन दो,
दरशन दो, दरशन दो ।
एक बार फिर मम अंतरघट
आनंद अमृत से भर दो।
मैया मुझे दरशन दो,
दरशन दो, दरशन दो ।
याद मुझे है कैसे इक दिन
मैया तुमने भेज बुलाया
कोटिक भक्तों के आगे माँ
तुमने अपने पास बिठाया
भरी सभा में उस दिन मैया
केवल मुझसे ही बतियाया ।
आज पुनः निज बालक को
माँ गोदी ले उत्संग भरो ।
मैया मुझे दरशन दो,
दरशन दो, दरशन दो ।
वर्षों बाद पुनः जब मन में
तव दर्शन की आस जगी
प्रगट हुईं तुम सहसा मैया
अमृत रस की झड़ी लगी ।
आज पुनः मम जगी पिपासा
को दरशन दे शांत करो ।
मैया मुझे दरशन दो,
दरशन दो, दरशन दो ।
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श्री श्री माँ आनंदमयी की कृपा एवं दर्शन का सौभाग्य कई बार प्राप्त हुआ। ये प्रसंग मैंने ब्लोग में पहले भी लिखे हैं। निम्न लिंक और इसकी शृखला में आगे के पोस्ट पढ़ें ।
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