नौ अप्रैल २०११ (ई).तदनुसार
विक.सम. २०६८ ,
षष्ठी तिथि मधुमास पुनीता ,उग्यो सूर्य नूतन नभ बीचा
सुन कर रण भेरी अन्ना क़ी ,जागे सोये भारत वासी
सच्चे प्रेम की जय
भारतीय "आम आदमी" की जय ,देश भक्ति की जय
भारतीय सुनामी में भ्रष्टाचार अनीति अनाचार पर प्रलय की मार ,कयामत सी कहर
कलियुग का निर्गम - सतयुग शुभागमन के लक्षण
अनेकानेक शीर्षक उमड़ रहे हैं मस्तिष्क के क्षितिज पर ,लेकिन इनमें से एक भी जंच नहीं रहा है ! इनमें से कोई भी अकेले आज की भारतीय स्थिति को पूर्णतः परिभाषित नहीं कर पा रहा है ! किसी ने कहा : "इतिहास की पुनरावृति हो रही है " पर मेरा कहना है " नहीं यह पुनरावृति नहीं ,यहाँ नूतन इतिहास लिखा जा रहा है " !आजतक इतिहास में कभी ,कहीं ऐसा नहीं हुआ कि १०० घंटों के भीतर इतना महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ हो !
प्रियजन सोच के बैठा था कि आचार्य विनोबा भावे जी के उस आन्दोलन के विषय में लिखूंगा , जिसमें एक अवसर पर अपने विद्यार्थी जीवन में मैंने भी एक छोटा सा योगदान दिया था,पर आज घटी इस अप्रत्याशित अति प्रिय घटना का समाचार पा कर भाव -परिवर्तित हो गया ! आज के आन्दोलन क़ी जीत जनता के द्रढ़ संकल्प क़ी जीत है मानवता के उन शाश्वत जीवन मूल्यों की जीत है जो वैदिक काल से भारतीयों का मार्ग दर्शन कर रहे हैं !
आज जनता जनार्दन की आवाज़ के आगे उन अधिकारियों को भी सिर झुकाना पड़ा जो कुछ समय पहले तक अहंकार में डूबे हुए भ्रष्टाचार के दोषी मंत्रियों को सज़ा दिलवाने के बजाय उनक़ी पैरवी कर रहे थे ,उन्हें बचाने का प्रयास कर रहे थे तथा इस आन्दोलन का उपहास उड़ा रहे थे !
किसे गर्व न होगा भारत के इस महान यज्ञ के महानायक "अन्ना हजारे" पर जो देश के भविष्य को भ्रष्टाचार के कैंसर से उबारने के उद्देश्य से अपने प्राणों तक की आहुति देने को तैयार थे ! इस सत्याग्रह के कर्णधार अन्ना हजारे की प्रेरणा भरी पुकार सुन कर सारा भारत सब भेद भाव भुला कर एक जुट हुआ और जन्तरमन्तर पर ही नहीं वरन देश के कोने कोने में एककृत हो गया ! बात की बात में छिड़ गया यह अनोखा आन्दोलन जिसमे हर उम्र के हर तबके के हर पेशे के सैकड़ों लोग अन्ना के साथ आमरण अन्शन करने को जगह जगह पर बैठ गये ! अन्तोगत्वा सत्य को विजयश्री मिली अन्ना के द्रढ़ संकल्प तथा उनकी अदम्य आत्मशक्ति के बल से ! जय हो ! अन्ना को मेंरा शत शत नमन !
आज जनता जनार्दन की आवाज़ के आगे उन अधिकारियों को भी सिर झुकाना पड़ा जो कुछ समय पहले तक अहंकार में डूबे हुए भ्रष्टाचार के दोषी मंत्रियों को सज़ा दिलवाने के बजाय उनक़ी पैरवी कर रहे थे ,उन्हें बचाने का प्रयास कर रहे थे तथा इस आन्दोलन का उपहास उड़ा रहे थे !
किसे गर्व न होगा भारत के इस महान यज्ञ के महानायक "अन्ना हजारे" पर जो देश के भविष्य को भ्रष्टाचार के कैंसर से उबारने के उद्देश्य से अपने प्राणों तक की आहुति देने को तैयार थे ! इस सत्याग्रह के कर्णधार अन्ना हजारे की प्रेरणा भरी पुकार सुन कर सारा भारत सब भेद भाव भुला कर एक जुट हुआ और जन्तरमन्तर पर ही नहीं वरन देश के कोने कोने में एककृत हो गया ! बात की बात में छिड़ गया यह अनोखा आन्दोलन जिसमे हर उम्र के हर तबके के हर पेशे के सैकड़ों लोग अन्ना के साथ आमरण अन्शन करने को जगह जगह पर बैठ गये ! अन्तोगत्वा सत्य को विजयश्री मिली अन्ना के द्रढ़ संकल्प तथा उनकी अदम्य आत्मशक्ति के बल से ! जय हो ! अन्ना को मेंरा शत शत नमन !
प्यारे अन्ना तुम्हें प्रणाम
शत शत नमन हजार सलाम ,प्यारे अन्ना तुम्हें प्रणाम
तुमने सोया राष्ट्र जगाया ,जन जन को सन्मार्ग दिखाया
सौ घंटों में बात बना दी, शासन क़ी सब ऐंठ मिटा दी
सारे शर्त तुम्हारे माने , मिल जुल लगे सभी जय गाने
तुमने कहा "नहीं जय मेरी , जनता जय हो जय हो तेरी
हुआ नहीं है अंत 'युद्ध' का , असली जंग अभी लडनी है
देशवासियों सजग रहो यह माया बहुत बड़ी ठगनी है"
शत शत नमन हजार सलाम प्यारे अन्ना तुम्हें प्रणाम
प्यारे अन्ना तुम्हें प्रणाम
"भोला"
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भारत से हजारों मील दूर यु.एस.ए से हमारी बधाई स्वीकारें
निवेदक: - व्ही . एन . श्रीवास्तव "भोला"
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1 टिप्पणी:
अन्ना हजारे जी का सोई हुई जनता को जगाने का प्रयास सफल हुआ| अन्ना जी को नमन|
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