मंगलवार, 17 फ़रवरी 2015

मैंने क्या किया - बर्फीले तूफ़ान भरे गत ४ सप्ताहों में -प्रस्तुत है

बर्फीले तूफ़ान भरे दिन रात, तापमान शून्य से भी २० अंश नीचे 
बाहर निकलने का प्रश्न ही नहीं ,
गरम कमरे में बैठे बैठे 
हमने प्रतीक्षा की , 
शिव-कृपा-अवतरण की 
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"ओम नमः शिवाय" 

कर्पूरगौरम  करुणावतारम  संसारसारं  भुजगेंद्रहारम  
     सदावसंतम हृदयारविन्दे भवम भवानी सहितं नमामि 

कर्पूर के समान चमकीले गौर वर्णवाले ,करुणा के साक्षात् अवतार, इस असार संसार के एकमात्र सार, गले में भुजंग की माला डाले, भगवान शंकर जो माता भवानी के साथ भक्तों के हृदय कमलों में 
सदा सर्वदा बसे रहते हैं ,हम उन देवाधिदेव की वंदना करते हैं !!" 

 !महामहिमामय  देवों के देव महादेव  का  स्वरूप तेजोमय और कल्याणकारी है ! 
"शिव"  का शब्दार्थ है " कल्याण" !!




पुरातन काल से ओंकार" के मूल ,विभु ,व्यापक , तुरीय  शिव के  निराकार ब्रह्म स्वरूप को  हमारे धर्माचार्यों ने एक  अनूठा वैरागी  स्वरूप दिया है ;  जिसमें  उनके  शरीर  को भस्म से विभूषितकिया है , उनके गले में सर्प और  रुंड मुंड की माला डाली है,उनकी जटाजूट ने पतित पावनी "गंगधारा" को विश्राम प्रदान किया है ,उनके भाल  को दूज के चाँद से अलंकृत किया है ! "

एक हाथ से डम डम डमरू बजाते तथा दूसरे में त्रिशूल लहराते "शिव शंकर"  कभी ललितकला सम्राट नटराज , तो कभी पापियों के संहारक् ,कभी  तांडव नृत्य की लीला से प्रलयंकारी  तो कभी भक्त को मनमांगा वरदान देने वाले औघडदानी लगते हैं ! अपने सभी स्वरूपों में वह वन्दनीय हैं !

उनके गुण , स्वभाव और  क्रिया -कलाप के कारण श्रद्धालु  भक्तजन  शिव ,शंकर ,भोला ,महादेव ,नीलकंठ , ,नटराज, त्रिपुरारी , अर्धनारीश्वर ,विश्वनाथ आदि अनेकानेक  नामों से उनका नमन  करते है ! 
आइये   आज हम आप सब प्रियजनों के साथ मिल कर समवेत स्वरों में पूरी श्रद्धा एवं निष्ठां से ,गुरुजनों के भी सद्गुरु ,सर्व गुण सम्पन्न ,सर्व शास्त्रों के ज्ञाता ,
सर्वकला पारंगत , राम भक्त , देवाधिदेव , भोले नाथ शिव शंकर की वन्दना करें :

ओम नमः शिवाय

शिव वन्दना 

  ओम नमः तुभ्यम महेशान , नमः तुभ्यम तपोमय ,
प्रसीद शम्भो देवेश, भूयो भूयो नमोस्तुते !
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जय शिव शंकर औघडदानी 
जय शिव शंकर औघड़दानी ,विश्वनाथ विश्वम्भर स्वामी 


सकल बिस्व के सिरजन हारे , पालक रक्षक 'अघ संघारी' 
जय शिव शंकर औघड़दानी ,विश्वनाथ विश्वम्भर स्वामी  

हिम आसन त्रिपुरारि बिराजें , बाम अंग गिरिजा महरानी
जय शिव शंकर औघड़दानी ,विश्वनाथ विश्वम्भर स्वामी 

औरन को निज धाम देत हो , हमसे करते आनाकानी 
जय शिव शंकर औघड़दानी ,विश्वनाथ विश्वम्भर स्वामी

सब दुखियन पर कृपा करत हो हमरी सुधि काहे बिसरानी 
जय शिव शंकर औघड़दानी ,विश्वनाथ विश्वम्भर स्वामी
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महाशिवरात्रि की हार्दिक बधाई स्वीकारें 
और सुने इस दासानुदास द्वारा रचित 
उपरोक्त शिव वन्दना 


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निवेदक - व्ही एन श्रीवास्तव "भोला"
सहयोग - श्रीमती कृष्णा भोला 
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