(गतांक से आगे)
भरोसा
बिना भरोसे राम के सफल न हो कुछ काम
हाथ पाँव से काम्र कर मनहीमन जप 'नाम'
रचना करके सृष्टि को, चला रहा "करतार",
"उनके" ही बल से सचल, है सारा संसार !
हम तुम जो भी कर रहे आज जगत व्यवहार ,
हमे प्रेरणा दे रहा "वही" कृपालु उदार !!
(भोला)
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यह निवेदक, अपने ८६ वर्ष के जीवन के अनुभवों के आधार पर दृढ़ता से कह सकता है कि
परम कृपालु प्रभु, अपने अंशी मानव को
उसके सभी कार्यों के क्रियान्वन हेतु, यथासमय आवश्यकतानुसार
समुचित प्रेरणा विवेक बुद्धि और बल, प्रदान करता रहता है !
ऐसे में आवश्यकता है इसकी कि अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मानव एकमात्र अपने "इष्ट प्रभु" पर अटूट भरोसा रखे और सम्पूर्ण समर्पण के साथ, उसपर पूर्णतः निर्भर हो जाये !
योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण द्वारा उद्घोषित निम्नांकित सूत्र को अक्षरशः अपनी नित्य की रहनी सहनी, कथनी करनी में गांडीवधारी अर्जुन की भांति चरितार्थ करने वाले "जीव" जहाँ एक ओर अपने जीवन में सफलता की चरम सीमा छू लेते हैं वहीं दूसरी ओर भगवान श्रीकृष्ण के आश्रित रहकर "आवागमन" के चक्कर से "मुक्त" भी हो जाते हैं !
सर्व धर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं ब्रज
अहमत्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच:
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सब धर्मों को त्याग कर शरण हमारी आ
मुक्त करूँगा मैं तुझे चिंतायें बिसरा
(भोला)
मुक्त करूँगा मैं तुझे चिंतायें बिसरा
(भोला)
प्रियजन कहना आसान है ,कर पाना कठिन तो है पर असंभव नहीं ! हमारे गुरुजनों ने बोध कराया है कि हमारा इष्ट माता भी है पिता भी है और वही वास्तव में हमारा देवाधिदेव भी है ! इसीलिए प्रार्थना करते हुए हम सब कहते हैं - "त्वमेव सर्वंम् मम देव देव"!अत : जैसे नन्हे शिशु अपनी माँ से दूध मांगते हैं वैसे ही हम भी अपने देवाधिदेव राम से याचना करें कि वह हमे अपना "अनमोल भरोसा" प्रदान करें !
हम अपने प्यारे प्रभु से इतनी गहन प्रीति करें कि वह प्रीति भक्ति में परिणित हो जाये ! प्रीति -रस से भरे मन में असीम श्रद्धा भाव संजो कर अपने प्यारे प्रभु से ही माँगे ,उनका आश्रय और उनका अटूट "भरोसा" ,
अस्तु
व्यर्थ की चिंताएं त्याग कर ,क्यूँ न हम अपने जीवन पतंग की डोर उस
निपुण पतंगबाज़ "परमप्रभु श्रीराम "के सबल हाथों में पूरे भरोसे और विश्वास के साथ सौप दें !
निपुण पतंगबाज़ "परमप्रभु श्रीराम "के सबल हाथों में पूरे भरोसे और विश्वास के साथ सौप दें !
आइये स्वामी जी महराज के शब्दों में हम अपने इष्ट से कहें :
मेरे प्रभु !
सर्वलोक में है रमा तू मेरा भगवान
ओमकार प्रभु राम तू पावन देव महान !!
आया तेरे द्वार पर दुखी अबल तव बाल
पावन अपने प्रेम से करिये इस निहाल !!
.
सर्वशक्तिमय रामजी सकल विश्व के नाथ
शुचिता सत्य सुविश्वास दे सिर पर धर कर हाथ !!
हे राम मुझे दीजिए अपनी लगन अपार
अपना निश्चय अटल दे अपना अतुल्य प्यार !!
मुझे भरोसा राम तू दे अपना अनमोल
रहूं मस्त निश्चिन्त मैं कभी न जाऊं डोल !!
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(संत शिरोमणि स्वामी सत्यानन्द्जी के "भक्ति प्रकाश" से संकलित )
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यू ट्यूब में वीडिओ देखने के लिए लिंक
https://youtu.be/Y5SYuqGqkrE
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निवेदक
व्ही, एन, श्रीवास्तव "भोला"
सहयोग: श्रीमती कृष्णा भोला श्रीवास्तव
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