"कलिजुग जोग न जग्य न ग्याना
एक अधार राम गुन गाना" .
एक अधार राम गुन गाना" .
हमारे कुलदेवता श्री महावीर हनुमानजी के मतानुसार हम "उनके" स्वामी श्री राम जी को मनाये बिना "उनकी" कृपा नहीं पा सकते. अस्तु हम "चालीसा" गायन के साथ राम धुन और "मानस" का निम्नांकित अंतिम छंद अवश्य गाते हैं. चमत्कार होता है. आप भी प्रयत्न करे उनकी कृपा अवश्य प्राप्त होगी.
पाई न केहि गति पतित पावन राम भज सुनु शठ मना .
गनिका अजामिल व्याध गीध गजादि खल तारे घना..
आभीर यमन किरात खस स्वपचादि अति अघ रूप जे .
कही नाम वारक तेपि पावन होइं राम नमामि ते..
रघुवंश भूषण चरित जे नर कहाहि सुनहि जे गावहीं.
कलिमल मनोमल धोय बिनु श्रम राम धाम सिधावही ..
सत पञ्च चौपाई मनोहर जानि जे नर उर धरें.
दारुण अविद्या पञ्च जनित विकार श्री रघुबर हरें..
सुंदर सुजान कृपानिधान अनाथ पर कर प्रीति जो.
सो एक राम अकाम हित निर्वाण पद सम आन को ..
जाकी कृपा लव लेस ते मतिमंद तुलसीदास हूँ.
पायो परम विश्राम राम समान प्रभु नाहीं कहूँ ..
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मो सम दीन न दीन हित तुम समान रघुबीर ,
अस बिचारी रघुबंस मनी हरहु बिसम भव भीर ..
कामिहि नारि पियारि जिमि लोभिहि प्रिय जिमि दाम .
तिमि रघुनाथ निरंतर प्रिय लागहु मोहि राम..
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आइये, मिल कर गायें - MP3 Audio
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