शुक्रवार, 16 अप्रैल 2010

प्रतिदिन प्रातः धन्यवाद दें

गतांक के आगे :

प्रातः उठते उठते ही, अविलम्ब, केवल एक मिनिट, मन ही मन अपने इष्ट का सिमरन करें और उनकी कृपा से प्राप्त सब भौतिक व दैविक उपलब्धियों के लिए उनके प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करें भावाद्र वाणी में कहें -

"धन्यवाद तुझ को भला कैसे दूँ भगवान ,
तूने ही सब कुछ दिया यह काया यह प्रान,
प्रति पल रक्षा कर रहा देकर जीवन दान,
क्षमा करो अपराध सब मैं मूरख नादान,
मुझपर कृपा करो भगवान"

कोई टिप्पणी नहीं: