ब्रहम अनामय अज भगवंता ब्यापक अजित अनादि अनंता
हरि ब्यापक सर्वत्र समाना प्रेम ते प्रगट होइ में जाना
हम सब पर प्रति पल कृपा करने वाला हमारा परम पिता परमात्मा सर्वदयालु, सर्वसमर्थ, सर्वज्ञ और सर्वत्र है . वह दो ( अथवा अनेक ) हो ही नही सकता. वह एक ही, इस सृष्टि का सिरजनहार, पालनहार, और संहारक है. समस्त जीव जगत का वह एक मात्र आधार है.
यह कहना कि वह किसी एक मंदिर में है अथवा मस्जिद या गिरजा घर में है ही नही, पूर्णत:असत्य है. सच तो यह है कि उस "एक" को ही विभिन्न धर्मावलम्बी विभिन्न नामो से पुकारते हैं, पर वह निरपेक्षता से सब पर अपनी कृपावृष्टि करता रहता है. जैसे पवन बिना किसी भेद भाव के सब प्राणियों को श्वास प्रस्वास द्वारा जीवन दान देता है और सूर्य अपना प्रकाश और उर्जा बिना जाति, धर्म ,रंग-रूप, ऊँच-नीच के भेद का विचार किये, समस्त जगत को निःशुल्क ही प्रदान करता है, वैसे ही हमारा प्रभु भी समस्त सृष्टि पर अपनी कृपामृत की वर्षा निरंतर कर रहा है. आप प्रेम से उसे किसी भी नाम से पुकारें, हाँ, आपकी पुकार में उनके प्रति आपका अखंड विश्वास और आपका साँचा प्यार मुखरित होना चाहिए, वह आपकी सुनेगा अवश्य. प्रभु परम दयालु हैं.
को रघुबीर सरिस संसारा . सील सनेह निबाहन हारा.
कोमल चित अति दीन दयाला. कारन बिन रघुनाथ कृपाला
प्रियजन, तुलसीदास अपने इष्ट श्री राम को रघुनाथ, रघुबीर अदि नामो से पुकारते थे . हम चाहे जिस देवता के नाम से उन्हें पुकारें, राम कहें या रहीम, कृष्ण कहें या करीम, अल्लाह कहें या गोंड, मुहम्मद कहे या ईशु, पुकार सुनने वाला "एक" ही है. सच्चे मन की,भाव भीनी पुकार सुनते ही वह दयालु कृपानिधान आपके सेवार्थ अविलम्ब आ जायेगा. प्रियजन कोशिश कर के देखो तो सही.
कुछ पल ही लगेंगे, रात्रि सोने से पहले, परिवार वालों को "शुभ रात्रि" या "गुड नायीट" कहने के बाद उस "एक" को याद करके, अपने दिन भर के कार्यों का लेखा जोखा करें , भूलों के लिए "उनसे" मुआफी मांगें और अर्ज़ करें की आयन्दा "वह" आपको ऐसी भूल नही करने दें. विश्वास कीजिए आपको अगले दिन ही नहीं वरन आजीवन "वह" आपको सद्बुद्धि देता रहेगा, आप लाख चाहें भी तो आपसे कोई ग़लत काम होगा ही नहीं.
ऐसा चमत्कारी है दो पल स्मरण का प्रभाव .
निवेदक: व्ही एन श्रीवास्तव "भोला"
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