मंगलवार, 29 जून 2010

OUR PRAYERS



हमारी प्रार्थना 


निज अनुभव - साउथ अमेरिकन पोस्टिंग 



आज प्रातः उठते ही इंटरनेट पर मेल देखा .एक पत्र था ओटवा (केनेडा) से चिरंजीव पराग जी का . उन्होंने मेरे कल के लेख के सन्दर्भ में टिप्पणी की है .बात यह है क़ि पराग उन सौभाग्यशाली लोगों में से एक हैं जिन्होंने बहुत बचपन में जब वह साफ़ साफ़ बोल भी नहीं सकते थे तब अपनी तोतली बोली में वह प्रार्थना सीखी थी .उन्हें आज भी जब वह लगभग ४० वर्ष के हो गये हैं ,यह प्रार्थना पूरी की पूरी याद है  वह उसका प्रसार अधिक  से अधिक प्रवासी भारतीयों के बीच करना चाहते हैं  पराग को निजी अनुभव से  यह पूरा विश्वास है क़ि राम परिवार की प्रार्थना करने से व्यक्ति टेंशन मुक्त हो जाते हैं .


पराग ने राम परिवार की दैनिक प्रार्थना के दो विशेष प्रकरण की याद  हमे दिलायी .उनमे से एक है परमार्थ निकेतन में नित्य प्रातःकाल होने वाली प्रार्थना का एक विशेष अंश. राम- परिवार की प्रार्थना में उपरोक्त उन्ही सूत्रों का स्मरण किया जाता था..ये  सूत्र  परिवार के सबसे छोटी उम्र के बच्चों से कहलाये जाते थे..एक बच्चा बोलता था और उसके पीछे, परिवार के अन्य बच्चे- बूढ़े उसका कहा हुआ वचन दुहराते थे..बच्चा लीडर होता था बाकी सब फ़ोलोवर .लीडर बनने की इच्छा बच्चों को उत्साहित करती थी . सभी बच्चे मन लगा कर प्रार्थना कंठस्थ करते थे जिससे क़ि  यदि वे लीडर बनाये गये तो कहीं उन्हें नीचा न देखना पड़ जाये . सब पूरी तैयारी से प्रार्थना सभा में आते थे. प्रार्थना के लिए कंठस्थ किये वचन ,जीवन भर के लिए उनके आचरण में संम्मिलित हो गये .  प्रार्थना के वे विशेष उपदेशात्मक सूत्र नीचे लिख रहा हूँ. 
श्री १०८ श्री स्वामी एकरसानंद जी सरस्वती से प्राप्त दस उपदेश.
पहला .  संसार को स्वप्न वत जानो.
दूसरा.    अति हिम्मत रखो.
तीसरा.   अखंड प्रफुल्लित रहो,दुःख में भी 
चौथा .    परमात्मा का स्मरण करो ,जितना बन सके.
पांचवा.    किसी को दुःख मत दो,बने तो सुख दो.
छठा.      सभी पर अति प्रेम रखो.
सातवाँ.   नूतन बालवत स्वभाव रखो .
आठवाँ.   मर्यादानुसार चलो.
नवां .      अखंड पुरषार्थ करो, गंगा प्रवाहवत , आलसी मत बनो. 
दसवां.    जिसमे तुमको नीचा देखना पड़े,ऐसा काम मत करो..

व्यवहार जगत में उपरोक्त दसों सूत्र  मनुष्यों के चारित्रिक भौतिक एवं आध्यात्मिक विकास के लिए बहुत आवश्यक हैं. पर इनमे से यदि एक,दसवां सूत्र ही भली भांति अपना लिया जाये तो फिर व्यक्ति का कल्याण सुनिश्चित ही समझें.चिरंजीव पराग ने इस दसवें सूत्र का उल्लेख अपने  मेल में किया है


राम परिवार की  पारम्परिक प्रार्थनाओं के विषय में बहुत कुछ कहना है.पूरी पूरी प्रार्थनाएं आपको बताऊंगा. धीरे धीरे . अभी इतना ही 


निवेदक:  व्ही. एन. श्रीवास्तव "भोला"



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