साधक का ईश्वर के प्रति अनन्य प्रेम ही भक्ति है ! मानव हृदय में जन्म से ही उपस्थित प्रभुप्रदत्त "प्रेमप्रीति" की मात्रा जब बढ़ते बढ़ते निज पराकाष्ठा तक पहुँच जाए , जब जीव को सर्वत्र एक मात्र उसका इष्ट ही नजर आने लगे (चाहे वह इष्ट राम हो रहीम हो अथवा कृष्ण या करीम हो ) जब उसे स्वयम उसके अपने रोम रोम में तथा परमेश्वर की प्रत्येक रचना में, हर जीव धारी में, प्रकति में, वृक्षों की डाल डाल में , पात पात में केवल उसके इष्ट का ही दर्शन होने लगे, जब उसे पर्वतों की घटियों में,कलकल नाद करती नदियों के समवेत स्वर में मात्र ईश्वर का नाम जाप ही सुनाई देने लगे , जब उसे आकाश में ऊंचाई पर उड़ते पंछियों के कलरव में और नीडों में उनके नवजात शिशुओं की आकुल चहचआहट में एकमात्र उसके इष्ट का नाम गूँजता सुनाई दे तब समझो कि जीवात्मा को उसके इष्ट से "परमप्रेमरूपा -भक्ति" हो गयी है ! स्वामी अखंडानंद जी की भी मान्यता है कि " अनन्य भक्ति का प्रतीक है, सर्वदा सर्वत्र ईश दर्शन ! साधक के हृदय में भक्ति का उदय होते ही उसे सर्व रूप में अपने प्रभु का ही दर्शन होता है !
दे दो राम !! दे दो राम !!
हे राम !
मेरे राम ! मेरे राम !
सतगुरु से तव नाम सुयश सुन, जाना तुमको राम !
अविरल भक्ति, शक्ति अतुलित दे ,करवाओ निज काम !!
मेरे राम ! मेरे राम !
दे दो राम ! दे दो राम !
दे दो राम ! दे दो राम !
अविरल भक्ति दे दो राम ! अतुलित शक्ति दे दो राम !
अविरल भक्ति दे दो राम ! अतुलित शक्ति दे दो राम !
अविरल भक्ति दे दो राम ! अतुलित शक्ति दे दो राम !
जपते जपते तव शुभ नाम !
मेरे राम, मेरे राम, मेरे राम, मेरे राम !
जपते जपते तव शुभ नाम, चलूं धर्मपथ, करूँ सुकाम !
जपते जपते तव शुभ नाम, चलूं धर्मपथ, करूँ सुकाम !
दे दो राम ! दे दो राम ! अविरल भक्ति दे दो राम !
दे दो राम ! दे दो राम ! अतुलित शक्ति दे दो राम !
दे दो राम ! दे दो राम ! मीठी वाणी दे दो राम !
दे दो राम ! दे दो राम ! मीठी वाणी दे दो राम !
दे दो राम ! दे दो राम ! मीठी वाणी दे दो राम !
सच बोलूं पर दिल न दुखाऊँ, सुयश गान कर प्रीति लुटाऊँ !
मैं प्रीति लुटाऊँ !
सच बोलूं पर दिल न दुखाऊँ, सुयश गान कर प्रीति लुटाऊँ !
मैं प्रीति लुटाऊँ !
अक्षर ब्रह्म शब्द में झलके, मुखरे स्वर में ईश्वर नाम !
अक्षर ब्रह्म शब्द में झलके, मुखरे स्वर में ईश्वर नाम !
मुखरे स्वर में ईश्वर नाम ! मुखरे स्वर में ईश्वर नाम !
दे दो राम ! दे दो राम ! दे दो राम ! दे दो राम !
मीठी वाणी दे दो राम ! मीठी वाणी दे दो राम !
दे दो राम ! दे दो राम !
मीठी वाणी दे दो राम !
सद् विवेक पावन वृत्ति दो ! सात्विक रहनी दृढ़ भक्ति दो !
सद् विवेक पावन वृत्ति दो ! सात्विक रहनी दृढ़ भक्ति दो !
हृदय शुद्ध दो ! मति प्रबुद्ध दो ! हृदय शुद्ध दो ! मति प्रबुद्ध दो !
नाम प्रीति रस भरी आंख में ऐसी दृष्टि दे दो राम !
नाम प्रीति रस भरी आंख में ऐसी दृष्टि दे दो राम !
दे दो राम ! दे दो राम ! अविरल भक्ति दे दो राम !
दे दो राम ! दे दो राम ! अतुलित शक्ति दे दो राम !
दे दो राम ! दे दो राम !
ऐसी भक्ति हो मेरे राम, सब में देखूं तुमको राम !
सब में देखूं तुमको राम, सब में देखूं तुमको राम !
ऐसी दृष्टि दो मेरे राम !
सब में देखूं तुमको राम, सब में पाऊं तुमको राम !
ऐसी दृष्टि हो मेरे राम ! सब में देखूं तुमको राम !
दे दो राम ! दे दो राम ! ऐसी दृष्टि दे दो मेरे राम !
सब में देखूं तुमको राम, सब में पाऊं तुमको राम !
नतमस्तक हो करूँ प्रणाम, सब में देख तुम्ही को राम !
नतमस्तक हो करूँ प्रणाम, सब में देख तुम्ही को राम !
दे दो राम ! दे दो राम ! अतुलित शक्ति दे दो राम !
दे दो राम ! दे दो राम ! अविरल भक्ति दे दो राम !
राम राम राम राम राम राम, राम राम राम राम राम राम !
मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम !!
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प्रेरणा स्रोत : परम पूज्य श्री महाराजजी द्वारा गायी धुन
निवेदक: व्ही . एन. श्रीवास्तव "भोला"
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