मंगलवार, 12 नवंबर 2019

फुटकर रचना-**

ब्रज में बजत बधाई , अरे माई मैं सुनि के आई
nnd duare naubt baje aur bje shahnaaii   
नन्द दुआरे नौबत बाजे और बजे शहनाई 

rtn jdit chndn plne pr sohe kishn knhaii 
रत्न जडित चन्दन पलने पर , सोहे किशन कन्हाई 

bhr bhr thal mogra bela ,maliniya le aaii  
भर भर थाल मोगरा बेला ,माँलिनिया ले आई 
bndnwar bna phuuln se , dyodhii daii sajaaii 
बन्दनवार बना फूलन से ,ड्योढी दई सजाई 

nnd gaanv gmkaa sugndh se , prmudit log lugaaii .    Are 
नंदगांव गमका सुगंध से , प्रमुदित लोग लुगाई   ! अरे माई --------

ubtn kajr tel mahaavr , nauniyan le aaii .  Are maaii -------
उबटन काजर तेल महावर , नाउनिया ले आई   !  अरे  माई --------

nnd lutaaven knk dhaan gud rbdii khiir mlaaii . Are maaii 
नंद लुटावें कनक धान गुड़ रबडी खीर मलाई   !    अरे माई---------- 

luut luut khayen sb purjn  jy jykaar lgaaii .  Are maaii ------

लूट लूट खाएं सब पुरजन जय जयकार लगाई !-    अरे माई --------------- 


सखी धूम मची शंकर अंगना 

 शंकर अंगना गौरी के अंगना  सखी धूम मची शंकर अंगना

सखी धूम मची शंकर अंगना 

शिव गौरी घर सिद्ध विनायक , प्रगट भये तन उबटन मा 

सखी धूम मची शंकर अंगना 

बाज रही मंगल शहनाई , और बजे ढोलक चंगना 

सखी धूम मची शंकर अंगना 

चंद्रमुखी परबत कन्याएं , छेड़ें राग मधुर सुर माँ 

सखी धूम मची शंकर अंगना 

नील गगब से कौतुक देखें --सुरगण देखें ,देव गण देखें 

गौरी को सुंदर ललना ,

सखी धूम मची शंकर अंगना 

इन्द्रलोक की परियां नाचें , खनकाएं झांझर  कंगना 


सखी धूम मची शंकर अंगना 

सद्गुर बिनु  कोऊ ना ऐसो जो हमकह   उद्धारे
खुल गया राज़ कि मैं कौन हूँ क्यों आया हूँ ?
मैं नहीं वह, मुझे जिस नाम से पुकारा है ..


नामवाले बहुत आये-गये गुमनाम हुए,
बच गए वह जिन्हें उस "नाम"ने सहलाया है.

जिस्म का नाम है कुछ, आत्मा है बेनामी ,
सारी दुनिया ने फकत जिस्म को दुलराया है .

देह है वस्त्र जिसे डाल कर हम आये हैं,
सब ने पोशाक को चाहा, हमे ठुकराया है .



मुझको मुंदी नजर से ही सब कुछ दिखा दिया
तेरे खयाल ने मुझे तुझ से मिला दिया!!
 

मुझको दिखा के चकित किया रंग सृष्टि का
आनंद भरा रूप प्रभू का दिखा दिया !!

चेहरा पिया का खेंच कर मन की किताब पर
मेरे हृदय को प्यार का गुलशन बना दिया !!





जीवन बचा हुआ है मेरा  हे कपि तेरी कृपा नजर से 
तूने मग में ज्योति जगा कर .हमें बचाया सघन तिमिर से.

मैं कुछ जान न पाया ,तुमने निज इच्छा से अस्त्र सम्हाले 
आने वाले संकट मेरे ,आने से पहले ही टाले  

सच कहता हूँ , हे प्रभु मैं तो तुमको उसपल भूल गया था 
अपनी बलबुद्धी के मद में तब मैं इतना फूल गया था  

क्या होता ,मेराप्रभु ,यदितुम ,मुझपर तत्क्षण कृपा न करते
मेरी परछाईं से भी तब ,शायद मेरे परिजन डरते. 

जीवन दान दिया क्यों मुझको  हे प्रभु ह्म यह समझ न पाये ,
इक्यासी का हुआ,करूं क्या ,ऐसा जो तेरे मन भाये

यही प्रेरणा हुई ,क़ि प्यारे ,तुम अपना अनुभव लिख डालो 

लाभान्वित हों सबजन ,ऎसी कथा कहो, हरि के गुन गा लो 











-भोला इतनी  कृपा  करी  है तुमने  कैसे  धन्यवाद दू तुमको ,                                                       
मोल चुकाऊ किस मुद्रा मे सब उपकारो का मै तुमको !! 

लख चौरासी योनि घुमाकर ,तुमने दिया हमे नर चोला ,
बुद्धि विवेक ज्ञान भक्ती दे,मेरे लिये मुक्ति पथ खोला !!

ऐसे कुल मे जन्म दिया जिस पर ईश्वर् की दया बडी है,
महावीर् रक्षक है ,अपने आँगन उनकी ध्वजा गडी  है  !! 

बिन मांगे  हनुमत देते है फ़िर् काहे को अ न त जाइये  
हम से ज़्यादा उन्हे ज्ञात है हम को क्या सौगात चाहिये !!


 जन जन में दरसन देते "वह" अति मुसकान ललाम !
सृष्टि में सर्वत्र दिखे "वह" ज्यों कण कण में राम !!

ज्यो ति से ज्योति जगा सद्गुरु ने दिव्य दीप मालिका सजाई !
ध्रुव तारे सम दमक , जिन्होंने भ्रम भूलों को राह दिखायी !

*आँखों की तमन्ना है        दीदार तुम्हारा हो*
*दिल व्हाँ जाना चाहे  ज्हाँ जिक्र तुम्हारा हो**
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राम कृपा भरपूर पा रहे हम सब , सद्गुरु जी के प्यारे !
बिना बताये  "गुरु" ने  कैसे अपने बिगड़े काज संवारे  !! 

मेरा क्या ? है सब सखे   उनका ही ब्यापार।*  
*नाटक मे . हम कर रहे वणिक सा  व्यवहार॥
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मेरे सपने कर साकार , मुझ पर कर इतना उपकार ,
जो आनन्द दिया है तुमने , उसे सकूँगा नही सम्हार !! 

केवल गुरु पूरन समरथ है , हम सब बालक  हैं नादान !
गुरु चर्चा कर ,जोति जगाओ, मेटो गहन तिमिरअज्ञान !

9/26/2017,


मेरे प्यारे राम

 है प्रभु देव दयालु कृपा निधि ,निज चरणों मैं दो स्थान  ।
नाम ध्यान मे रहे मगन मन , केवल होवे तव गुण्रचिंतन ।
केवल यही  मांग है मेरी , और न कुछ दो कृपानिधान ।।
हर धडकन मे तेरा सिमरन , स्वास स्वास तेरा गुणगान ।।

गूँज तां रहा धरती अम्बर में अपने प्यारे प्रभु का नाम 
केवल यही मांग है मेरी और न कुछ  दो कृपा  निधान  ।।
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मोहन जैसे प्यारे सद्गुरु , जिन   महिमा   मंगलकारी      है  !
हम साधक जन का तन मन धन उन सद्गुरु पर बलिहारी है !!

निरुत्तर हूँ , नि:शब्द हूँ । 🙏🙏🙏🙏🙏
मुख पर लगी है मुहर खमोशी की ,मौन हूँ  ॥
गुरुजन की मेहर से  हटी जो धूल द्वन्द की  ,
आवरण हटा जान गया,  मैं कि    कौन हूँ  ॥
राम राम ।
[7/7, 7:30 AM] भोला कृष्णा: हे गोपाल ,
नचाते रहो जब तलक "तुम" को भावे ,
रुकुंगा नहीं , लय      बढाता    रहूंगा ।
टूटेगी जब   साँस-घुँघरू  की    लड़ियाँ ,
बिखर जाउँगा ,तोड़ जीवन की कड़ियाँ ।
उठावोगे  जब  "तुम" , लगावोगे उर  से
मैं तब भी ,  थिरक-गुनगुनाता   रहूंगा ॥   🙏🙏🙏🙏🙏🙏
 यंत्री है    'श्री सम"   हमारे ,, हम तो       यन्त्र मात्र हैं  केवल,
उनकी शक्ति बिना हम हैं शव जीव बिना निर्बल अरु निश्चल !!   
परम पिता परमात्मा बिनती एक न आन !
 सब की विपदाएं हरो ,करो विश्व कल्यान !
[12/13/2017, 19:28] भोला कृष्णा:


मनमुटाव होते वैसे ही ,      नोक झोंक का वही हाल  हैं ,
अब भी होते हैँ वे सब पर , तब अब का अंतर विशाल है ।
तब थे नव परिचय के संशय , तब था अन्जानो सा ग्यान ,
अब संशय भ्रम दूर होगये , हुई परम सच की    पहचान ।

अपनी प्यारी प्यारी रचना *भाभी* इसमें अंकित करना ।
रसमय शब्दों के अमृत से  स्वजनो के उर सिंचित करना ॥


[1/2, 20:31] Shree Devi: राम कृपा की अमृत वर्षा होवे सब पर सदा सदा ही
स्वस्थ सुखी संपन्न आप हो आनंदित मन रहे सदा ही
नया वर्ष लाए जीवन में एक नया उल्लास
गए वर्ष जो नहीं हुई वह पूरी होवे आस
पूरी होवे आस आपको मिल जाए मनमाना
प्रियवर कार्य सिद्ध होने पर राम नहीं बिसराना
राम नहीं बिसराना वह है ब्रह्म और अविनाशी
??
सबके उर पुर का वासी
उरपुर वासी राम जानता है सबकी इच्छाएं
पर देता उतना ही है जो आंचल बीच समाये
[1/2, 20:32] Shree Devi: आपने कई साल पहले भेजी थी नए वर्ष की ग्रीटिंग में
[1/2, 20:33] Shree Devi: मुझे पूरी कविता ठीक से याद नहीं है
[
[3/31, 17:22] भोला कृष्णा: ॥ भाभी राउर जीवन न्यरा ॥
परिजन रक्षण पोषण सेवन कर्म किये  परिवार संभारा  ॥ भाभी .... ॥
भैया किश्ती छोड़ गये  सहसा जिस छिन तूफान मझारा ॥
साँची सहघरि रहि बाबू की ,आजीवन उन दिया सहारा  ॥
बाबू पिता सदृष्य बने ,माँ सी बन तुमने    सबहि दुलारा ॥
एक नज़र से देखा सबको , एक समान किया निस्तारा   ॥
[4/1, 06:47] भोला कृष्णा: बुआ भतीजी ,  देवर सुत  महुँ कबहु न कोऊ भेद बिचारा
ददिया सास बहू  दिवरानी , कहँ भरसक तुव दिया सहारा ।
[4/4, 07:02] भोला कृष्णा: अब तक वह सौहार्द बना है , अब भी वही प्रीति परिजन मेँ ,
आपन बोया प्रेम  बीज ,भाभी पनपा   जन  जन के मन मेँ ।
[4/6, 09:40] Shree Devi: कविता
भाभी भाभीरानी अम्मा मिलजुल कर पकवान पकाते
नन्दें  बिटियाँ बेटे सारे ,  इक परात में मिलजुल  खाते ।
मेले से जो कपड़े , चप्पल जूते        बाबू भाभी लाते,
सब बच्चों में इक समान परिधान  सभी वो बाटे जाते  ।
कभी न कोई रार हुई   ना   मनमुटाव ही पड़ी सुनाई,
भाभी,  तुमने प्रेम प्रीति की ऐसी सुन्दर  लीक बनाई* ।    Alternate *चलाई
अब तक वह सौहार्द बना है ,अब भी वही प्रीति परिमेँ
कृष्णा गीता उमा उषा राधा
[4/6, 09:40] Shree Devi: अब तक वह सौहार्द बना है , अब भी वही प्रीति परिजन मेँ ,
आपन बोया प्रेम  बीज ,भाभी पनपा   जन  जन के मन मेँ ।

१३ मई १८ 

*राधाधारा जो बहे  तनमन की सुधि खोय*
*जिनके  उरअंतर   सदा  श्री राधेराधे होय*
*राधास्वामी कृष्णजू* *सियापियाश्रीराम* 
*लेलेवैँ उत्संग उन्ह , करमन के फल धोय* ॥5/21/2016, 06:37] 
आँखों की तमन्ना है        दीदार तुम्हारा हो*
*दिल व्हाँ जाना चाहे  ज्हाँ जिक्र तुम्हारा हो**
=================
रा

*इतनी अतिशय प्रीति ? "भक्ति" कहते हैं जिसको ,
झलक रही हर कला कृत्य मे ,    "राम" समर्पित ।
साँस साँस से "दास"  प्रार्थना  करता प्रभु     से ,
दिनदिन दूनी बढ़ै "प्रीति" तव "इष्ट" चरण  प्रति ॥
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सद्गुरु---------------

-! कहूँ ,कैसे करूँ वर्णन ,     छटा उस रूप की !
सघन घन के तिमिर में जो थी शिशिर की धूप सी !!
मूल्य उसका आंक सकता हूँ     यहां पर  शीत में,
दरस को हूँ तरसता  ,गरु- दिव्य-ऊष्ण स्वरूप की !!


मैने नहीं लिखा है कुछ भी      और न कुछ है गाया ,
मेरी कलम पकड़ कर ये सब "हरिजू" ने लिखवाया ॥
चित मन वाणी भाव कंठ स्वर , हरी कृपा से  पाया ,
हरिजू का है परम अनुग्रह ,  जो हमको  अपनाया  ॥

मेरे राम ।
जब तक गवाओगे  गाता रहूंगा 
सुमन गीत के मैं   चढ़ाता रहूंगा 
चरणपर "तुम्हारे" मिरे  प्रानप्यारे 🙏
राम राम ।
[7/7, 7:30 AM] भोला कृष्णा: हे गोपाल ,
नचाते रहो जब तलक "तुम" को भावे ,
रुकुंगा नहीं , लय      बढाता    रहूंगा ।
टूटेगी जब   साँस-घुँघरू  की    लड़ियाँ ,
बिखर जाउँगा ,तोड़ जीवन की कड़ियाँ ।
उठावोगे  जब  "तुम" , लगावोगे उर  से 
मैं तब भी ,  थिरक-गुनगुनाता   रहूंगा ॥
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अबतक बरसाते जो हम पर प्रेम प्रीति कीे अमृत धार !!
नमन करो प्यारे साधकजन गुरु चरणन को बारंबार!!-
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बोल मन क्यूँ ना शुकर मनाऊँ उन सद्गुरु का 
जिसने बिन मांगे भर दिया रिक्त भंडारा ,
सुख समृद्धि जय सुयश सफलता परमानन्द अपारा .
इतना दिया कि भिक्षा का कर पाऊँ नहीं सम्हारा ,
उन्हें छोड़ मन मूरख कह तू , जाऊं किसके द्वारा ?
बोल मन क्यों ना शुकर मनाऊँ   उन सद्गुरु का
🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾

गुरुजन की सद् प्रेरणा से ..
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  पर मैंने   ये  धुन बजाई*
*आजीवन  तुम साथ रहना    मेरे "राम राई"*॥ 
*रुक जाय जब साँस मुझको गले से लगाना*
*उत्संग लेना , सदा को,     न करना बहाना* ॥
मेरे प्यारे राम
सर्व व्यापी है तू फिर क्यों नहीं दीखता ?
प्यारे ,ऎसी नज़र दे  कि तुझे हर जगह देख पाऊँ !
जहां देखूँ ,  जिधर देखूँ , मुझे प्रभु तू नज़र आये ,
सिवा तेरे, मुझे इस जगत में , कुछ भी नहीं भाये !!
तुझे हर फूल में देखूँ , डगर की धूल में देखू  !
हे प्रभु , तुझे मैं , पग में चुभते शूल में देखूँ  !!
कुछ ऐसा कर दे ,मेरे प्यारे ,हमे ऎसी दृष्टि दें !कि
जहां देखूँ ,जिधर देखूँ , मुझे तू ही नज़र आये !!
सदा तेरा हर रूप   मेरे  प्यारे मुझे अति ही भाये !  !
!जहां देखूँ ,जिधर देखूँ , मुझे तू ही नज़र आये !! 
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[11/13/2017, 06:32] भोला कृष्णा: 
*जीवन-रक्षा* कर्म प्रथम औ *गायन* दूजा  काम ,
एक साथ करवाते तुम से ,  *करुणाकर    श्रीराम*। 
*धर्म* समझ दोनों कर्मों को करो सदा   *निष्काम*,
पाओगे अनमोल सफलता खरचै   बिना      छदाम ॥
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[7/20, 16:30] भोला कृष्णा: तुकबंदी  ☺☺☺☺
*बिस्तरे मर्ग पर लेटे हुए गाया है  यह*  !
*जब तक चलेगी साँस गाता रहूंगा मैँ* ॥
*हाले दिल  तुमको  सुनाता  रहूंगा मैँ* ॥
[7/20, 17:04] भोला कृष्णा: correction
2nd line...  
*जब तलक साँस चलेगी  युँही गाऊंगा मै* 
*सुने या ना सुने  वो    उनकौ सुनाऊंगा मैं*
*हाले दिल हाले जिगर उनको सुनाऊंगा मैं*
[7/22, 07:08] भोला कृष्णा: 
*न छैड़ो नग्मये ग़म आज तो खुशियाँ मनानी हैँ* 
or
*न छेड़ो राग ग़म का वख्त है खु़शियाँ मनाने का* ।
*तु शरणागत है ,       तेरी नाव पर करतार बैठे हैँ* ॥
^^^^^^^^^^^^^^
समय है सफर का ,  ऐ यार हम तैयार बैंठे हैं ।
बहुत हैं जा चुके इस पार बस दो यार बैठे हैँ ॥
[

+++++++++++++++++×++++++++++++++
[3/1, 4:57 PM] भोला कृष्णा: सिद्ध महात्माओं के दर्शन के साथ उनके नैनों से अविरल झरती अमृत रस धार में सराबोर होने का सौभाग्य इस दास को , अपने सद्गुरुजन की करुणा कृपा से आजीवन मिला !  वह रसधार अब तक नहीं सूखी है !
गुरुजन की इस कृपा ने मन में ऐसा आनन्द भर दिया है की सर्वत्र केवल मधुरता ही साकार दृष्टिगत होती है !े


निराश न हो,ं हमारे सद्गुरु अभी भी सब साधकों की और उसी भाव से देख रहें हैं !
आप उनके विग्रह के सन्मुख बैठ कर उनके चरणों से शुरू कर उनके मुखारविंद तक श्रद्धा प्रीति के अश्रु भरे नैनो से निहारो ,क्षण भर को उनकी प्यार भरी आँखों को देखो , और फिर अपनी अश्रुपूर्ण  आँखें बन्द करलो !
असीम आनन्द आपके मन में भर जायेगा ! महात्माओं के शब्दों में "यही हरि दर्शन है "
प्यारे ,हमारे राम आनन्दघन हैं ,जिन साधकों के मन पर बरस कर ,उनके नेत्रों से झरने लगते हैं , उन साधकों को समझो की "हरी दर्शन" हुआ! 
प्यारे पर इसका अहंकार मत करना ! सुनते ,गुनगुनाते ,ठुमुकते समय केवल उनके प्रति कृतज्ञता के अश्रु  ढलकाते रहो  ! केवल आनन्द लूटो , आनन्द वितरित करो !
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1-5-16     कोटिश नमन सदगुरुदेव 
जय जय राम

आदरणीय साधक बंधु जन.
श्री गुरु पूर्णिमा के शुभ पावन पर्व पर हार्दिक बधाई स्वीकारें |
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दास के आज के हृदयोद्गार .
सद्गुरु जन की मेहर  से जगे हमारे भाग .
अंतर्मन में छिड़ गया प्रेम भक्ति का राग ||
भस्म हुए आशीष से जनम जनम के पाप .
कर्तापन का भाव औ अहंकार की छाप !!

सद्गुरुचरणसरोज रज जो जन लावे माथ .
उनके  मस्तक पर रहे वरद  इष्ट का हाथ !!
कष्ट उसे आनन्दं दे     जपवाये हरि  नाम
नाम जाप से सफल हों उसके सारे काम !!
जय जय जय श्रीगुरुदेव . 

आजीवन नामामृत चाखन के इच्छुक सब कर्मठ जन !

शामिल हो इस नाम यज्ञ में ,सफल करें यह आयोजन !
मानव जीवन धन्य बनाए, ंशुद्ध करें मस्तिष्क सुमन !
डुबकी ले गुरु-तिरवेणी में बिमल बनालें निज तन मन !---------2-1`5-16

अर्पण हैं कोटिश प्रणाम उन, सद्गुरु स्वामी जी के चरनन !
जिनकी  कृपा कटाक्ष मात्र सो ,पाये साधकजन अस दरसन !
ज्योति किरण बन गए शिविर में स्वामीजी औ दोनों गुरुजन !!
धन्य हुए हम ,सुन स्वजनन से, दरसन चमत्कार का  वरनन !!---------3-15-16

"
गुरु आदेश  मान मन मेरे ,    जाप भजन कीर्तन कर ले रे !
छोड़ प्रशंशा मनुज मनुज की ,केवल हरि चिंतन ही कर रे !!

[6/23, 7:48 PM] भोला कृष्णा: 
राम कृपा भरपूर पा रहे हम सब , सद्गुरु जी के प्यारे !
बिना बताये  "गुरु" ने  कैसे अपने बिगड़े काज संवारे  !! 
जय जय जय गुरुदेव !!
[
6/27, 5:54 AM] भोला कृष्णा: 🙏🙏🙏🙏 बोलो राम बोलो राम बोलो राम राम राम !
केवल "एक" गुणी ,समर्थ है ,करता वही जगत कल्यान 
चर्चा एक उसी की करिये ,   बंजारिन में स्वजन सुजान !!
: केवल गुरु पूरन समरथ है , हम सब बालक  हैं नादान !
गुरु चर्चा कर ,जोति जगाओ, मेटो गहन तिमिरअज्ञान !

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