सोमवार, 8 दिसंबर 2025

एक सूफियानी गज़ल--जहां देखा तुझी को - देखा / रचना - "राद" / गायक -"भोला"...



स्वजनों | हम जीवात्माओं में ईश्वर की सी चेतनता . शुद्धता .निर्मलता  सहजता और आनंद काआगार् विद्यमान है | खेद है की हम अपने ही इन गुणों से अनजान हैं| कॉश हम इस सत्य को जानते हुए अपने इन सद्गुणों का बर्तन करते हुए  जीवन जीते |स्वजनों | हम जीवात्माओं में ईश्वर की सी चेतनता . शुद्धता .निर्मलता  सहजता और आनंद काआगार् विद्यमान है | खेद है की हम अपने ही इन गुणों से अनजान हैं| कॉश हम इस सत्य को जानते हुए अपने इन सद्गुणों का बर्तन करते हुए  जीवन जीते |