चरण कमल बन्दों गुरु राई
प्यारे सदगुरु!
तेरा नक़्शे पा जिस जगह देखता हूँ
वहीं सिर झुकाने को जी चाहता है
तेरे पास आने को जी चाहता है
२००७ के प्रारम्भ मे ही महाराज जी ने एक दिन हमसे कहा कि हम दोनों को अब स्थायी रूप में अमेरिका में ही रह कर इलाज करवाना चाहिए ! महराज जी के इस कथन से हमे यह स्पष्ट हो गया कि इस जीवन के शेष दिन अब हमे विदेश में ही काटने हैं !
महराज जी के इस आदेश से हमे एक भयंकर धक्का सा लगा - विदेश में रहने के कारण हम महाराज जी के दर्शन नहीं कर पाएंगे !उसी समय महाराज जी ने हमे आश्वासन देते हुए कहा था कि सुविधा होते ही वह वहाँ अमेरिका में ही हम से मिलने आ जाया करेंगे ! और तभी उन्होंने यह भी कहा था कि " श्रीवास्तव जी -अपनी चिंता न करिये ,You are in Lords safest hands ".
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आप सब जानते हैं कि महाराज जी का उपरोक्त वचन मेरे लिए आज तक कितना सत्य साबित हो रहा हैं ! आज जब महाराज जी हम सब से बहुत दूर चले गए हैं अभी भी मुझे सतत ऐसा लगता है कि महाराज जी के कहे अनुसार मैं आज भी अपने प्यारे प्रभु की गोदी में पूर्णतः सुरक्षित हूँ ! अब आप स्वयं देखें कि महाराज जी के आशीर्वाद से
How safe I have been in the merciful hands of our dear LORD ?
प्रियजन ! मुझे ,प्रति पल ऐसा लगता है जैसे मैं अभी भी उनके श्री चरणों के पास बैठा हूँ.और मेरे इर्दगिर्द बिखरी ,मेरे प्रिय गुरुजन के चरणों से निसृत शुभ तरंगें मुझे अनंत आत्मबल, साहस, एवं आनंद प्रदान कर रही हैं !.तत्क्षण मेरा गर्वित सिर श्री महाराज जी के श्री चरणों पर झुक जाता है ! स्वजनों तब मैं भूल जता हूँ सबकुछ और नानाजी मरहूम राद साहेब का कलाम गुनगुना उठता हूँ:
प्रियजन ! मुझे ,प्रति पल ऐसा लगता है जैसे मैं अभी भी उनके श्री चरणों के पास बैठा हूँ.और मेरे इर्दगिर्द बिखरी ,मेरे प्रिय गुरुजन के चरणों से निसृत शुभ तरंगें मुझे अनंत आत्मबल, साहस, एवं आनंद प्रदान कर रही हैं !.तत्क्षण मेरा गर्वित सिर श्री महाराज जी के श्री चरणों पर झुक जाता है ! स्वजनों तब मैं भूल जता हूँ सबकुछ और नानाजी मरहूम राद साहेब का कलाम गुनगुना उठता हूँ:
सब को मैं भूल गया तुझसे मोहब्बत करके
मेरे प्यारे गुरुदेव
एक तू और तेरा नाम मुझे याद रहा
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तेरे पास आने को जी चाहता है ! गमें दिल मिटाने को जी चाहता है !!
इसी साजे तारे नफस् पर इलाही ! तेरा गीत गाने को जी चाहता है !!
तेरे पास आने को जी चाहता है ! गमें दिल मिटाने को जी चाहता है !!
तेरा नक़्शेपा जिस जगह देखता हूँ ! वहीं सिर झुकाने को जी चाहता है !!
तेरे पास आने को जी चाहता है ! गमें दिल मिटाने को जी चाहता है !!
[ मुंशी हुब्ब लाल साहब 'राद' ]
[ मुंशी हुब्ब लाल साहब 'राद' ]
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स्वर सयोजक एवं गायक
स्वर सयोजक एवं गायक
दासानुदास - व्ही एन . श्रीवास्तव "भोला"
सहयोग
डॉक्टर श्रीमती कृष्ण भोला श्रीवास्तव
एवं
डॉक्टर श्रीमती कृष्ण भोला श्रीवास्तव
एवं
श्रीमती श्री देवी कुमार
[ हमारी बड़ी बेटी ,इस वर्ष के 'यू एस ए' खुले सत्संग में श्री महाराज जी द्वारा दीक्षित ]
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