सोमवार, 24 जुलाई 2023

ओम नमः शिवाय

कर्पूरगौरम करुणावतारम संसारसारं भुजगेंद्रहारम
सदावसंतम हृदयारविन्दे भवम भवानी सहितं नमामि

कर्पूर के समान चमकीले गौर वर्णवाले ,करुणा के साक्षात् अवतार, इस असार संसार के एकमात्र सार, गले में भुजंग की माला डाले, भगवान शंकर जो माता भवानी के साथ भक्तों के हृदय कमलों में
सदा सर्वदा बसे रहते हैं ,हम उन देवाधिदेव की वंदना करते हैं !!"

महामहिमामय देवों के देव महादेव का स्वरूप तेजोमय और कल्याणकारी है !

"शिव" का शब्दार्थ है " कल्याण" !!


पुरातन काल से ओंकार" के मूल ,विभु ,व्यापक , तुरीय शिव के निराकार ब्रह्म स्वरूप को हमारे धर्माचार्यों ने एक अनूठा वैरागी स्वरूप दिया है ; जिसमें उनके शरीर को भस्म से विभूषित किया है, उनके गले में सर्प और रुंड मुंड की माला डाली है,उनकी जटाजूट ने पतित पावनी "गंगधारा" को विश्राम प्रदान किया है , उनके भाल को दूज के चाँद से अलंकृत किया है !

एक हाथ से डम डम डमरू बजाते तथा दूसरे में त्रिशूल लहराते "शिव शंकर" कभी ललितकला सम्राट नटराज , तो कभी पापियों के संहारक् ,कभी तांडव नृत्य की लीला से प्रलयंकारी तो कभी भक्त को मनमांगा वरदान देने वाले औघडदानी लगते हैं ! अपने सभी स्वरूपों में वह वन्दनीय हैं !

उनके गुण , स्वभाव और क्रिया -कलाप के कारण श्रद्धालु भक्तजन शिव ,शंकर ,भोला ,महादेव ,नीलकंठ , ,नटराज, त्रिपुरारी , अर्धनारीश्वर ,विश्वनाथ आदि अनेकानेक नामों से उनका नमन करते है !


आइये आज हम आप सब प्रियजनों के साथ मिल कर समवेत स्वरों में पूरी श्रद्धा एवं निष्ठां से,
गुरुजनों के भी सद्गुरु, सर्व गुण सम्पन्न ,सर्व शास्त्रों के ज्ञाता,
सर्वकला पारंगत, राम भक्त, देवाधिदेव, भोले नाथ शिव शंकर की वन्दना करें :

ओम नमः शिवाय

JAI SHIV SHANKAR TRIPURARI

सोमवार, 17 जुलाई 2023

 Bhajan: jay shiv shankar aughaddani

(Words/Voice - Shri V N S 'Bhola')
Text and link taken from Mahavir Binavau Hanumana

जय शिव शंकर औघड़दानी
जय शिव शंकर औघड़दानी , विश्वनाथ विश्वम्भर स्वामी

सकल बिस्व के सिरजन हारे , पालक रक्षक 'अघ संघारी'
जय शिव शंकर औघड़दानी , विश्वनाथ विश्वम्भर स्वामी

हिम आसन त्रिपुरारि बिराजें , बाम अंग गिरिजा महरानी
जय शिव शंकर औघड़दानी , विश्वनाथ विश्वम्भर स्वामी

औरन को निज धाम देत हो , हमसे करते आनाकानी
जय शिव शंकर औघड़दानी , विश्वनाथ विश्वम्भर स्वामी

सब दुखियन पर कृपा करत हो हमरी सुधि काहे बिसरानी
जय शिव शंकर औघड़दानी , विश्वनाथ विश्वम्भर स्वामी




View and Listen to the bhajan on BholaKrishna youtube channel at https://www.youtube.com/watch?v=GjozaYcXoOE

गुरुवार, 6 जुलाई 2023

 ओम् नमः शिवाय 



वर्षों पूर्व (कदाचित १९५९ में ) 
इस दासानुदास ने , सुप्रासिद्ध पौराणिक सूत्र 

"राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे 
सहस्त्र नाम ततुल्यम राम नाम वरानने" 

से प्रेरित होकर निम्नांकित रचना की और गाया :

"राम नाम मधुबन का भ्रमर बना मन शिव का 
निशदिन सुमिरन करता 'नाम' पुण्यकारी" 

कौन सा नाम और कौन है वह नामोपासक ?
नाम है  
"राम राम राम राम"
और
नामोपासक है 

"शंकर शिव शम्भु", साधु संतन सुखकारी
सतत जपत  राम नाम अतिशय शुभ कारी !!

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विश्वम्भर नाथ श्रीवास्तव "भोला"
  द्वारा 
१९६०-६१ में रचित 
"शंकर वन्दना" 
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यू ट्यूब पर सुनने के लिए लिंक : http://youtu.be/KzoJ7isIxfs

लीजिए आप यहीं सुन लीजिए 

शंकर शिव शम्भु साधु संतन सुखकारी
सतत जपत राम नाम अतिशय शुभ कारी !!

लोचन त्रय अति विशाल, सोहे नव् चन्द्र भाल !
रुंड मुंड ब्याल माल, जटा-गंग-धारी !!
 शंकर शिव शम्भु साधु संतन सुखकारी !!





शंकर शिव शम्भु साधु संतन सुखकारी !!

पार्वती पति सुजान, प्रमथराज, बृषभ यान !
सुर नर मुनि सेव्यमान, त्रिविधि ताप हारी !!
शंकर शिव शम्भु साधु संतन सुखकारी !!

औघड दानी महान, काल कूट कियो पान !
आरत-हर, तुम समान को है त्रिपुरारी !?!
शंकर शिव शम्भु साधु संतन सुखकारी !!
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(शब्दशिल्पी एवं गायक  "भोला")
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