सिया राम के अतिशय प्यारे,
अंजनिसुत मारुति दुलारे,
श्री हनुमान जी महाराज
के दासानुदास
श्री राम परिवार द्वारा
पिछले अर्ध शतक से अनवरत प्रस्तुत यह

हनुमान चालीसा

बार बार सुनिए, साथ में गाइए ,
हनुमत कृपा पाइए .

आत्म-कहानी की अनुक्रमणिका

आत्म कहानी - प्रकरण संकेत

शनिवार, 31 दिसंबर 2011

नये वर्ष का सन्देश

नववर्ष २०१२ के शुभागमन पर 
हार्दिक मंगल कामनाएं 
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३१ दिसम्बर २०११ - लीजिए २०११ का अंतिम दिवस भी आ ही गया ! अभी यहा यू एस ए.  में नहीं आया नववर्ष , किन्तु पिछले १२ घंटों में कहीं न कहीं - संसार के किसी न किसी कोने से , नये वर्ष के शुभारम्भ के समाचार आते रहे हैं !

मैं यहाँ ,जब यह लिख रहा हूँ (३१/१२ के दिन के डेढ़ बजे) तब तक शायद  भारत में भी नये वर्ष - २०१२ ने दस्तक दे ही दी होगी ! सो  -

सब भारत वासियों को 
वर्ष २०१२ के प्रथम दिवस पर हमारी 
हार्दिक बधाई !
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आज की हमारी 
विशेष शुभ कामना 
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लोकपाल, यदि आज नहीं तो कल निश्चय ही आयेगा 
नही  मिला ग्यारह में तों  फिर बारह में मिल जायेगा

कब तक झूठ-फरेब ,सत्य को टालेगा झुठलाएगा  
एक दिवस होगा जब झूठा मुँह काला कर जायेगा 

वे जो हमको लूट रहे थे कहाँ तलक छुप पायेंगे 
हथकंडों से बचे आज तक ,और नहीं बच पायेंगे 

जाग गए हैं भारतवासी, लोकपाल को आने दो 
  एक एक कर सभी लुटेरों  को काराग्रह जाने दो    

 R J D ,  B S P , कोंग्रेस  कोई ना बच पायेगा 
          करी कमाई जिसने काली वह तिहार में जायेगा 


B J P के भ्रष्ट सभासद भी अब ना बच पाएंगे  
तीसतीस चूहे खा बिल्ले कब तक खैर मनाएंगे  

करो प्रार्थना रब से जिससे बदले यह अटपटी व्यवस्था 
सत्यमेव जय कह कर कोई ना तोड़े जनजन की आस्था

"भोला" 

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श्री राम प्रेरणा से उपरोक्त संदेश लेपटोप पर बैठते ही आप से आप बनता गया !
लेकिन ऐसा लगता है कि अभी "वह" और भी कुछ लिखवाना चाहते हैं !
सो लिख रहा हूँ :
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आपके समान हम भी उस व्यवस्था के सताए हुए हैं ! 

१९५० से १९८९ तक लगभग ४० वर्षों तक भारत सरकार के "काजल की कोठरी" में रह कर    हमने भी झेला है वह जो आप अब तक झेल रहे हैं !

एक बात बताऊँ , बिना 'काजल की एक भी लीक' लगाये , मैं साफ सुथरा निकल आया !
ऊपरी आमदनी न कमाई , न खुद खाई और न मंत्रियों को पार्टी फंड के लिए दी 
,
फलस्वरूप दो दो वर्ष में तबादले हुए , अपने रोगी पिताश्री तथा ५ बच्चों की टीम के साथ 
हम दोनों स्वदेश व विदेश भ्रमण करते रहे !
लेकिन  
सर्वत्र आनंद ही आनंद लूटा ! 
यह है प्यारे प्रभु की कृपा !
यह "कृपा" उसे ही मिलती है जो सब प्रकार से अपने इष्ट पर निर्भर हो ,
मंत्रियों और अफसरों पर नहीं ! 
और जिसे किसी और का आश्रय न हो  
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निवेदन : व्ही . एन. श्रीवास्तव "भोला"
सहयोग: श्रीमती कृष्णा भोला श्रीवास्तव 
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