सिया राम के अतिशय प्यारे,
अंजनिसुत मारुति दुलारे,
श्री हनुमान जी महाराज
के दासानुदास
श्री राम परिवार द्वारा
पिछले अर्ध शतक से अनवरत प्रस्तुत यह

हनुमान चालीसा

बार बार सुनिए, साथ में गाइए ,
हनुमत कृपा पाइए .

आत्म-कहानी की अनुक्रमणिका

आत्म कहानी - प्रकरण संकेत

रविवार, 11 नवंबर 2012


महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं ---- नमस्तुभ्यं दयानिधे 
=============================
 मेरे अतिशय प्रिय सभी स्वजन
जय श्रीराम
------------ 
दीपावली के इस मंगलमय शुभ पर्व पर  
हमारी हार्दिक शुभ कामनाएं स्वीकारें 

प्रियजन , 
मेरी माने तो इस दीपावली ===, 

मनमंदिर में  ज्योति  जगाकर ,  औरों के  घर  दीप  जलाओ !!
जगमग दीप जगा कर चहुदिश ,निज पथ का तम दूर भगाओ !
निर्भय आगे बढ़ते जाओ , दीप जलाओ दीप जलाओ

गहन   अँधेरे   में  जग  डूबा  ,  चहु  दिसि   उजियारा  फैलाओ !
अपना  घर  चमका के  प्रियजन , दुखी जनों के मन  चमकाओ !!
उनके घर भी दीप जलाओ ,
दीप जलाओ ,दीप जलाओ !!

किसकी  झुग्गी  अन्धियारी है ,  कौन  कहाँ  है  भूखा  प्यासा ?
देवालय से पहिले ,प्रियजन उस दरिद्र   को   भोग    लगाओ  !! 
उस भूखे की भूख मिटाओ  , 
दीप जलाओ ,दीप जलाओ !!

'अर्थ'  नहीं है फिर क्या ?  अपना अंतर  घट  तो  प्रेम  भरा  है !      
अक्षय है वह , प्यारे तुम बस ,   वही 'प्रेमरस'  पियो  पिलाओ !!
स्वयम छको औ उन्हें छ्काओ ,
दीप जलाओ ,दीप जलाओ !!

तरस् रहें जो 'खील बताशे' को वे प्यारे प्यारे बच्चे ! 
बुझे हुए चेहरे ,जरजर तन वाले ये दुखियारे बच्चे !
फुटपाथों पर भटक रहे हैं जो अनाथ मनमारे बच्चे !
उनके मुखड़ों पर प्रियजन तुम प्यारे प्रभु का नूर खिलाओ !!

गुरुजन ने जो दिया "नामरस", स्वयम पियो औ उन्हें पिलाओ 
प्रेम प्रीति की अलख जगाओ , 
दीप जलाओ , दीप जलाओ !!

[  भोला ]
"दीपावली
ब्रूक्लाइन , (एम्.ए.. यू.एस.ए) 
नवम्बर ११, २०१२ 
========================= 
निवेदक : व्ही . एन..श्रीवास्तव "भोला"
एवं 
श्रीमती कृष्णा भोला श्रीवास्तव  
===================