मंगलवार, 1 अक्टूबर 2013

जय जय बजरंगी महावीर

ओम श्री हनुमते नमः 



अतुलित बल धामं, हेम शैलाभ देहं ,  
दनुज बन कृशानु  ज्ञानिनाम अग्रगण्यम  

सकल गुण निधानं वानरा नामधीषम ,
रघुपति प्रिय भक्तं वात जातं नमामि !!
=================== 
स्नेही स्वजनों ,

जय जय बजरंगी महावीर 
                                  तुमबिन को जन की हरे पीर 

आप कहोगे आज ही क्यूँ मुझे आपको यह भजन सुनाने की इच्छा हुई ? मैं नहीं जानता ! मंगलवार है ,प्रति सप्ताह आता है ! आज क्या खास बात है ?

अक्टूबर का महीना है और U S A में इस समय अक्टूबर की पहली तारीख है ! वहाँ भारत में तो कदाचित अक्टूबर की दूसरी तारीख शुरू हो रही होगी, सम्पूर्ण भारत के राम भक्तों के लिए दोनों ही तारीखें महत्वपूर्ण हैं ! हैं ना ?

क्यूँ ?  

प्रियजन ये दोनों तारीखें याद दिलातीं हैं हमे- हमरे परमप्रिय 

राम भक्त , ह्नुमानोपासक  हमाँरे "मार्ग दर्शक - मेंटर", परम श्रद्धेय माननीय श्री शिवदयाल जी की !! 

विश्व विख्यात रामनामोपासक  हमरे राष्ट्रपिता गांधीजी की !! 

"जय जवान जय किसान" के प्रणेता , राष्ट्र हित हेतु सप्ताह में एक दिन स्वयम अन्न त्यागने तथा देशवाशियों को उसे अनुकरण हेतु प्रेरित करने वाले हमारे भूतपूर्व प्रधान मंत्री श्री लाल बहादुर शाश्त्रीजी की !! 

श्रीराम शरणं दिल्ली के जनसेवक गुरुदेव श्री प्रेमनाथ जी महाराज जो हनुमान जी के समान 'द्रोंनगिरी पर्वत' अपनी दो पहिया सवारी पर लादे दिल्ली की प्रचंड गर्मी ,भयंकर शीत और मूसलाधार बारिश में भी रोगी साधकों के पास संजीवनी बूटी पहुचाते थे ! 

धन्य हैं ये सभी दिव्य आत्माएं !

जर्जर तन और वयस के साथ खरखराती आवाज़ में, श्री हनुमान जी की यह वन्दना गाकर मैं ,अंतर्मन से इन सभी विभूतियों , इन सभी दिव्यात्माओं का नमन कर रहा हूँ ! 

[ प्रेरणास्रोत इस बार एक अज्ञात व्यक्ति है - २०१०  के एक ब्लॉग में मैंने इस भजन के शब्द लिखे थे ! तब तक हमारे पास रेकोर्डिंग के तथा Utube के द्वारा वीडियो / साउंड ट्रेक प्रेषित करने की सुविधा उपलब्ध नहीं थी ! उस समय इस अनजान व्यक्ति ने मुझसे इस भजन की धुन जानने की इच्छा प्रगट की थी ! मैं भूल गया था इसे ! परंतु अभी कुछ दिनों पूर्व किसी ने मेरे उसी ब्लॉग पर कुछ कमेन्ट किया और मेरी नजर  , २०१०  के उस अनजान व्यक्ति की फरमाइश पर पडी !, फिर क्या था  कृष्णा जी ने प्रोत्साहित किया और उनके सहयोग से वो भजन रेकोर्ड हो गया ! कृष्णा जी ने बड़े भाव से मंजीरा भी बजाया ! अब् इस उम्र [८४ प्लुस ] में जैसा गा सकता था , गाकर श्री हनुमान जी और आप सब को सुना रहा हूँ :]

जय जय बजरंगी महावीर 
                                  तुमबिन को जन की हरे पीर 



अतुलित  बलशाली तव काया ,गति पिता पवन का अपनाया
    शंकर से देवी गुन पाया  शिव पवन पूत हे धीर वीर 
                              जय जय बजरंगी  महावीर -----
     

दुखभंजन सब दुःख हरते हो , आरत की सेवा करते हो ,
     पलभर बिलम्ब ना करते हो जब भी भगतन पर पड़े भीर 
                            जय जय बजरंगी महावीर-----
     
जब जामवंत ने ज्ञान दिया , तब सिय खोजन स्वीकार किया
     सत योजन सागर पार किया  ,रघुबंरको जब देखा अधीर
                             जय जय बजरंगी महावीर -----
     

शठ रावण त्रास दिया सिय को , भयभीत भई मइया जिय सो .
     मांगत कर जोर अगन तरु सो ,दे मुदरी माँ को दियो धीर
                            जय  जय बजरंगी महाबीर----- 
      
जय संकट मोचन बजरंगी , मुख मधुर केश कंचन रंगी
निर्बल असहायन  के संगी , विपदा संहारो साध तीर 

जय जय बजरंगी महाबीर 
तुमबिन को जन की हरे पीर 
=======================

 उपरोक्त भजन का निम्नांकित भाग मैं आज नहीं गा पाया:-

 जय जय बजरंगी महाबीर  
तुमबिन को जन की हरे पीर  
      
  जब लगा लखन को शक्ति बान,चिंतित हो बिलखे बन्धु राम 
      कपि तुम साचे सेवक समान ,लाये बूटी संग द्रोंनगीर 
           जय जय बजरंगी  महावीर------ 

हम पर भी कृपा करो देवा  , दो भक्ति-दान हमको देवा 
      है पास न अपने फल मेवा , देवा स्वीकारो नयन नीर
       जय  जय बजरंगी महाबीर  
                               तुमबिन को जन की हरे पीर
================
शब्दकार स्वरकार गायक 
"भोला"
===============
निवेदक : 
व्ही. एन . श्रीवास्तव "भोला"
=======
सहयोग 
चित्रांकन , यू ट्युबी करण , मजीरा वादन-
श्रीमती डॉक्टर कृष्णा भोला
==================  

कोई टिप्पणी नहीं: